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क्या पृथ्वी से टकरा सकता है सूर्य से उठा तूफान?

सूर्य से उठा तूफान अब पृथ्वी से टकरा सकता है! दो दशक का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान शुक्रवार को पृथ्वी से टकराया है। इसके चलते अमेरिका से ब्रिटेन तक आसमान में चमकीला नजारा दिखा है। अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन ने इस मैग्नेटिक तूफान को जी5 श्रेणी का बताया है। भू-चुंबकीय तूफान को जी1 से जी5 के पैमाने पर मापा जाता है, जिसमें G5 को तूफान का सबसे चरम स्तर माना जाता है। एनओएए ने चेतावनी दी है कि सूरज से आए इस भू-चुंबकीय तूफान के चलते सैटेलाइट और पृथ्वी पर पावर ग्रिड प्रभावित हो सकते हैं। इसके चलते कम्युनिकेशन बाधित होने के साथ ही कई इलाके अंधेरे में डूब सकते हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने सूरज में हुए इस विस्फोट की तस्वीर खींची है। वैज्ञानिकों ने इस बार पिछले चक्र की तुलना में अधिक सनस्पॉट को ट्रैक किया है। सूरज से निकलने वाली तेज आग एक मजबूत भू-चुंबकीय क्षेत्र तैयार करती है, जो पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के हिस्से को बाधित करती है। इससे कम्युनिकेशन और जीपीएस पर तत्काल असर पड़ सकता है।नासा ने बताया कि 10 मई 2024 को सूर्य ने एक तेज आग उत्सर्जित की है, जो स्थानीय समयानुसार सुबह के 2.54 मिनट पर अपने चरम पर थी। एनओएए के मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार, सूर्य की आग में वृद्धि के चलते कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के कई उत्सर्जन कोरोनल मास इजेक्शन हुए हैं।

इसके पहले अक्टूबर 2003 में एक बड़ा सौर तूफान आया था, तब स्वीडन में ब्लैक आउट हो गया था और दक्षिण अफ्रीका में बिजली के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा था। वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों में और अधिक कोरोनल मास इजेक्शन के पृथ्वी पर हमला करने की उम्मीद जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, हर 11 साल में सूर्य कम और उच्च सौर गतिविधि का अनुभव करता है, जो इसकी सतह पर सनस्पॉट की मात्रा से जुड़ा होता है। सूर्य के मजबूत और लगातार बदलते चुंबकीय क्षेत्र इन अंधेरे क्षेत्रों को संचालित करते हैं। इनमें से कुछ पृथ्वी के बराबर या उससे भी बड़े हो सकते हैं। भू-चुंबकीय तूफान से उत्तरी रोशनी (नॉर्दर्न लाइट) में तेज वृद्धि हुई है, जिसे अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक देखा गया है।

सौर चक्र के दौरान सूर्य शांत से तीव्र और सक्रिय अवधि में बदल जाता है। गतिविधि के चरम के दौरान जिसे सौर अधिकतम कहा जाता है। सूरज में होने वाली इस हलचल के चरम होने के दौरान सूर्य के चुंबकीय ध्रुव पलट जाते हैं। सूर्य की वर्तमान गतिविधि को सौर चक्र 25 नाम दिया गया है, जो अपेक्षा से अधिक गतिविधियों से भरा हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस बार पिछले चक्र की तुलना में अधिक सनस्पॉट को ट्रैक किया है। सूरज से निकलने वाली तेज आग एक मजबूत भू-चुंबकीय क्षेत्र तैयार करती है, जो पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के हिस्से को बाधित करती है। इससे कम्युनिकेशन और जीपीएस पर तत्काल असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सूर्य से छोड़ी गई असीमित ऊर्जा अंतरिक्ष यान के इलेक्ट्रॉनिक्स को भी बाधित कर सकती है। इसके 20 मिनट से लेकर कई घंटे तक अंतरिक्ष यात्री प्रभावित हो सकते हैं।

नासा ने सौर तूफान को लेकर गहन विश्लेषण के बाद कहा है कि इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सवार चालक दल के लिए कोई खतरा नहीं है और किसी अतिरिक्त एहतियाती उपाय की आवश्यकता नहीं है। नासा ने बताया कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अंतरिक्ष से होने वाले विकिरण से ग्रह पर जीवन की सुरक्षा करता है। हालांकि, स्पेस स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है। बता दें कि सूरज से आए इस भू-चुंबकीय तूफान के चलते सैटेलाइट और पृथ्वी पर पावर ग्रिड प्रभावित हो सकते हैं। इसके चलते कम्युनिकेशन बाधित होने के साथ ही कई इलाके अंधेरे में डूब सकते हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने सूरज में हुए इस विस्फोट की तस्वीर खींची है। नासा ने बताया कि 10 मई 2024 को सूर्य ने एक तेज आग उत्सर्जित की है, जो स्थानीय समयानुसार सुबह के 2.54 मिनट पर अपने चरम पर थी। फिर भी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के करीब होन के चलते इसे कुछ सुरक्षा मिलती है। सौर ज्वाला को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट लगते हैं, जिसका मतलब है कि सबसे हालिया चमक पहले ही गुजर चुकी है। यह बढ़ी हुई रोशनी चालक दल के लिए खतरा पैदा नहीं करती है।

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