Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

सावन के अन्धो को बस मोदी मोदी दीखता है


loading...


नाम मिट गया है उसका भा.ज.पा के पटल से !
गौरवान्वित होते थे कभी ये सारे उस अटल से !!
मर चुका है इन सबकी आँखों का भी वह पानी !
हाशिये पर खड़ा हुआ है इनका अपना आडवाणी !!

सम्मान नहीं मिलता है जैसे घर में बूढ़ी मौसी को !
ये भी भूल चुके हैं वैसे मुरली मनोहर जोशी को !!
अता पता नहीं पार्टी में उस नेता जसवंत का !
कहीं सूचक तो नहीं ये भा.ज.पा के अंत का !!

सावन के अंधों को बस मोदी ही मोदी दिखता है !
चाय बेचने वाले का करोड़ों में सूट बिकता है !!
जनता से ये कहते थे काला धन लाने वाले हैं !
थोड़ा सा और सब्र करो अच्छे दिन आने वाले हैं !!

हमको क्या पता था कि ऐसे अच्छे दिन आएंग !
हिलने लगेगी ये धरती और किसान फाँसी लगाएंगे !!
यूं ही नहीं सब तुमको फेंकू फेंकू कहते हैं !!
झूठ की नींव पर बने भवन चरमरा कर ढ़हते हैं !!

बातें करते हो तुम तो नारी के उत्थान की !
खूब पैरवी करते हो नारी के सम्मान की !!
लेकिन आज भी नारी की दोनों आँखें बहती हैं !
जुल्म तुम्हारे ही घर में जशोदा बेन सहती है !!

पहचान लेते हैं हम तो उड़ती चिड़िया के पर को !
देश को क्या चलाओगे जब चला सके न तुम घर को !!
क्षमा करना, दिल दुखा हो अगर किसी भी व्यक्ति का !
संविधान ने दिया मुझको अधिकार ये अभिव्यक्ति का !`
लेखक- 


ठाकुर विक्रांत सिंह देव
July 1 at 10:02pm (इनकी फेसबुक वाल से साभार)


This post first appeared on Social Diary, please read the originial post: here

Share the post

सावन के अन्धो को बस मोदी मोदी दीखता है

×

Subscribe to Social Diary

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×