सीएसई यानी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने भारतीय मौसम विभाग मिले आंकड़ों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ इस साल प्री-मानसून माह भारत के इतिहास का सबसे गर्म महीना रहा है।
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जानकारी के मुताबिक़ 2010 के बाद से 2022 के प्री मानसून महीने को सबसे गर्म महीना पाया गया। इसका कारण ट्रैफिक, उद्योगों, हीट-आईलैंड, एसी के बढ़ते उपयोग और कचरे को बताया जा रहा है। हीट आईलैंड उन सतहों को कहते हैं जहाँ गर्मी जमा होती है। इससे शहरों का तापमान दिन ढलने पर भी कम नहीं हो पाता और गर्मी बनी रहती है।
सीएसई की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में अत्याधिक गर्मी ने सभी का ध्यान खींचा है। इस बार गर्मी पूरे देश में पैर पसारती नज़र आई है। शहराें में घटते तालाब, कम होती हरियाली के नतीजे में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
प्री-मानसून का समय मार्च से मई तक माना जाता है। रिपोर्ट में मिली जानकारी के मुताबिक़ लू से वर्ष 2000 से 2020 के बीच 20,615 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इसके अलावा जून से सितंबर के बीच तापमान प्री-मानसून महीनों से 0.3 से 0.4 डिग्री अधिक रिकॉर्ड हुआ है। पोस्ट-मानसूनी महीनों यानी अक्तूबर से दिसंबर में यह वृद्धि 0.73 और सर्दियों के महीनों जनवरी व फरवरी में 0.68 डिग्री अधिक रही। साथ ही 1951 से 1980 के तापमान के आधार पर इस दशक में औसत तापमान 0.49 डिग्री अधिक रिकॉर्ड किया गया है।
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