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आखिर पीओके में क्यों हो रहा है प्रोटेस्ट?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर पीओके में प्रोटेस्ट क्यों हो रहा है! पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी POK में पिछले काफी दिनों से लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वहां के लोगों के विरोध-प्रदर्शन में भारत का तिरंगा लहराने की तस्वीर और वीडियो क्लिप वायरल हो रही हैं। भारत में चल रहे लोकसभा चुनाव के बीच बीजेपी नेता पीओके के मसले पर कई बयान दे चुके हैं। यह दोहराने से लेकर कि ‘पीओके भारत का हिस्सा है’ यह कहने तक कि बीजेपी को 400 पार सीट इसलिए चाहिए ताकि पीओके भारत में शामिल कर सकें। राजनीति के इतर पीओके में विरोध प्रदर्शन का LOC पर क्या असर होगा।  पीओके में विरोध-प्रदर्शन का एलओसी, लाइन ऑफ कंट्रोल पर क्या असर हो सकता है, इसका जवाब देते हुए लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी रिटायर्ड कहते हैं कि जब पीओके में वहां के प्रशासन के खिलाफ आवाज उठती है और विरोध-प्रदर्शन तेज होता है तो वहां से लोग यहां हमारी तरफ आने की कोशिश कर सकते हैं इसलिए हमें सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि जब बड़ी संख्या में लोग आते हैं तो उनके साथ आतंकी भी हो सकते हैं इसलिए विजिलेंस जरूरी है। अगर हमने वहां से लोगों को यहां आने की इजाजत दे दी तो फिर से रिफ्यूजी क्राइसिस हो सकती है और हमने 1971 में यह देखा है जब बड़ी संख्या में रिफ्यूजी बांग्लादेश से यहां आए। उन्होंने कहा कि जब पीओके भारत में शामिल हो जाएगा तब वहां के लोग भी हमारे हो जाएंगे। वह कहते हैं कि पीओके में चल रहा विरोध-प्रदर्शन एक तरह से हमारी मदद ही करेगा। वह इलाका खुद ही धीरे धीरे हमारी तरफ आ रहा है।

लेफ्टिनेंट जनरल कुलकर्णी ने कहा कि जैसे कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री ने भी कहा कि वहां के लोग इतना परेशान हैं कि वे खुद ही भारत में विलय करेंगे। उन्होंने कहा कि इसका एक पहलू आतंकवाद भी है। एलओसी के दूसरी तरफ पीओके में ही आतंकियों के लॉन्च पैड हैं जिन्हें वहां की मिलिट्री सपोर्ट करती है। विरोध-प्रदर्शन से ध्यान भटकाने के लिए वे आतंकी घुसपैठ की कोशिशें बढ़ा सकते हैं। इसलिए हमें आतंकी लॉन्च पैड की हर हरकत पर नजर रखनी होगी। हालांकि मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) कहते हैं कि पीओके में विरोध-प्रदर्शन होने से आतंकी घुसपैठ उतनी आसानी से नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि वहां विरोध-प्रदर्शन जितना तेज होगा आतंकी घुसपैठ की संभावना उतनी कम होगी। पाकिस्तान की मिलिट्री आतंकवादियों को सपोर्ट करती है और घुसपैठ में मदद करती है लेकिन जब स्थानीय लोग वहां प्रशासन और सरकार का विरोध कर रहे हैं तो आतंकियों को घुसपैठ कराना आसान नहीं होगा।

पीओके में हो रहा विरोध-प्रदर्शन भारत में चुनावी मुद्दा भी बन रहा है। जहां गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने कहा कि पीओके हमारा है और उसे हम लेकर रहेंगे। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हमें 400 सीट इसलिए चाहिए ताकि पीओके ले सकें। हिमंता बिस्वा सरमा ने दिल्ली में प्रचार करते हुए कहा कि कांग्रेस पूछती है कि 400 सीट क्यों चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस का शासन था तब हमें बताया गया था कि एक तरह से कश्मीर भारत में भी है पाकिस्तान में भी है। हमारी संसद में कभी इसकी चर्चा नहीं होती थी कि जो कश्मीर पाकिस्तान के साथ है वह पाक अधिकृत कश्मीर है। वहां लोग भारत का तिरंगा हाथ में लेकर आंदोलन कर रहे है पाकिस्तान के खिलाफ। उन्होंने कहा कि यह शुरुआत है। मोदी जी को 400 सीट मिलेगी तो पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का ही हो जाएगा और इसका आगाज हो चुका है।

पश्चिम बंगाल में रैली में अमित शाह ने कहा कि जब इंडी अलायंस का शासन था हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थी। तब आजादी के नारे यहां लगते थे अब पाक अधिकृत कश्मीर में आजादी के नारे लग रहे हैं। पहले यहां पत्थरबाजी होती थी अब वहां पत्थरबाजी हो रही है। 2 करोड़ 11 लाख टूरिस्टों ने कश्मीर जाकर एक नया रेकॉर्ड बनाया और पाक अधिकृत कश्मीर में आटे के भाव ने रेकॉर्ड बना दिया है। उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है। ये मणि शंकर अय्यर, फारुख अब्दुल्ला देश को डरा रहे हैं कि पाकिस्तान के पास एटम बम है। शाह ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

पिछले लोकसभा चुनाव में बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक और विंग कमांडर अभिनंदन की सुरक्षित वापसी बड़ा मुद्दा था और बीजेपी के चुनावी पोस्टरों से लेकर नेताओं के भाषण तक में इसका जमकर जिक्र किया गया। इस बार के चुनाव में राष्ट्रवाद उस तरह से मुद्दा नहीं बन पाया। तमिलनाडु में वोटिंग से पहले कच्चातिवु का मुद्दा उठा लेकिन वह उस तरह लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा नहीं बना। अब पीओके में लगातार चल रहे विरोध-प्रदर्शन का जिक्र सोशल मीडिया में खूब हो रहा है। वहां से हर रोज इस तरह के विडियो आ रहे हैं जिसमें प्रदर्शकारी तिरंगा लिए हुए हैं। पीओके के बहाने एक बार फिर राष्ट्रवाद का मुद्दा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है। चार फेज के चुनाव हो चुके हैं और तीन फेज के चुनाव होने बाकी है। इन तीन फेज में 164 सीटों पर वोटिंग होनी है।

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