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नेपाल द्वारा बनाए गए नए नोट पर क्या बोले विदेश मंत्री?

हाल ही में विदेश मंत्री के द्वारा नेपाल द्वारा बनाए गए नए नोट विवाद पर एक बयान दिया गया है! नेपाल ने नए नोट जारी किए हैं। इन नोटों पर भारत के कुछ इलाकों को दिखाने के मामले पर विवाद हो गया है। नोटों के विवाद पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बनाना जटिल होता है। उन्होंने यह भी माना कि अक्सर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में राजनीति का भी ध्यान रखना पड़ता है। उन्होंने रविवार को कटक में एक प्रेस वार्ता में कहा कि कभी-कभी पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते में थोड़ी बहुत राजनीति भी शामिल हो जाती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसे अपने और उनके हितों को मिलाकर चल सकते हैं। उन्होंने कुछ उदाहरणों का जिक्र किया जहां भारत के बारे में अच्छी राय नहीं थी। उन्होंने कहा कि श्रीलंका जैसे देशों में जाकर आप सरकारी अधिकारियों या आम लोगों से भारत के बारे में कुछ नकारात्मक राय सुन सकते हैं। जयशंकर ने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत ने कोविड-19 महामारी और यूक्रेन जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के दौरान अपने पड़ोसी देशों की मदद की है, जिससे भारत की छवि सकारात्मक बनी है। जयशंकर ने आगे कहा कि अगर आप पूरी तस्वीर देखें, खासकर कोविड संकट के दौरान जब हमने जरूरतमंदों की मदद की थी, या यूक्रेन जैसे संघर्षों के वक्त जहां हमने प्रभावित लोगों तक जरूरी सामान पहुंचाए थे। तो हमारे कार्यों से ही बहुत कुछ पता चलता है। उन्होंने बताया कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग के अपने वादे को पूरा करने के लिए प्रभावित इलाकों तक जरूरी चीजें पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है। विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर ने यह भी बताया कि कई बार हमारे पड़ोसी देश, जैसे प्याज की कमी होने पर, अतिरिक्त मदद मांगते हैं। इससे यह पता चलता है कि सकारात्मक और दोनों देशों के लिए फायदेमंद रिश्ते बनाए रखना कितना जरूरी है।

विदेश नीति और व्यापार दोनों में ही कभी-कभी परेशानी आना आम बात है। जयशंकर ने कहा कि लेकिन हम इनका समाधान ढूंढते हैं और आगे बढ़ते हैं, और अंत में सफलता प्राप्त करते हैं। ये टिप्पणी नेपाल के अपने नोटों में कुछ भारतीय इलाकों को शामिल करने के फैसले को लेकर बढ़ते तनाव के बीच आई है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच राजनयिक चर्चा हो रही है। नेपाल की मंत्रिमंडल की बैठक में शुक्रवार को 100 रुपये के पर नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा छापने का फैसला किया गया है, जिसमें विवादित इलाके लिपुलेख , लिम्पियाधुरा और कालापानी को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है।

मई 2020 की शुरुआत में, नेपाल के नक्शा विभाग ने जमीन प्रबंधन मंत्रालय को एक नया नक्शा सौंपा था। इस नए नक्शे में वो इलाके भी शामिल थे जो पहले के नक्शे में नहीं दिखाए गए थे। विभाग का दावा है कि इस नक्शे में सही पैमाना, दिशा और निर्देशांक प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। मई 2020 के मध्य में, नेपाल की ओर से अपने राजनीतिक नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को शामिल करने के बाद नेपाल और भारत के बीच तनाव बढ़ गया था। ये वो इलाके हैं जिन्हें भारत ने अपने नवंबर 2019 के नक्शे में शामिल किया था। 2032 ईस्वी में जारी किए गए पुराने नक्शे में गुंजी, नाभी और कुरिया गांवों को शामिल नहीं किया गया था। हाल ही में संशोधित नक्शे में इन गांवों को शामिल कर लिया गया है, जिससे कुल क्षेत्रफल 335 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है। भारत ने कोविड-19 महामारी और यूक्रेन जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के दौरान अपने पड़ोसी देशों की मदद की है, जिससे भारत की छवि सकारात्मक बनी है। जयशंकर ने आगे कहा कि अगर आप पूरी तस्वीर देखें, खासकर कोविड संकट के दौरान जब हमने जरूरतमंदों की मदद की थी, या यूक्रेन जैसे संघर्षों के वक्त जहां हमने प्रभावित लोगों तक जरूरी सामान पहुंचाए थे। तो हमारे कार्यों से ही बहुत कुछ पता चलता है।8 मई 2020 को लिपुलेख कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाली सड़क के उद्घाटन के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे। इस उद्घाटन का विरोध करते हुए नेपाल ने भारत को एक राजनयिक नोट सौंपा था। इस राजनयिक नोट को सौंपने से पहले भी, नेपाल ने भारत की ओर से सड़क बनाने के एकतरफा फैसले का कड़ा विरोध किया था। नेपाल के कड़े विरोध के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर जाने वाली यह सड़क पूरी तरह भारत के क्षेत्र में आती है।

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