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आखिर कौन होगा अमरोहा का आने वाला सांसद?

आज हम आपको बताएंगे कि आखिर अमरोहा का आने वाला सांसद कौन होगा! उत्तर प्रदेश की अमरोहा लोकसभा सीट पर राजनीति इस बार कुछ अलग ही दिखी। जिस प्रकार का चुनावी माहौल यहां बना, उसने मतदाताओं के सामने कई ऑप्शन रख दिए। लोकसभा सीट पर जीत का समीकरण तैयार करने की कोशिश में तमाम दल दिखे। अमरोहा लोकसभा सीट कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा है। यहां पर मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में मुस्लिम वोट बैंक को साधकर जीत दर्ज करने की कोशिश करते तमाम विपक्षी दल दिखे हैं। अमरोहा सीट कांग्रेस-सपा गठबंधन के तहत कांग्रेस के पाले में गई। कांग्रेस ने यहां से कुंवर दानिश अली को उम्मीदवार बनाया। कुंवर दानिश अली बसपा के टिकट पर जीत दर्ज कर वर्ष 2019 में लोकसभा तक का सफर तय कर चुके हैं। वे एक बार फिर लोकसभा सीट का गणित साधने में जुटे रहे।बहुजन समाज पार्टी ने अमरोहा से मुजाहिद हुसैन को टिकट देकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सपा-बसपा गठबंधन के तहत यह सीट बसपा के पास वर्ष 2019 में गई थी। उस समय समय बसपा के टिकट पर उतरे कुंवर दानिश अली ने बदले समीकरण के जरिए इस सीट पर जीत का परचम लहरा दिया। 2019 में मोदी-योगी लहर के बाद भी दानिश अली समीकरण साधने में सफल रहे। एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में वह उसी प्रकार का करिश्मा दोहराने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अमरोहा का इतिहास रहा है कि यहां से लगातार दो बार कोई भी उम्मीदवार जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं रहा। इसलिए, उनकी चुनौती बढ़ी हुई है। इस बार अधिक मतदान को अग्रेसिव वोटिंग के रूप में माना जा रहा है। अमरोहा लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव के परिणाम को देखें तो समीकरण कुछ-कुछ साफ होता दिखता है। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में कुंवर दानिश अली बसपा-सपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्होंने 51.41 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। कुंवर दानिश अली को 6,01,082 वोट मिले थे। वहीं, भाजपा के कंवर सिंह तंवर को 5,37,834 वोट मिले और वह दूसरे स्थान पर रहे। इस प्रकार, दानिश अली 63,248 वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए। भाजपा के कंवर सिंह तंवर को इस चुनाव में 46 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार सचिन चौधरी 1.07 फीसदी वोट हासिल करने में ही कामयाब हो पाए थे।

2014 के लोकसभा चुनाव को इसी आधार पर देखें तो उस समय भारतीय जनता पार्टी के कंवर सिंह तंवर ने 45.24 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी की हुमेरा अख्तर 31.7 फीसदी वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रही थीं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी की फरहत हसन 13.94 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा के कंवर सिंह तंवर को 5,28,880 वोट मिले थे। वहीं, सपा की हुमेरा अख्तर को 3,70,066 वोट मिले थे। बसपा की फरहत हसन 1,62,983 वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे।

पिछले दो लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखें तो भाजपा के वोट प्रतिशत में कोई बड़ा बदलाव होता नहीं दिखा है। वहीं, बसपा के साथ सपा का वोट बैंक जैसे ही 2019 के चुनाव में जुटा, अमरोहा का रिजल्ट बदल गया। 2019 में अमरोहा में कांग्रेस कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है। लोकसभा सीट पर कांग्रेस को करीब चार दशकों से जीत का इंतजार है। वहीं, इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार को बसपा की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। रालोद के साथ आने से जाट वोट बैंक भी एकजुट है। इससे भाजपा की उम्मीदें बढ़े वोट प्रतिशत के साथ बढ़ती दिख रही हैं।

