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आखिर क्या है ईस्ट दिल्ली की लोकसभा सीट का गणित?

आज हम आपको ईस्ट दिल्ली की लोकसभा सीट का गणित बताने जा रहे हैं! राजधानी दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर 25 मई को वोटिंग होनी है। इस बार पूर्वी दिल्ली यानी ईस्ट दिल्ली सीट काफी चर्चा में है। इस सीट पर बीजेपी ने हर्ष हर्ष मल्होत्रा को मौका दिया है, तो वहीं आम आदमी पार्टी ने कुलदीप कुमार को टिकट दिया है। ईस्ट दिल्ली के लोगों का कहना है कि चुनाव आते जाते रहते हैं, लेकिन उनकी समस्याएं जस की तस रहती हैं। यहां गंदगी, पानी की कमी और ट्रैफिक जाम चुनावी मुद्दे हैं। ईस्ट दिल्ली में 21 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं। फिलहाल यहां बीजेपी के गौतम गंभीर सांसद हैं।  ईस्ट दिल्ली सीट पर कुल वोटरों की संख्या 21 लाख 6 हजार 642 हैं। इसमें से 9.62 लाख महिलाएं, 11.44 लाख पुरुष और 101 थर्डजेंडर वोटर शामिल हैं। यहां पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 32 हजार 586 है। ईस्ट दिल्ली सीट सबसे पहले 1967 में बनी, जब दिल्ली में सात लोकसभा सीटों का परिसीमन हुआ। ये सीट न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश में सबसे ज्यादा आबादी वाली लोकसभा सीट है। यहां 2014 से लगतार बीजेपी जीत रही है। अभी यहां से बीजेपी के गौतम गंभीर सांसद हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनावों के ऐलान से पहले राजनीति छोड़ने का फैसला लिया था।

ईस्ट दिल्ली सीट में राजधानी की अन्य लोकसभा सीटों की तरह 10 विधानसभाएं आती हैं। ईस्ट दिल्ली के तहत, ओखला, जंगपुरा, लक्ष्मी नगर, कृष्णा नगर, गांधी नगर, शाहदरा, विश्वास नगर, कोंडली, त्रिलोकपुरी और पटपड़गंज सीट आती है। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में इन 10 में से 7 सीटों पर आम आदमी पार्टी जीती थी, जबकि तीन सीटें बीजेपी ने हासिल की थी। ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में गंदगी, लॉ एंड ऑर्डर, अवैध कब्जे और ट्रैफिक जाम जैसे मुद्दे हैं। किशन लाल नाम के एक शख्स ने कहा, ‘नेता चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन अगले पांच सालों में जनता के लिए कुछ नहीं करते। हम गंदगी, पानी की कमी और ट्रैफिक जाम से जूझते रहते हैं और आगे भी यही हाल रहेगा। जो भी विकास हुआ है, वो इस इलाके की बढ़ती आबादी के हिसाब से काफी नहीं है।’ ज्यादातर लोगों को यही लगता है, लेकिन विवेक विहार के विजय नारंग थोड़ा अलग राय रखते हैं। वो कहते हैं कि, ‘जमनापार अब वैसी बदनाम जगह नहीं रही। यहां की प्रॉपर्टी की रेट्स तो साउथ दिल्ली को भी टक्कर देती हैं। सड़कें भी अब बहुत अच्छी बन गई हैं। पहले ऑफिस जाने में एक घंटा लगता था, अब सिर्फ 20 मिनट लगते हैं। लेकिन एक मध्यमवर्गीय मतदाता के तौर पर, हम सरकार से चमत्कार नहीं चाहते, बस बुनियादी जरूरतें पूरी हो जाएं। ट्रांसपोर्ट पर ध्यान देना जरूरी है।’

पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र 21 लाख मतदाताओं वाला घना शहरी इलाका है। यहां रहने वाले लोगों के अलग-अलग मुद्दे हैं। यहां इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन, मयूर विहार जैसे मध्यमवर्गीय इलाके हैं, तो वहीं रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों वाले इलाके (Mayur Vihar) और प्रीत विहार, गगन विहार, निर्माण विहार, कृष्णा नगर और गांधी नगर जैसे व्यापारिक इलाके भी हैं। दूसरी तरफ, चिल्ला, कोंडली, खिचड़ीपुर और दल्लूपुरा जैसे गांवों में काफी संख्या में प्रवासी रहते हैं। वहीं शाहदरा, ओखला, सीलमपुर, जांगपुरा और त्रिलोकपुरी इलाकों में झुग्गी-झोपड़ियां भी हैं। भाजपा के हर्ष मल्होत्रा, जो पूर्व नगर निगम के मेयर हैं, इस सीट पर आप के कुलदीप कुमार से मुकाबला करेंगे। पूर्व अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों को प्रदर्शित कर रहे हैं। बदले में कुलदीप कुमार ने 25 मई के चुनावों को सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं पर जनमत संग्रह में बदल दिया है।

लक्ष्मी नगर, जंगपुरा, ओखला और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में भीड़भाड़ एक प्रमुख चिंता का विषय है, जहां तेजी से व्यावसायीकरण और शहरीकरण हुआ है। यहां पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 32 हजार 586 है। ईस्ट दिल्ली सीट सबसे पहले 1967 में बनी, जब दिल्ली में सात लोकसभा सीटों का परिसीमन हुआ। ज्यादातर लोगों को यही लगता है, लेकिन विवेक विहार के विजय नारंग थोड़ा अलग राय रखते हैं। वो कहते हैं कि, ‘जमनापार अब वैसी बदनाम जगह नहीं रही। यहां की प्रॉपर्टी की रेट्स तो साउथ दिल्ली को भी टक्कर देती हैं।ये सीट न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश में सबसे ज्यादा आबादी वाली लोकसभा सीट है।ओखला में तेजी से आवासीय और कमर्शियल विकास हुआ है, जिसने बहुराष्ट्रीय निगमों और स्वास्थ्य सुविधाओं को आकर्षित किया है, लेकिन सुविधाओं में वृद्धि उस अनुपात में नहीं हुई है।

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