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आखिर क्यों हुआ सीतापुर का हत्याकांड?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सीतापुर का हत्याकांड क्यों किया गया! सुबह लगभग 5 बजे का वक्त, यूपी के सीतापुर का पल्हापुर गांव और उस दो मंजिला मकान के बाहर लगी लोगों की भीड़। माहौल में गहरा सन्नाटा था। लोगों के चेहरे पर एक अजीब सी दहशत थी। तभी पुलिस की गाड़ियों के सायरन सुनाई देते हैं। भीड़ के बीच एक हलचल होती है और ये गाड़ियां उसी मकान के सामने आकर ठहर जाती हैं। खाकी वर्दी वाले धड़ाधड़ गाडियों से उतरकर घर की तरफ दौड़ते हैं। लेकिन, घर में दाखिल होते ही पुलिसवालों के पैर थम जाते हैं। उनकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। आंगन में तीन बच्चे खून से लथपथ पड़े मिलते हैं। देखने से ही अंदाजा हो जाता है कि बच्चों को दूसरी मंजिल से नीचे फेंका गया है। इधर-उधर नजरें घुमाई तो एक कमरे में बेड पर एक लाश मिलती है। लाश के पास ही मिलता है 315 बोर का एक अवैध असलहा। साथ के कमरे में ही एक बुजुर्ग महिला की लाश और मिलती है। कमरे के सामने की तरफ सीढ़ियां थी। ऊपर जाकर देखा तो एक और लाश मिलती है। ये लाश भी महिला की थी, जिसे पहले गोली मारी गई और फिर बेहद बेदर्दी से सिर कुचला गया। लाश के पास ही खून से सना एक हथौड़ा भी पड़ा था।

पुलिस पंचनाम करती है और सभी लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया जाता है। घर के बाहर जमा लोगों के बीच सुगबुगाहट थी, लेकिन खुलकर कोई कुछ नहीं बोल रहा था। आखिर किसने एक ही परिवार के इन 6 लोगों की जान ली? तीन मासूम बच्चों को बेरहमी के साथ छत से फेंककर किसने मारा? आखिर वो कौन था, जिसने छत पर सोई महिला को गोली मारने के बाद उसका सिर भी हथौड़े कुचल दिया? घर के अंदर मिली लाश के पास वो अवैध असलहा किसका था? क्या उसी असहले से इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया? सवाल बहुत थे… और जब तफ्तीश हुई तो इस हत्याकांड की हैरान कर देने वाली वजह सामने आई।

ये परिवार था अनुराग सिंह का, जिसकी लाश पुलिस को घर के बाहर मिली। उसने ही गोली मारकर अपनी मां और पत्नी की जान ली थी। तीनों बच्चों को भी उसी ने छत से फेंककर मारा था। गांव वालों से पूछताछ हुई तो इस हत्याकांड की कहानी सुनकर पुलिस के आला अधिकारी भी चौंक गए। घर में किसी तरह की कोई आर्थिक समस्या नहीं थी। अनुराग सिंह के पास 100 बीघा के खेत थे। पत्नी लखनऊ में एक इंश्योरेंस कंपनी में अच्छी नौकरी करती थी। तीन बच्चों के साथ हंसता खेलता परिवार था। पिता का निधन हो चुका था और मां अनुराग के साथ ही रहती थी। तो फिर क्यों अनुराग अपनों का हत्यारा बन गया?

गांव वालों के मुताबिक, पिछले तीन महीनों से अनुराग को शराब की लत लग गई थी। शराब की वजह से उसने खेती पर ध्यान देना भी कम कर दिया था। वो हर दिन शराब पीकर आता और किसी ना किसी बात को लेकर घर में झगड़ा होता। शराब की वजह से ही उसका स्वभाव काफी उग्र रहने लगा था। पत्नी और मां ने उससे शराब छोड़ने को कहा, लेकिन जब उसने नहीं उनकी बात नहीं सुनी तो दोनों ने उसे नशा मुक्ति केंद्र ले जाने का फैसला लिया। इस बात से अनुराग काफी नाराज हुआ। उसे लगने लगा था कि अगर वो नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती हुआ, तो गांव में उसकी बदनामी होगी। उसने नशा मुक्ति केंद्र जाने से साफ मना कर दिया।

वहीं, अनुराग और उसकी पत्नी के बीच अक्सर नौकरी की बात को लेकर भी झगड़ा होता था। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनुराग की पत्नी अक्सर उसकी शराब की आदत और खेतों पर ध्यान ना देने को लेकर टोकती थी। उसकी पत्नी कहती थी कि आखिर कब तक वो इस तरह नौकरी करती रहेगी। उसे खेतों की तरफ ध्यान देना चाहिए। अगर वो इसी तरह शराब के नशे में डूबा रहा, तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा। ऐसे में अनुराग को लगने लगा था कि उसकी पत्नी उसके ऊपर नौकरी की धौंस जमाती है।

शुक्रवार की रात को भी परिवार के बीच काफी झगड़ा हुआ। शोर सुनकर गांव के लोग पहुंचे और अनुराग को समझाने की कोशिश की। काफी देर तक समझाने के बाद भी जब अनुराग शांत नहीं हुआ तो गांव के लोग लौट आए। घर के अंदर से रात के करीब ढाई बजे तक चिल्लाने की आवाजें आती रहीं। इसके बाद सुबह 5 बजे के आसपास अनुराग ने पहले अपनी पत्नी को गोली मारी और इसके बाद हथौड़े से उसका सिर कुचला। छत पर ही सोए अपने तीनों बच्चों को उसने दूसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया। इसके बाद वो नीचे आया और मां की भी गोली मारकर हत्या कर दी। परिवार को खत्म करने के बाद अनुराग ने खुद को भी गोली मारकर खुदकुशी कर ली।

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