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मुसलमानों ने 'जंगे आजादी' से 'जंगे कोरोना' तक देश के लिए खून दिया है

मुसलमानों ने जंगे आजादी से जंगे कोरोना तक देश के लिए खून दिया है
दिल्ली के अलग-अलग क्वारंटीन सेंटर में तबलीगी जमात के लोग ब्ल्ड डोनेट कर रहे हैं। उनके ब्ल्ड से प्लाज्मा निकालकर कोरोना मरीज़ों का इलाज किया जाएगा। तबलीगी जमात के इन लोगों ने कोरोना को मात दी है। बता दें कि बीते महीने दिल्ली में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम के बाद कोरोना के मामले तेजी से सामने आए थे। जमात से जुड़े सैकड़ों लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उनको क्वारंटीन कर इलाज किया गया। उनमें से कुछ अब ठीक हो चुके हैं और अब वह दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए अपना ब्लड प्लाज्मा दान कर रहे हैं।


गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया था कि कोविड-19 के चार रोगियों पर किए गए प्लाज्मा थेरेपी परीक्षण के प्रारंभिक नतीजे काफी उत्साहजनक थे जिससे कोरोना वायरस के कारण गंभीर रूप से बीमार लोगों के इलाज के लिए उम्मीद की किरण नजर आई। इसके बाद उन्होंने अपील की थी कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज अपना प्लाज्मा डोनेट करें।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अपील के बाद सुल्तानपुरी सेंटर में कोरोना से ठीक हो चुके 4 जमात के सदस्यों ने अपना प्लाज्मा डोनेट किया। सूत्रों की मानें तो ठीक हो चुके 300 से ज्यादा तबलीगी जमात के सदस्यों ने प्लाज्मा देने के लिए दिल्ली सरकार के कंसेंट फॉर्म पर दस्तखत किए हैं।


इस बीच एक निजी अस्पताल ने दावा किया कि उसके यहां भर्ती कोविड-19 मरीज का प्लाज्मा पद्धति से सफल इलाज किया गया और उसके पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उसे रविवार को छुट्टी भी दे दी गई। साकेत स्थित मैक्स अस्पताल की विज्ञप्ति के मुताबिक, 49 वर्षीय व्यक्ति के चार अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई और उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। उसकी हालत लगातार खराब हो रही थी और आठ अप्रैल को मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।

अस्पताल के मुताबिक, जब मरीज में सुधार के संकेत नहीं मिले तब परिवार ने प्रशासन से प्लाज्मा पद्धति से इलाज करने का अनुरोध किया और प्लाज्मा के लिए एक दानकर्ता तक की व्यवस्था की। विज्ञप्ति के मुताबिक, मरीज को 14 अप्रैल की रात प्लाज्मा पद्धति से इलाज किया गया और चौथे दिन हालत में सुधार होने के बाद वेंटिलेटर से हटा दिया गया। हालांकि ऑक्सीजन देना जारी रखा गया।


अस्पताल के मुताबिक , 24 घंटे में मरीज की दो बार जांच की गई और सोमवार को मरीज की कोरोना रिपोर्ट दूसरी बार निगेटिव आई। विज्ञप्ति के अनुसार, पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उसे अगले दो सप्ताह घर में ही रहने की सलाह दी गई है।

ट्विटर पर छाया रहा #TabligiHeroes
26 अप्रैल को लगातार छह घंटे तक भारत में ट्विटर पर जिस हैशटैग ने कब्ज़ा कर रखा था, वह है #TabligiHeroes . अब तक ( 26 अप्रैल रात 12 बजे) एक लाख बीस हजार ट्विट हो चुके हैं। पहले नंबर पर बना हुआ है। वजह है कोरोना संदिग्ध तबलीगी जो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं ने गुजरात/हरियाणा/उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्लाज़्मा दान देने के लिए आगे आए हैं। जैसे रक्त दान होता है वैसे ही प्लाज़्मा दान होता है।


अगस्त 1943 में पहली बार प्लाज़्मा थेरेपी प्रयोग में आई थी। प्लाज़्मा होता क्या है? असल में हमारा ब्लड दो हिस्सों में होता है। इसमें 45% हिस्सा लाल रक्त कोशिकाओं एवं 55% हल्का पीला रंग का होता है जिसे प्लाज़्मा कहते हैं।

इस प्लाज़्मा में प्रोटीन/हॉर्मोन/प्लेटलेट्स/एंटीबॉडीज़ होती हैं। इनका इस्तेमाल कई बिमारियों में होता है। प्लाज़्मा जैसे खून निकालते हैं ठीक वैसे ही निकाला जाता है। इसमें अंतर बस इतना होता है कि डोनर के ब्लड में से प्लाज़्मा अलग करके बाक़ि का ब्लड उसमें वापिस डाल दिया जाता है। प्लाज़्मा का यह उपयोग इससे पहले सॉर्स नामक बिमारी में किया गया था, अब कोविड-19 से जूझ रहे गंभीर रोगियों के लिए यह जीवनदायक साबित हो रहा है।


तो कहने का मतलब बस इतना है कि जिन तबलीगियों को मीडिया वालों ने विलेन बना कर दिखाया, वही तबलीगी अब लोगों की जान बचाएंगे। उनका प्लाज़्मा कोरोना से पीड़ित रोगियों के जिस्म में चढ़ाया जाएगा, हिंदू-मुसलमान के शरीर में नहीं। नफरत के सौदागरों, तुम सबके मुंह पर तमाचा जड़ना शुरू हो गया है। कोरोना के साथ ही साथ, तुमसे भी निपट रहे थे, निपटेंगे।



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