Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

जब पूर्व वायुसेना कॉर्पोरल को चढ़ाया गया था संक्रमित खून!

एक समय ऐसा था जब पूर्व वायुसेना कॉर्पोरल को संक्रमित खून चढ़ाया गया था! सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सेना और वायु सेना को संयुक्त रूप से 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। यह राशि एक पूर्व वायु सेना कॉर्पोरल को दी जानी थी, जिसे 2002 में एक सैन्य अस्पताल में खून चढ़ाने के बाद एचआईवी हो गया था। सरकार ने पिछले साल 26 सितंबर को कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें सेना और वायु सेना को सैन्य कर्मियों के लिए हाई सेफ्टी स्टैंडर्ड को सुनिश्चित करने में विफल रहने में मेडिकल लापरवाही का दोषी पाया गया था। 2016 में रिटायर हुए कॉर्पोरल को मुफ्त मेडिकल केयर और विकलांगता पेंशन सहित अन्य सुविधाएं देने का भी फैसला दिया गया था। 3 अप्रैल को, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पीबी वराले ने आदेश में कहा कि समीक्षा के तहत कोर्ट के निर्णय और आदेश में कोई खामी नहीं है। न ही कोई स्पष्ट त्रुटि है, जिससे इसमें पुनर्विचार की आवश्यकता हो। वायुसेना के उस जवान ने, जिसकी पहचान कोर्ट ने गुप्त रखी है, छह महीने तक मुआवजे का भुगतान न किए जाने के बाद अवमानना याचिका दायर की थी। पिछले महीने, अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह तुरंत उनकी विकलांगता पेंशन, मंथली अस्पताल विजिट के लिए 25,000 रुपये का भत्ता और अतिरिक्त राशि जारी करे।

पीड़ित एयरमैन 1996 में वायुसेना में भर्ती हुए थे और पाकिस्तान के साथ सैन्य कार्रवाई, ऑपरेशन पराक्रम के दौरान जुलाई 2002 में उन्हें सैन्य अस्पताल में दूषित खून चढ़ाया गया था। मुंबई के एक नौसेना अस्पताल में मई 2014 तक उन्हें एचआईवी का पता नहीं चला था। सितंबर में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के मूल फैसले में, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सेना और वायुसेना को मेडिकल लापरवाही के लिए ‘विकृत रूप से उत्तरदायी’ ठहराया था। इसके साथ ही एचआईवी पॉजिटिव जवान को 1.5 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने ने उस समय वायुसेना को आर्मी से आधी राशि तक की रिम्बर्समेंट लेने की अनुमति दी गई थी (जो उस फील्ड अस्पताल की प्रभारी थी जहां खून चढ़ाया गया था)। 95 करोड़ रुपये की मांग करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने अगस्त 2021 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने अपील की थी।जस्टिस भट ने लिखा कि इस तरह के व्यवहार से हुए नुकसान की भरपाई का कोई भी मुआवजा नहीं कर सकता, जिसने अपीलकर्ता की गरिमा की नींव हिला दी है। उसे सम्मान से वंचित कर दिया है और उसे न केवल हताश कर दिया है, बल्कि निराशावादी भी बना दिया है।

कोर्ट के फैसले में कहा गया कि लोग देशभक्ति के जज्बे और काफी उत्साह के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होते हैं। अपनी जान जोखिम में डालने और अपने जीवन के अंतिम बलिदान के लिए तैयार रहते हैं। वायु सेना जवान की पत्नी ने उसकी हालत के कारण उसे छोड़ दिया था। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद, एयरमैन ने लापरवाही के लिए वायु सेना से 95 करोड़ रुपये की मांग करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने अगस्त 2021 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने अपील की थी।

हाल ही में अवमानना कार्यवाही में, एमिकस क्यूरी वंशजा शुक्ला ने चेतावनी दी थी कि इम्यून सिस्टम हेल्थ का संकेत देने वाले याचिकाकर्ता की सीडी4 काउंट 256 के चिंताजनक स्तर तक गिर गई है। अगर यह 200 से नीचे चली जाती है, तो वह एड्स का मरीज बन जाएगा। समीक्षा के तहत कोर्ट के निर्णय और आदेश में कोई खामी नहीं है। न ही कोई स्पष्ट त्रुटि है, जिससे इसमें पुनर्विचार की आवश्यकता हो। वायुसेना के उस जवान ने, जिसकी पहचान कोर्ट ने गुप्त रखी है, छह महीने तक मुआवजे का भुगतान न किए जाने के बाद अवमानना याचिका दायर की थी। पिछले महीने, अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह तुरंत उनकी विकलांगता पेंशन, मंथली अस्पताल विजिट के लिए 25,000 रुपये का भत्ता और अतिरिक्त राशि जारी करे।वंशजा शुक्ला ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र की ओर से उसे मुआवजा देने में देरी से उसके स्वास्थ्य और जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह शेष मुआवजे को दो सप्ताह के भीतर अपनी रजिस्ट्री में जमा करे। साथ ही ये भी कहा कि वह 16 जुलाई को फैसले के अनुपालन की समीक्षा करेगी।

The post जब पूर्व वायुसेना कॉर्पोरल को चढ़ाया गया था संक्रमित खून! appeared first on MojoPatrakar.

Share the post

जब पूर्व वायुसेना कॉर्पोरल को चढ़ाया गया था संक्रमित खून!

×

Subscribe to नोटों पर तस्वीर के मामले में क्या होगा फैसला?

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×