बहुजन समाज पार्टी ने 2019 में जीती इस सीट को एक बार फिर जीतने की कोशिश की है। मायावती स्वयं इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए उतरीं। उन्होंने दानिश अली को विश्वासघाती करार देते हुए मुस्लिम-दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की। अन्य वर्गों को भी जोड़ने की कोशिश करती मायावती दिख रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्षत्रियों की नाराजगी को दूर करने के लिए जिस प्रकार से बसपा ने लामबंदी की है। उसका असर अमरोहा लोकसभा सीट पर दिखने की उम्मीद पार्टी करती दिख रही है।

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 की हार के बाद खुद को बूथ स्तर पर मजबूत किया है। भाजपा उम्मीदवार कंवर सिंह तंवर ने हिंदू वोट बैंक को एक पाले में लाने की कोशिश की है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यों के आधार पर वह वोट मांगते नजर आए। अमरोहा में जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनावी रैली को संबोधित किया। यहां पर अपनी बातों को रखा। उसने क्षेत्र के चुनावी समीकरण को गर्मा दिया था। अब चार जून को आने वाले रिजल्ट में इस सीट पर वोटरों की ओर से ईवीएम में कैद किए गए मतदान का रिजल्ट आएगा तो स्थिति साफ होगी।

यूपी की 8 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को वोटिंग हुई। करीब 54.85 फीसदी वोटिंग इस दौरान दर्ज की गई। लेकिन, अमरोहा में गरमाए चुनावी समीकरण के बीच जबर्दस्त मतदान देखने को मिला। करीब 64.02 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई है। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2019 से करीब 5 फीसदी कम मतदान होने की भी बात कही जा रही है। अमरोहा के जातीय समीकरण को अगर आप देखें तो यहां मुस्लिम आबादी करीब 42 फीसदी है। इसके बाद जाटव करीब 13 फीसदी हैं। इनके अलावा राजपूत 8 प्रतिशत, जाट 7 फीसदी, खागी 7 प्रतिशत, सैनी 5 फीसदी, गुर्जर 4 फीसदी और अन्य वोट बैंक करीब 4 प्रतिशत इस क्षेत्र में हैं। मायावती के साथ जाटव वोट बैंक का जाना तय माना जा रहा है। साथ ही, मुजाहिद हुसैन के साथ भी मुस्लिम वोट बैंक जुड़ सकता है। वहीं, दानिश अली मुस्लिम के साथ अन्य वोट बैंक पर नजर गड़ाए रहे। हालांकि, उनके पक्ष में कोई बड़ा नेता क्षेत्र में नहीं उतर पाया। वहीं, कंवर सिंह तंवर दो मुस्लिम उम्मीदवारों की लड़ाई के बीच अपनी जीत का समीकरण 2014 की तरह तलाशने में जुटे रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी डॉ. मुजाहिद हुसैन राजनीतिक परिवार से आते हैं। 59 वर्षीय मुजाहिद के पिता का नाम जाहिद हुसैन है। वे गाजियाबाद के दस विस्ता बड़ा बाजार, डासना के रहने वाले हैं। डासना धौलाना विधानसभा क्षेत्र में शामिल है। इसलिए वे खुद को हापुड़ का बताते हैं। मुजाहिद ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीयूएमएस किया है। हालांकि, वे डॉक्टरी सेवा से जुड़े नहीं हैं। शाहबेरी में उनका अपना बाजार है। यही उनकी आजीविका का साधन है। मुजाहिद के भाई साजिद हुसैन डासना नगर पंचायत के तीन बार अध्यक्ष रहे हैं। अभी इनकी पत्नी बागे जहां अध्यक्ष हैं। मुजाहिद पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। अमरोहा से सीधा कोई नाता नहीं है। हालांकि, उनके लिए प्रचार करने स्वयं मायावती अमरोहा में उतरी। इसके बाद उनके पक्ष में माहौल बनने लगा। वे खुद गांव-गांव में प्रचार करते देखे गए। इसलिए, उन्हें चुनावी मुकाबले में माना जा रहा है।

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