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क्या अब शुरू होने वाला है गगनयान मिशन?

खबरों के अनुसार अब गगनयान मिशन शुरू होने वाला है! भारत की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब अंतरिक्ष में यात्रियों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए मानवरहित उड़ान परीक्षण जल्द शुरू करने वाला है। बता दें, करीब 900 करोड़ रुपये की लागत का यह अभियान अगले वर्ष लॉन्च होगा। इससे पहले इसके लिए तीन वाहन परीक्षण किए जाने हैं। इनमें पहला वाहन परीक्षण मिशन टीवी-डी1, दूसरा टीवी-डी2 मिशन और तीसरा परीक्षण एलवीएम3-जी1 होगा। यह मानव रहित मिशन होगा।

इसरो ने बताया कि जल्द गगनयान के परीक्षण वाहन को लॉन्च किया जाएगा। ताकि क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण किया जा सके। इसके लिए फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 टीवी-डी1 की तैयारी चल रही है।गौरतलब है, रोबोट और ह्यूमनोइड (मानव जैसा रोबोट) को अंतरिक्ष में भेजकर क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। गगनायान के तीसरे वाहन परीक्षण एलवीएम3-जी1 के तहत जिस ह्यूमनोइड को भेजा जाएगा, उसके जरिये क्रू के सामने आने वाली तमाम चुनौतियों की जानकारी जुटाई जाएगी।

सितंबर में परियोजना निदेशक आर हटन ने बताया था कि इसरो चार अंतरिक्ष यात्रियों को इस अभियान के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। यह भारत का पहला मानव अंतरिक्ष अभियान होगा। इस अभियान के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी की कक्षा में पहुंचाकर वापस सुरक्षित धरती पर लाया जाएगा। हटन ने बताया था कि अगले माह गगनयान के परीक्षण वाहन को लॉन्च किया जाएगा ताकि, क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण किया जा सके।

इस प्रणाली का उपयोग आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकालने के लिए किया जा सकता है। हटन ने बताया था कि गगनयान फिलहाल अंतिम चरण के परीक्षणों से गुजर रहा है। हटन ने कहा था कि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरी है। लिहाजा, परीक्षणों के जरिये हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि क्रू को कोई नुकसान नहीं हो।

बता दे कि इस साल 10 फरवरी को इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 की दूसरी विकासात्मक उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। एसएसएलवी-डी2 ने अपने साथ तीन सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी। 120 टन वजनी 34 मीटर लंबे SSLV-D2 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से उड़ान भरी। SSLV-D2 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, जेएएनयूएस-1 और चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप SpaceKidz’s AzaadiSAT-2 को उनकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया। आपको बता दें, सैटेलाइट जेएएनयूएस-1 अमेरिकी कंपनी अंतारिस का है। वहीं, सैटेलाइट आजादी सेट-2 चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज की है और तीसरी ईओएस-07 इसरो द्वारा तैयार की गई सैटेलाइट है।

22 अप्रैल को भारत ने अपने PSLV C-55 के साथ सिंगापुर के दो सेटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजे थे। भारत ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से पीएसएलवी सी-55 के साथ सिंगापुर के TeLEOS-2 और LUMILITE-4 अंतरिक्ष में भेजे थे। इस लॉन्च के बाद, विशेषज्ञों को मौसम की सही जानकारी मिलने में मदद मिली और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में भी यह सहायक सिद्ध होगा। ऐसा पहली बार नहीं था कि भारत ने किसी विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च किया हो। इससे पहले भी इसरो कई बार विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च कर चुका है। इसरो की ओर से लॉन्च किए गए विदेशी सैटेलाइट की संख्या 424 हो चुकी है।

यहि नहीं सूर्य की स्थिति पर और भी बेहतरीन तरीके से स्टडी करने और स्टार के इवोल्यूशन के लिए अमेरिका और यूरोप के बाद अब भारत ने भी अपने स्पेशल लॉन्च की योजना बनाई है। आदित्य एल-1 मिशन को 2023 में भारत द्वारा लॉन्च करने की इसरो की तरफ से योजना बनाई जा रही है।

अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लाग्रांज प्वाइंट-1 (L1) के चारों ओर एक हेलो आर्बिट में रखा जाएगा, जिससे सूर्य को बिना किसी ग्रहण के ही देख पाना संभव हो जाएगा। इस मिशन में सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर और फोटोस्फीयर, इससे निकलने वाले कण प्रवाह और चुंबकीय क्षेत्र की ताकत का अध्ययन करना आसान हो जाएगा। इसरो अधिकारियों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसरो का यह मिशन काफी महत्वपूर्ण है। लगभग पिछले 10 सालों से इस मिशन पर काम चल रहा था, लेकिन कोविड के दौरान इसमें थोड़ा विलंब हो गया। हालांकि, अब यह मिशन अपने आखिरी पड़ाव में है। इस मिशन के बाद भारत सूर्य के पास अंतरिक्ष यान भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका, जर्मनी व यूरोपीय स्पेस एजेंसी सूर्य पर यान भेज चुके हैं।

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