आज हम आपको बताएंगे कि रामानंद सागर की रामायण आखिर पहली बार कैसे शूट हुई थी! साल 1987-88 में रामानंद सागर ने ऐसी ‘रामायण’ टीवी पर दिखाई कि आज भी उसके बारे में बातें होती हैं। उनके काम की तारीफ होती है और किरदारों को आज भी भगवान समझा जाता है। मौजूदा समय में तो तकनीकि ने बहुत ही विकास कर लिया है। VFX का दौर आ गया है। मन में सोची हुई चीज चुटकियों में पर्दे पर उतार दी जाती है। लेकिन उस वक्त ऐसा नहीं था। रामानंद सागर ने उस दौर में काफी दिक्कतें झेलीं लेकिन दर्शकों को इसका इल्म भी नहीं होने दिया। उन्होंने अगरबत्ती और रुई का ऐसी-ऐसी जगहों पर इस्तेमाल किया, जिसका अंदाजा आप 1000 बार उस सीरीज को देखकर भी नहीं लगा सकते। रामायण’ बनी और आज तक की सबसे पॉप्युलर टीवी सीरीज साबित हुई। मगर क्या आप जानते हैं, इसको बनाने का ख्याल कहां से आया। दरअसल, रामानंद सागर की बॉयग्राफी ‘फ्रॉम बरसात टू रामायण’ में उनके बेटे प्रेम सागर ने बताया था कि जब 1976 में फ्रांस में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी स्टारर फिल्म ‘चरस’ की शूटिंग चल रही थी, तो रामानंद सागर एक कैफे में गए थे। वहां टीवी पर रंगीन फिल्म को देख उन्होंने तय किया कि अब वह टीवी की दुनिया मे कदम रखेंगे और भगवान पर आधारित सीरियल्स बनाएंगे। भारत आकर उन्होंने काम शुरू कया और 10 साल की मेहनत के बाद ‘रामायण’ लेकर आए। जिसकी शूटिंग 550 दिनों तक चली और हर एक एपिसोड के पीछे करीब 9 लाख रुपये का खर्चा होता था।
Related Articles
रामायण’ में कई सारे सीन्स हैं, जिनके पीछे अपनी एक अलग ही कहानी है। पहला सीन वो जहां पर हनुमान बने दारा सिंह ने लक्ष्मण का किरदार निभा रहे सुनील लहरी को अपने कंधे पर बिठाया था। News18 से बात करते हुए, सुनील लहरी ने बताया था कि उस वक्त दारा सिंह की उम्र 62 थी। और उन्होंने उस अवस्था में 70 किलो के सुनील लहरी को कंधे पर बिठाया था। ‘रामायण में एक सीन था जिसमें दारा सिंह को मुझे अपने कंधों पर उठाना था। उस वक्त मैं 70 किलो का था। मैंने उनसे पूछा कि हम सीन के लिए एक स्टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं और बाद में हम इसे काट सकते हैं। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।’ प्रेम सागर ने ही एक बार एक इंटरव्यू में इस धारावाहिक की शूटिंग से जुड़े कुछ और तथ्यों का जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि कैसे उनके पिता रामानंद सागर ‘रामायण’ की शूटिंग के वक्त कोहरे के लिए अगरबत्ती के धुएं का इस्तेमाल करते थे। उनके मुताबिक, जब सुबह का सीन दिखाना होता था तो अगरबत्ती के धुएं से कोहरा दिखाया जाता था। और रात के सीन के लिए रुई से बादल बनाकर टांगे जाते थे। क्योंकि उस वक्त VFX की सुविधा नहीं होती थी।प्रेम सागर ने बताया था कि रात की शूटिंग के वक्त शीशे पर रुई लगा दी जाती थी। फिर उसको कैमरे पर फिट कर देते थे। इतना ही नहीं, इफेक्ट्स के लिए स्लाइड प्रोजेक्टर में इस तरह की स्लाइड भी इस्तेमाल की गई थीं। वहीं, हिमालय पर भगवान शिव के तांडव वाले सीन के लिए भी ब्रैकग्राउंड में एक स्क्रीन का इस्तेमाल किया गया था। उसके बाद प्रोजेक्टर की मदद से वहां ग्रहों को दिखाया गया था।
धारावाहिक में युद्ध के दौरान तीरों के चलने पर सुनाई देने वाली आवाजें, बादल का गजरना, समंदर की लहरों में उफान की आवाजें, सभी के लिए सोनी का स्पेशल इफेक्ट जेनरेटर SEG 2000 का इस्तेमाल किया गया था। उस वक्त ये नया-नया आया था, बता दे कि उस वक्त ऐसा नहीं था। रामानंद सागर ने उस दौर में काफी दिक्कतें झेलीं लेकिन दर्शकों को इसका इल्म भी नहीं होने दिया। उन्होंने अगरबत्ती और रुई का ऐसी-ऐसी जगहों पर इस्तेमाल किया, जिसका अंदाजा आप 1000 बार उस सीरीज को देखकर भी नहीं लगा सकते। रामायण’ बनी और आज तक की सबसे पॉप्युलर टीवी सीरीज साबित हुई। मगर क्या आप जानते हैं, इसको बनाने का ख्याल कहां से आया। दरअसल, रामानंद सागर की बॉयग्राफी ‘फ्रॉम बरसात टू रामायण’ में उनके बेटे प्रेम सागर ने बताया था कि जब 1976 में फ्रांस में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी स्टारर फिल्म ‘चरस’ की शूटिंग चल रही थी, तो रामानंद सागर एक कैफे में गए थे। जिसके बारे में लोग जानते नहीं थे। इसके अलावा ग्साल मैटिंग का भी सहारा इफेक्ट्स के लिए किया गया था।
The post आखिर पहली बार कैसे शूट हुई थी रामानंद सागर की रामायण? appeared first on MojoPatrakar.
This post first appeared on नोटों पर तसà¥à¤µà¥€à¤° के मामले में कà¥à¤¯à¤¾ होगा फैसला?, please read the originial post: here