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बाजार में उतार-चढ़ाव लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर के लिए बढ़िया

पिछले कुछ महीनों में मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स में आई गिरावट से कई निवेशक मायूस हो गए थे, लेकिन पबराय इनवेस्टमेंट फंड्स के मैनेजिंग पार्टनर मोहनीश पबराय इससे रोमांचित थे। सनम मीरचंदानी और निशांत वासुदेवन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में निवेश के मौकों की तलाश में हैं।आप किसी स्टॉक में रिकवरी के शुरुआती दौर में पोजिशन लेते हैं। हालांकि, आज भारत में बहुत कम शेयर आकर्षक वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं। इस सिचुएशन से आप कैसे निपट रहे हैं?

बाजार में तूफानी तेजी वाले दौर में भी आपको कई ऐसे सेगमेंट दिखेंगे, जिन्हें निवेशकों से सही वैल्यूएशन नहीं मिलता। मिसाल के लिए, 18 महीने पहले रियल एस्टेट सेक्टर के साथ यही हो रहा था। मेरी दिलचस्पी मुंबई रियल एस्टेट में थी। इस सेगमेंट में आपको ऐसे बाजार पर फोकस करने वाली कंपनियों में निवेश करना चाहिए, जहां लोग ज्यादा हों और डिवेलपमेंट लायक जमीन कम। अमेरिका में मैनहटन और भारत में मुंबई ऐसी ही जगहें हैं। पिछले कुछ वर्षों में नोटबंदी, रेरा, जीएसटी जैसी वजहों से रियल एस्टेट कंपनियों का वैल्यूएशन काफी कम हो गया था। कुछ मामलों तो कंपनी में लिक्विडेशन वैल्यू से कम पर ट्रेडिंग हो रही थी।

आपका पोर्टफोलियो छोटा रहता है। रेन इंडस्ट्रीज और फिएट क्राइसलर का ही इसमें 45 पर्सेंट वेटेज है

पबराय फंड्स के पास 70 करोड़ डॉलर हैं, जिसमें से 40 करोड़ डॉलर फिएट क्राइसलर, रेन इंडस्ट्रीज और सनटेक रियल्टी में लगा है। रेन और सनटेक के 10 पर्सेंट शेयर हमारे पास हैं। मैंने 1 या इससे कम पीई पर इनमें निवेश किया था। हमारे खरीदने के बाद से इनमें काफी तेजी आ चुकी है। हमारे पास अच्छा-खासा कैश भी है। इसलिए अगर वाजिब वैल्यूएशन पर निवेश के अच्छे मौके दिखेंगे तो हम उनमें पैसा लगाएंगे। मैंने अपने 19-20 साल के इनवेस्टिंग करियर में देखा है कि हर दो से तीन साल पर बाजार में निवेश के शानदार मौके बनते हैं।

आप निवेश के लिए किसी कंपनी को चुनते वक्त सबसे ज्यादा किस बात पर ध्यान देते हैं

महान निवेशकों ने जो गलतियां कीं, उन्हें देखकर मैंने अपनी चेकलिस्ट तैयार की है। कर्ज लेकर निवेश करने वाले लोग अक्सर बाजार से पैसा नहीं बना पाते। दूसरी, कंपनी के मोट या कॉम्पिटीटिव एडवांटेज को समझने में गलती होती है। इसके बाद मैनेजमेंट, ओनरशिप और दूसरे मसले आते हैं। इसलिए मेरी चेकलिस्ट में कर्ज, मोट और मैनेजमेंट शामिल हैं।

आपने हमेशा कहा है कि महान निवेशकों के इनवेस्टमेंट आइडिया कॉपी करने में कोई बुराई नहीं है

मैं तो कहूंगा कि यह आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए अच्छा है। इनवेस्टमेंट की दुनिया में स्मार्ट लोगों की कमी नहीं है। इसलिए वे कहां निवेश कर रहे हैं, उसे देखने में कोई बुराई नहीं है। मिसाल के लिए, राकेश झुनझुनवाला की इमेज तीन स्क्रीन के सामने बैठने वाले शख्स की रही है। वह हमेशा लोगों से बात करते रहते हैं। वह लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के साथ काफी ट्रेडिंग करते हैं। अगर आप उनके पोर्टफोलियो को देखें तो दशकों से उसमें टाइटन बना हुआ है। ल्यूपिन भी लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट है। क्लोनिंग पावरफुल कॉन्सेप्ट है।

हमने अपने पोर्टफोलियो में सबसे अधिक पैसा फिएट क्राइसलर में लगाया है, जबकि मुझे ऑटो इंडस्ट्री ने नफरत है। इसमें काफी निवेश करना पड़ता है, ग्राहकों की पसंद तेजी से बदलती है और कंपनियों को यूनियन से भी जूझना पड़ता है। फिएट क्राइसलर में मैंने इस वजह से पैसा लगाया क्योंकि जिन दो निवेशकों का मैं सम्मान करता हूं, उनके पोर्टफोलियो में नंबर वन स्टॉक जनरल मोटर्स है। इस वजह से मैं फिएट क्राइसलर तक पहुंचा। ईश्वर ने मुझे जो दिमाग दिया है, उसकी बदौलत मैं रेन इंडस्ट्रीज में निवेश नहीं करता। किसी ने मेरे पास कंपनी की रिसर्च रिपोर्ट भेजी थी, जो बहुत अच्छी लिखी हुई थी। हमारे पोर्टफोलियो में इन दोनों का वेटेज 45 पर्सेंट है और ये दोनों ही क्लोनिंग की देन हैं।

वॉरेन बफेट 10 या 20 अरब डॉलर का एक निवेश करना चाहते हैं। भारत में कितनी कंपनियां हैं, जिनका मार्केट कैप 30 अरब डॉलर या उससे अधिक है? दूसरी बात यह है कि वे जबरन किसी कंपनी पर कंट्रोल नहीं करना चाहते। अगर 30 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर की किसी भारतीय कंपनी के मालिक उसे बेचना चाहते हैं तो वे बफेट को फोन कर सकते हैं। शर्त इतनी है कि वह बिजनेस समझने में आसान हो। मुझे लगता है कि बफेट जरूर उस पर विचार करेंगे। हालांकि, इस सेगमेंट में ऐसी बहुत कम कंपनियां हैं, जिनके प्रमोटर्स उसे बेचना चाहते हैं।



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