मानसा,
मानसा की बेटी मालविका ने मानसा का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया l मालविका के फाइटर पायलट पति का सपना था उनकी लाडली बेटी की परवरिश फौजी परिवार में हो, लेकिन एक दिन अचानक वक्त का पहिया घूमा कि सारे सपने घुलते दिखे। फाइटर पायलट पति अमरदीप का अचानक देहांत हो गया। एक तरफ पति का सपना और दूसरी तरफ 4 महीने की बेटी। लेकिन, मालविका ने वक्त के आगे घुटने नहीं टेके। पति के सपनों को पंख लगाने के लिए जुनून व जज्बे के साथ कड़ी मेहनत की और एयरफोर्स में बतौर कमिशंड ऑफिसर ज्वाइन कर जीवन का इम्तिहान जीत लिया। और उन्होंने यह साबित कर दिया कि लड़कियां किसी भी काम मैं लड़कों से कम नहीं अब लाडली बेटी को वह फौजी परिवार की परवरिश देगी। मानसा की मालविका ने मरहूम पायलट पति का सपना पूरा करने के लिए ज्वाइन की इंडियन एयरफोर्स मालविका गुप्ता ने बताया, पति अमरदीप के सपने को मैंने अपना जुनून बना लिया और संकल्प लिया कि एक दिन सेना की वर्दी जरूर पहनूंगी। मेरी मेहनत और भगवान की कृपा ने इस सपने को सच में बदल दिया। मालविका ने एक साल पहले एसएसबी का एग्जाम क्लीयर किया था। पति अमरदीप भारतीय वायुसेना में थे। इसलिए मालविका ने भी वायु सेना को ही चुना और एक साल की कड़ी ट्रेनिंग हासिल की हैदराबाद में 120 कैडेटों ने जीडीओ (ग्राउंड ड्यूटी ऑफिसर) की ट्रेनिंग हासिल की, जिसमें 95 पुरुष व 25 लड़कियां शामिल थीं। 17 जून को सभी को कमिशंड ऑफिसर नियुक्त किया गया। हैदराबाद में एयरफोर्स अकादमी में बीते 17 जून को कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड का आयोजन किया था। मालविका को हरियाणा में पहली पोस्टिंग मिली। परिवार से मिला पूरा सहयोग मालविका ने बताया कि उन्हें अपने परिवार की तरफ से हर तरह का सहयोग मिला। जब वह ट्रेनिंग हासिल कर रही थी, तो उस दौरान उनकी बेटी का लालन पालन उसके परिजनों ने किया। अभी उनकी बेटी दित्वी ढाई साल की है। मालविका के मायके परिवार में कोई भी डिफेंस में नहीं है। उनके पिता सतपाल पेशे से डॉक्टर हैं व शहर के सीनियर डॉक्टरों में जाने जाते हैं। वहीं उनके भाई आशीष भी डॉक्टर हैं और अब एमडी कर रहे हैं। माता स्वर्णा जिंदल गृहिणी हैं। मालविका ने कहा, 'सेना के ऑफिसर की पत्नी हूं, इस बात का मुझे गर्व है। पति चाहते थे कि हमारी बच्ची का पालन पोषण फौजी ऑफिसर के घर में ही हो। पति की इस इच्छा को पूरा करने के लिए मैंने भारतीय वायु सेना का चयन किया। आज मैं भारतीय वायु सेना का हिस्सा हूं।'
मानसा की बेटी मालविका ने मानसा का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया l मालविका के फाइटर पायलट पति का सपना था उनकी लाडली बेटी की परवरिश फौजी परिवार में हो, लेकिन एक दिन अचानक वक्त का पहिया घूमा कि सारे सपने घुलते दिखे। फाइटर पायलट पति अमरदीप का अचानक देहांत हो गया। एक तरफ पति का सपना और दूसरी तरफ 4 महीने की बेटी। लेकिन, मालविका ने वक्त के आगे घुटने नहीं टेके। पति के सपनों को पंख लगाने के लिए जुनून व जज्बे के साथ कड़ी मेहनत की और एयरफोर्स में बतौर कमिशंड ऑफिसर ज्वाइन कर जीवन का इम्तिहान जीत लिया। और उन्होंने यह साबित कर दिया कि लड़कियां किसी भी काम मैं लड़कों से कम नहीं अब लाडली बेटी को वह फौजी परिवार की परवरिश देगी। मानसा की मालविका ने मरहूम पायलट पति का सपना पूरा करने के लिए ज्वाइन की इंडियन एयरफोर्स मालविका गुप्ता ने बताया, पति अमरदीप के सपने को मैंने अपना जुनून बना लिया और संकल्प लिया कि एक दिन सेना की वर्दी जरूर पहनूंगी। मेरी मेहनत और भगवान की कृपा ने इस सपने को सच में बदल दिया। मालविका ने एक साल पहले एसएसबी का एग्जाम क्लीयर किया था। पति अमरदीप भारतीय वायुसेना में थे। इसलिए मालविका ने भी वायु सेना को ही चुना और एक साल की कड़ी ट्रेनिंग हासिल की हैदराबाद में 120 कैडेटों ने जीडीओ (ग्राउंड ड्यूटी ऑफिसर) की ट्रेनिंग हासिल की, जिसमें 95 पुरुष व 25 लड़कियां शामिल थीं। 17 जून को सभी को कमिशंड ऑफिसर नियुक्त किया गया। हैदराबाद में एयरफोर्स अकादमी में बीते 17 जून को कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड का आयोजन किया था। मालविका को हरियाणा में पहली पोस्टिंग मिली। परिवार से मिला पूरा सहयोग मालविका ने बताया कि उन्हें अपने परिवार की तरफ से हर तरह का सहयोग मिला। जब वह ट्रेनिंग हासिल कर रही थी, तो उस दौरान उनकी बेटी का लालन पालन उसके परिजनों ने किया। अभी उनकी बेटी दित्वी ढाई साल की है। मालविका के मायके परिवार में कोई भी डिफेंस में नहीं है। उनके पिता सतपाल पेशे से डॉक्टर हैं व शहर के सीनियर डॉक्टरों में जाने जाते हैं। वहीं उनके भाई आशीष भी डॉक्टर हैं और अब एमडी कर रहे हैं। माता स्वर्णा जिंदल गृहिणी हैं। मालविका ने कहा, 'सेना के ऑफिसर की पत्नी हूं, इस बात का मुझे गर्व है। पति चाहते थे कि हमारी बच्ची का पालन पोषण फौजी ऑफिसर के घर में ही हो। पति की इस इच्छा को पूरा करने के लिए मैंने भारतीय वायु सेना का चयन किया। आज मैं भारतीय वायु सेना का हिस्सा हूं।'
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