हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह लालू यादव की राह पर चल पड़े हैं! सब जानते हैं कि अगर कुछ स्थायी है तो वो है बदलाव। बदलाव से कोई अछूता नहीं रहता। राजनीति भी बदलाव के दौर से गुजरती है। परिस्थितियों में बदलाव से कल जो किसी के लिए सही होता, वो आज किसी और के लिए हो जाता है। अब ‘दूल्हा कौन है?’ का नैरेटिव ही ले लीजिए। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 2015 के विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी से पूछा था, ‘आपका दूल्हा कौन है? लालू ने जमुई की एक चुनावी रैली में कहा था, हमारे गठबंधन में तो दूल्हा नीतीश कुमार हैं, लेकिन बीजेपी के पास तो कोई दूल्हा ही नहीं है।’ वक्त का तकाजा देखिए, आज बीजेपी पूछ रही है- दूल्हा कौन है? लालू के पास कोई जवाब नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दावा किया कि विपक्षी दलों के गठबंधन (I.N.D.I.A) सत्ता में आ गया तो वो आपस में प्रधानमंत्री की कुर्सी बदलते रहेंगे क्योंकि उनके पास पीएम का कोई चेहरा नहीं है। शाह ने यह बात उसी बिहार की धरती से कही जहां लालू प्रसाद यादव ने कभी बीजेपी पर ‘दूल्हे के नाम पर’ कभी तंज किया था। मधुबनी और सीतामढ़ी में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘उनके इंडिया ब्लॉक पास पीएम पद के लिए कोई चेहरा नहीं है। देश ने मोदी जी को तीसरा कार्यकाल देने का फैसला किया है। लेकिन, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इंडिया ब्लॉक का पीएम उम्मीदवार कौन होगा?… उन्होंने पीएम की कुर्सी को आपस में घुमाने का फैसला किया है। मैं कहना चाहूंगा कि देश चलाना किराने की दुकान चलाने जैसा नहीं है। अगर कोविड महामारी जैसी स्थिति पैदा होती है, तो क्या वे देश को बचा पाएंगे? क्या वे आतंकवादियों से देश की रक्षा कर पाएंगे?’
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मजे की बात देखिए कि लालू ने नौ साल पहले चुनावी रैली में ही नीतीश का नाम लेकर बीजेपी से सवाल किया था। आज वही नीतीश बीजेपी के पाले में हैं। दूसरी तरफ, उसी बिहार में शाह ने भी चुनावी रैली में ही जनता से पूछा- इंडिया ब्लॉक का पीएम उम्मीदवार कौन है? लालू ने भी जनता के बीच ही पूछा था- बीजेपी का दूल्हा कौन है? हालात कितनी तेजी से बदलते हैं, इसका अंदाजा एक और बात से लगाया जा सकता है। जब विपक्षी दलों का गठबंधन आकार ही ले रहा था तब उनकी पटना में बैठक हुई। तब नीतीश भी विपक्षी खेमे में थे। मंच पर राहुल गांधी भी थे। लालू ने मजाकिया अंदाज में राहुल से कहा, ‘अब आप दूल्हा बन जाइए, हम सब आपके बाराती बनेंगे।’ लालू के इस बयान का संदेश कुछ यूं निकाला गया कि दरअसल उन्होंने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को कह रहे थे। लालू ने संकेतों की भाषा में राहुल को आश्वस्त किया था कि वो पीएम बनेंगे तो बाकी दल उनके साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।
कुछ दिनों बाद नीतीश ने लालू का साथ छोड़ दिया और बीजेपी की तरफ आ गए। बिहार में सत्ता तो बदली ही, विपक्षी गठबंधन की कवायद को भी बड़ा झटका लगा। नीतीश विपक्ष में रहते हुए खुद भी पीएम पद के दमदार उम्मीदवार हुआ करते थे। उधर, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी समेत अन्य कई विपक्षी नेताओं की परोक्ष दावेदारी भी सामने आती रहती थी। यह उलझन सुलझाया नहीं जा सका, इसलिए विपक्षी दलों के गठबंधन ने अपना पीएम उम्मीदवार ही घोषित नहीं किया। इस पर बीजेपी ने एक कार्टून बना दिया। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर जारी वीडियो कार्टून का शीर्षक ही रखा गया, ‘दूल्हा कौन है?’ वीडियो में दिखाया गया कि कैसे विपक्षी गठबंधन में शामिल ज्यादातर दलों के प्रमुख खुद को पीएम पद के दावेदार साबित कर रहे हैं।
कुल मिलाकर कहें तो 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को असहज करने के लिए लालू प्रसाद यादव ने जो टर्म गढ़ा था, आज वो उनके गठबंधन की गले की ही फांस बनता दिख रहा है। बीजेपी का कार्टून हो या अमित शाह का सवाल, आज विपक्षी गठबंधन असहज है। यह सच है कि विपक्ष में पीएम का कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं है। उतना ही सच 2015 में बीजेपी के लिए था कि वह बिहार के मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा फाइनल नहीं कर सकी थी। यानी, नौ साल में स्थितियां बदल चुकी हैं। कल जो सवाल बीजेपी को असहज कर रहा था, आज उसी सवाल से बीजेपी अपने विरोधियों को असहज कर रही है!
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