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नागरिकता संशोधन कानून के लिए क्या बोले पाकिस्तान से आए लोग?

हाल ही में पाकिस्तान से आए लोगों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के लिए एक बयान दिया है! नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत कई लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई। CAA से नागरिकता पाए लोगों ने खुशी जताई। नागरिकता पाने वाली भावना ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मुझे आज नागरिकता मिल गई है। अब मैं आगे पढ़ सकती हूं। मैं 2014 में यहां आई थी और जब CAA पारित हुआ तो मुझे बहुत खुशी हुई। पाकिस्तान में हम लड़कियां पढ़ नहीं पाती थीं। जब वहां हमें बाहर जाना होता था तो हम बुर्का पहनते थे। भारत में हमें पढ़ने को मिलता है। मैं अभी 11वीं क्लास में हूं।’ 3 महीने पहले 400 से ज्यादा शरणार्थियों का गृह मंत्रालय ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया था। 24 वर्षीय भरत कुमार ने कहा, ‘जब हम यहां आए तब मैं 13 साल का था। हमें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा क्योंकि डर के साए में रहना मुश्किल था।’ पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत भाग कर आने वाले भरत कुमार का संघर्ष 11 साल के लंबे इंतजार के बाद बुधवार को समाप्त हो गया। यही नहीं मजनू का टीला में रहने वाली शीतल दास आजीविका के लिए मोबाइल फोन कवर बेचती हैं। उन्होंने कहा कि उनका 19 लोगों का परिवार 2013 में पाकिस्तान के सिंध से भागकर यहां आया था। उनके परिवार में से तीन लोगों को नागरिकता मिल गई है। शीतल ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। सरकार ने हमारी इच्छा पूरी की। अब मैं भारत में सम्मानजनक जीवन जी सकती हूं। उन्हें मिलाकर कुल 14 लोगों को नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए के तहत भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान की गई। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने एक विशेष समारोह में 14 लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किये।

नागरिकता प्राप्त करने के कुछ मिनट बाद 24 वर्षीय भरत ने कहा कि भारतीय होना एक शानदार अहसास है। इसने मुझे एक नया जीवन दिया है। भरत ने कहा कि उनका परिवार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आया था। भरत कुमार का परिवार दिल्ली में मजनू का टीला इलाके में रहता है और छोटा-मोटा काम करता है। उन्होंने कहा कि बुधवार को उनके इलाके में कुल पांच लोगों को भारतीय नागरिकता मिली जबकि सौ से अधिक लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था। हमें बताया गया कि बाकी आवेदकों को भी उचित समय पर नागरिकता मिल जाएगी। भरत ने कहा कि भारतीय नागरिकता पाना उनके लिए किसी ‘सपने के सच होने’ जैसा है। मजनू का टीला में रहने वाली शीतल दास आजीविका के लिए मोबाइल फोन कवर बेचती हैं। उन्होंने कहा कि उनका 19 लोगों का परिवार 2013 में पाकिस्तान के सिंध से भागकर यहां आया था। उनके परिवार में से तीन लोगों को नागरिकता मिल गई है। शीतल ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। सरकार ने हमारी इच्छा पूरी की। अब मैं भारत में सम्मानजनक जीवन जी सकती हूं।

पाकिस्तान के सिंध से आईं यशोदा ने भी भारतीय नागरिकता प्राप्त की। उन्होंने कहा कि वह अब एक भारतीय के रूप में सम्मानजनक जीवन जी सकती हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि भारत की नागरिकता मिलने से अब उनके परिवार और बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा। भारतीय नागरिकता पाने का मेरा लंबा इंतजार अब खत्म हो गया है। मैं वास्तव में बहुत खुश हूं। सीएए के तहत बुधवार को 14 लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र जारी किए गए। तीन पड़ोसी देशों के सताए हुए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने वाला सीएए दो महीने पहले लागू किया गया था। महीने पहले 400 से ज्यादा शरणार्थियों का गृह मंत्रालय ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया था। 24 वर्षीय भरत कुमार ने कहा, ‘जब हम यहां आए तब मैं 13 साल का था। हमें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा क्योंकि डर के साए में रहना मुश्किल था।’ पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत भाग कर आने वाले भरत कुमार का संघर्ष 11 साल के लंबे इंतजार के बाद बुधवार को समाप्त हो गया।उन्होंने कहा कि बुधवार को उनके इलाके में कुल पांच लोगों को भारतीय नागरिकता मिली जबकि सौ से अधिक लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था। हमें बताया गया कि बाकी आवेदकों को भी उचित समय पर नागरिकता मिल जाएगी। भरत ने कहा कि भारतीय नागरिकता पाना उनके लिए किसी ‘सपने के सच होने’ जैसा है।बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए दिसंबर 2019 में सीएए अधिनियमित किया गया था। ये कानून 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आने वाले गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागकिता प्रदान करता है।

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