बता दें कि इससे पहले मंत्री ने 27 लोगों के जिंदा जलने की बात को स्वीकार किया था। अपने बयान पर आपदा प्रबंधन मंत्री ने कहा कि मरने वाले लोगों के बारे में जो सूचना दी गई थी वह गलत थी। उन्होंने कहा कि हां मैंने कहा था कि 27 लोगों की मौत हो गई है। वह जानकारी स्थानीय सूत्रों के आधार पर दी गई थी लेकिन मैंने यह भी कहा था कि फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही आंकड़ा बताएंगे। बता दें कि बस में 32 लोगों ने बुकिंग कराई थी, लेकिन 13 लोग बस में सवार थे और बाकी लोग आगे गोपालगंज में सवार होने वाले थे। हादसे में बचाए गए यात्रियों को एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया था। जानकारी के अनुसार बस बिना परमिट के चलाई जा रही थी। बस मालिक का नाम सरोज सिंह है जोकि फिलहाल फरार है।
हादसे के संबंध में जानकारी देते हुए घायल यात्री संजीव कुमार ने बताया था कि कोटवा के पास अचानक एक मोटरसाइकिल सड़क पर आ गई थी। उसे बचाने के चक्कर बस चालक ने बस पर से नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद बस पलट गई और जब तक कोई कुछ समझ पाता बस में आग लग गई थी। इसके बाद पास के खेत में काम करने वाले किसानों ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया और छह लोगों को बचाने में कामयाब रहे। बाकी के लोग आग फैलने की वजह से बचाए नहीं जा सके।
घटना के बाद मौके पर पहुंचे जिले के डीएम और एसपी काफी देर तक असहाय रहे क्योंकि दमकल की गाड़ी उनके आने के एक घंटे बाद तक नहीं पहुंची थी। जिसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से आग को बुझाया गया था। परिवहन विभाग के एक कार्यक्रम के दौरान जैसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस दर्दनाक हादसे को लेकर जानकारी मिली थी उन्होंने अपने संबोधन के बीच ही में एक मिनट का मौन रखा और राज्य सरकार की तरफ से मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख का मुआवजा देने की घोषणा की थी।