Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

पृष्ठ 02 - जिनका खुद प्रज्ञा के साथ फोटो हो, उन्हें दूसरों पर गर्व करने के बजाए खुद पर षर्मिंदा होना चाहिए

पिछले अंक का शेष
10- इसी रौषनी में यह सवाल भी उठता है कि जब आतंकी को देखने के लिए भी छेद करना पड़ा, यानी ऐसी कोई खिड़की नहीं थी कि उसे देखा जा सके तो फिर उसपर गोलियां किस तरफ से चलाई जा रही थीं? पुलिस का यह दावा तो उसकी पूरी कहानी को ही मजाक बना दे रह है।

11- पुलिस के मुताबिक उसने सैफुल्ला के भाई खालिद की सैफुल्ला से फोन पर बात कराई। लेकिन पुलिस के इस दावे को रिहाई मंच से बात चीत में खालिद ने खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि किसी ने उन्हें फोन करके अपने को पुलिस अधिकारी बताय और कहा कि तुम अपने भाई को समझाओ हम तुम्हारी उससे बात करवाते हैं वो सरेंडर नहीं कर रहा है और षहादत देने की बात कर रहा है। जिसके बाद खालिद ने बदहवासी में अपने भाई से जोर जोर से सरेंडर कर देने की बात करता रहा लेकिन उधर से कोई आवाज नहीं आ रही थी जिसके बाद फोन कट गया। रिहाई मंच नेताओं के यह पूछने पर कि उसे अपने भाई की आवाज सुनाई दे रही थी तो उसने कहा कि भाई की आवाज नहीं सुनाई दे रही थी सिर्फ गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी। जाहिर है यह पूरा नाटक था। ना तो खालिद की अपने भाई से बात हुई और ना ही पुलिस की कहानी के मुताबिक ऐसा हो ही सकता था क्योंकि पुलिस पहले से ही दावा कर रही थी कि सैफुल्ला ने अपने को कमरे में बंद कर लिया है। यानी बात कराने का पूरा नाटक ही सैफुल्ला की हत्या कर देने की तैयारी के साथ हुई थी।

”मुमताज़ एम काज़ी” पहली एशियन लोकल ट्रैन चलाने वाली महिला को मिला ”नारी शक्ति पुरस्कार”

 इसीलिए यह आष्चर्यजनक नहीं है कि लगभग 5 से साढ़े 5 बजे के बीच ही खालिद को पुलिस ने फोन करके सैफुल्ला से बात कराने का नाटक किया और स्थानीय लोगों के मुताबिक उसी समय सैफुल्ला की हत्या भी कर दी गई थी। जिसे पोस्टमाॅर्टम रिपोर्ट के हवाले से छपी खबरों में भी मौत का वक्त बताया गया है। जाहिर है ऐसा यह भ्रम तैयार करने के लिए किया गया कि पुलिस ने मारने से पहले सैफुल को आत्मसमपर्ण करवाने का पूर प्रयास किया और उसके भाई ने भी उसे ‘आतकंवाद का रास्ता’ छोड़ देने का ‘देषभक्तिपूर्ण’ काम किया। लेकिन सैफुल्ला इतना ज्यादा कट्टर ‘जिहादी’ था कि उसने अपने भाई की भी बात नहीं मानी। इसी तर्क की आड़ में सैफुल्ला की हत्या करने का माहैल निर्मित करते हुए मीडिया पर यहे खबर चलवाई गई कि सैफुल्ला ‘षहीद’ होना चाहता है। यानी उसकी हत्या के लिए खुद उसी को दोषी ठहराने का तर्क पहले ही गढ़ने की कोषिष की गई। अगर ऐसा नहीं था तो फिर इस झूठ को क्यों फैलाया गया कि सैफुल्ला से उसके भाई की बात हुई थी?

12- इसी से जुड़ा सवाल यह भी है कि पुलिस को सैफुल्ला के परिजनों का नम्बर कैसे मिला? आखिर बड़े-बड़े खुलासे करने वाली पुलिस इस सवाल पर चुप क्यों दिख रही है?

महिला दिवस के अवसर पर मोदी के सामने अपनी फ़रियाद लेकर आयी महिला का मुँह दबाकर पुलिस ने किया बाहर

13- पुलिस ने लाउडस्पीकर पर सैफुल्ला के आत्मसमर्पण करने की बात कहने का दावा किया है। लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। सवाल उठता है कि तब पुलिस यह दावा क्यों कर रही है? क्या ऐसा करके वो इस कथित मुठभेड़ में हुई हत्या को विधिपूवर्क पूरा किए गए अपने कथित काउंटर अटैक का तार्किक परिणाम बताना चाहती है?

14- पुलिस का दावा है कि उसने सैफुल्ला को रात को तकरीबन 3 से साढ़े 3 के बीच मार गिराया। लेकिन कई चैनलों पर उसके पौने दस बजे ही मारे जाने की खबरें चलने लगीं, यहां तक कि कई रिर्पोटों में तो पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में लाईव बताया गया कि अब थोडी देर में ही यहां से सैफुल्ला का षव निकाला जाएगा। आखिर ऐसा क्यूं हुआ? अगर यह खबर सही थी तो फिर मारे जाने का वक्त 3 से साढ़े 3 बजे रात के बीच का क्यों बताया गया और अगर यह गलत खबर थी तो उसका खंडन क्यों नहीं किया गया?

15- सैफुल्ला की पोस्टमाॅटम रिपोर्ट उसके पिता को नहीं मिली है लेकिन उसकी खबरें मीडिया में आने लगी हैं जिसमें काफी अंतरविरोध हैं। मसलन भास्कर के मुताबिक उसे 11 गोलियां लगी हैं तो वहीं अमर उजाला के मुताबिक पीएम में चार गोलियों का दावा किया गया है। आखिर इतने संवेदनषील मुद्दे पर चलने वाली ऐसी अंतरविरोधी खबरों पर पुलिस चुप क्यों है? क्या ऐसा इस मुद्दे पर भ्रम और सनसनी की स्थिति बनाए रखने के लिए खुद पुलिस करवा रही है? अगर नहीं तो फिर पुलिस चुप क्यों है?





This post first appeared on Social Diary, please read the originial post: here

Share the post

पृष्ठ 02 - जिनका खुद प्रज्ञा के साथ फोटो हो, उन्हें दूसरों पर गर्व करने के बजाए खुद पर षर्मिंदा होना चाहिए

×

Subscribe to Social Diary

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×