आज हम आपको बताएंगे कि आखिर स्त्री धन क्या होता है! वर्तमान में देश में विरासत पर विवाद छिड़ा हुआ है, इसी बीच एक और मामला सामने आया जिसमें एक पत्नी के द्वारा अपने पति पर केस कर दिया गया और वह भी इसलिए क्योंकि पति ने अपनी पत्नी का स्त्री धन प्रयोग किया, लेकिन उसे वापस लौट आया नहीं… आज हम आपको इस केस और उससे संबंधित नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें स्त्री धन और उसके उपयोग एवं उसके कानूनी संरक्षण के बारे में जानकारी दी गई है! आपको बता दें कि विवाहित महिलाओं के स्त्रीधन पर उनके अधिकार को मजबूत करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘स्त्रीधन’ दंपत्ति की संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती है और पति का अपनी पत्नी की संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है। हालांकि वह मुसीबत के समय स्त्रीधन का इस्तेमाल तो कर सकता है, लेकिन बाद में उसे वापस लौटाना होगा।
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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्त्रीधन को लेकर दायर एक वैवाहिक विवाद पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘महिला को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है, जिसमें शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मिलीं हुईं सभी चीज़ें शामिल हैं, जैसे कि माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले उपहार – धन, गहने, जमीन, बर्तन आदि।’ यही नहीं पीठ ने कहा कि ‘यह महिला की पूर्ण संपत्ति है और उसे अपने इच्छानुसार बेचने या रखने का पूरा अधिकार है। पति का उसकी इस संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है। वह मुसीबत के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन फिर भी, उसका यह दायित्व है कि वह उसी संपत्ति या उसके मूल्य को अपनी पत्नी को वापस कर दे। इसलिए, स्त्रीधन पति-पत्नी की संयुक्त संपत्ति नहीं बनती है और पति के पास इसका स्वामित्व या स्वतंत्र अधिकार नहीं है।’ बता दे कि स्त्रीधन में वह हर चीज आती है जो महिलाओं को विवाह से पहले और विवाह के समय या विवाह के बाद मिलती है. इसमें सभी चल, अचल संपत्ति उपहार आदि शामिल होते हैं. यहां तक कि विवाह, बच्चे के जन्म के दौरान और महिला के विधवा होने के दौरान. महिलाओं को अपने स्त्रीधन पर पूर्ण अधिकार है. किसी भी प्रकार की चल और अचल संपत्ति जैसे नकदी, आभूषण, जमा राशि, किसी भी रूप में निवेश, जो कुछ भी आपको मिला है और अचल संपत्ति स्त्रीधन बन सकती है. दुल्हन की बारात में दिए गए उपहार, यानी जब दुल्हन को उसके निवास स्थान से ले जाया जा रहा हो, उसके पति के माता-पिता, प्यार की निशानी में दिए गए उपहार, यानी जो उसके ससुर और सास और उन लोगों ने दिए हों, दुल्हन द्वारा बड़ों के चरणों में प्रणाम करते समय बनाया गया तोहफा आदि, दुल्हन के पिता द्वारा दिए गए उपहार, दुल्हन की मां द्वारा दिए गए उपहार, दुल्हन के भाई द्वारा दिए गए उपहार- भी इसमें शा्मिल है.
अदालत ने यह भी कहा कि अगर स्त्रीधन का बेईमानी से दुरुपयोग किया जाता है तो पति या उसके परिवार के सदस्यों पर IPC की धारा 406 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में फैसला अपराधिक मामलों की तरह ठोस सबूतों के आधार पर नहीं, बल्कि इस बात की संभावना के आधार पर किया जाना चाहिए कि पत्नी का दावा ज्यादा मजबूत है। आइए अब आपको पूरा मामला समझाते हैं, बता दे कि एक महिला ने आरोप लगाया कि उसके गहने शादी के पहले ही दिन उसके पति ने ले लिए थे और रिश्ते में खटास आने के बाद और उनके अलग होने के फैसले के बाद उसने अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया। 2009 में पारिवारिक अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और उसके पति को उसे 8.9 लाख रुपये देने का आदेश दिया, लेकिन केरल हाईकोर्ट ने आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि पत्नी यह साबित करने में असफल रही है कि उसका ‘स्त्रीधन’ उसके पति ने लिया था। यही नहीं जुलाई, साल 2023 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था, स्त्रीधन संपत्ति संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती. वह महिला की निजी संपत्ति है. स्त्रीधन को महिला अपनी खुशी के लिए खर्चने का पूरा अधिकार रखती है और इस पर पति का अधिकार नहीं होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में जोड़ा कि पति किसी संकट के दौरान इसका उपयोग कर सकता है मगर वह अपनी पत्नी को उसका मूल्य या संपत्ति लौटाए, यह उसका नैतिक फर्ज है.
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