एहतमाली खेती का अर्थ और परिभाषा:
एहतमाली खेती का अर्थ है किसी और की जमीन पर, उसकी सहमति से, किराए पर खेती करना, जिसके बदले में जमीन के मालिक को फसल का एक हिस्सा दिया जाता है।। यह एक प्रकार का ठेका खेती है, जहाँ जमीन का मालिक (जमींदार) और किसान (मुज़ारेदार) के बीच एक अनुबंध होता है। अनुबंध में किराए की राशि, फसल बँटवारे का तरीका, और खेती की शर्तें तय होती हैं। यह खेती व्यवस्था भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों में आम है।
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एहतमाली खेती के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
- बटाईदारी: इस प्रणाली में, किसान और जमीन के मालिक फसल के उत्पादन को एक निश्चित अनुपात में बांटते हैं। यह अनुपात आमतौर पर 50:50 होता है, लेकिन यह क्षेत्र और फसल के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकता है।
- मांगी: इस प्रणाली में, किसान जमीन के मालिक को फसल का एक निश्चित हिस्सा देता है, जो आमतौर पर फसल की कुल मात्रा का एक निश्चित प्रतिशत होता है।
एहतमाली खेती के कुछ लाभ और नुकसान निम्नलिखित हैं:
एहतमाली खेती के लाभ:
- यह भूमिहीन किसानों को खेती करने का अवसर प्रदान करता है।
- यह जमीन मालिकों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करता है।
- यह जोखिम साझा करने में मदद करता है, क्योंकि किसान और जमीन मालिक दोनों फसल की विफलता के जोखिम को साझा करते हैं।
एहतमाली खेती के नुकसान:
- किसानों को अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता है, क्योंकि उन्हें फसल का एक हिस्सा जमीन मालिक को देना होता है।
- जमीन मालिकों को फसल की गुणवत्ता पर कम नियंत्रण होता है।
- यह प्रणाली शोषण का कारण बन सकती है, यदि जमीन मालिक किसानों का शोषण करते हैं।
एहतमाली खेती का वाक्य प्रयोग:
- विकास एक एहतमाली किसान है। वह अपने पड़ोसी की जमीन पर गेहूं की खेती करता है और फसल का आधा हिस्सा उसे देता है।
- दिनेश एक जमीन मालिक है। वह अपनी जमीन को एहतमामी पर देता है और फसल का 30% हिस्सा प्राप्त करता है।
- एहतमाली खेती भारत में एक आम प्रथा है, खासकर गरीब किसानों के बीच।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एहतमाली खेती एक जटिल मुद्दा है और इसके कई पहलू हैं। इस प्रणाली के बारे में अधिक जानने के लिए, आप कृषि अर्थशास्त्र या ग्रामीण विकास से संबंधित पुस्तकों और लेखों का अध्ययन कर सकते हैं। आशा है कि इस आर्टिकल से आपको एहतमाली खेती का अर्थ हिंदी में समझ आ चुका होगा।
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