कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने तथा ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पर काम शुरू किया गया है। सरकार द्वारा देश को वैश्विक अक्षय हाइड्रोजन का हब बनाने के लिए हाइड्रोजन वैली निर्माण का फैसला लिया है। ये हब देश के तीन विभिन्न भागों में बनाया जाएगा।
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हाइड्रोजन वैली बनाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सरकारी और निजी क्षेत्र से प्रस्ताव की मांग की है। डीएसटी के मुताबिक़ हाइड्रोजन वैली का खुलासा करते हुए जानकारों ने बताया कि ये एक ऐसी हाइड्रोजन घाटी होगी जहां हाइड्रोजन का उत्पादन एक से अधिक क्षेत्रों में किया जा सकेगा।
हाइड्रोजन वैली निर्माण के लिए अभी तक स्थानों का चयन नहीं हुआ है लेकिन कयास है कि उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर क्षेत्र में इनका निर्माण किया जाएगा। इसके लिए तीन अलग-अलग चरणों में काम किया जाएगा। अनुमान है कि ये 2050 तक चलेगा। मिशन के तहत डीएसटी हाइड्रोजन उत्पादन के लिए वैली का निर्माण करेगा जबकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय हाइड्रोजन नीतियों व योजनाओं की निगरानी करेगा।
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