राजस्थान में चुनावी बिसात बिछ चुकी है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। सत्ता पक्ष अपने कामों को लेकर जनता के बीच जा रही है तो कांग्रेस सपनों को। जी हां, सुनने में भले ही अजीब सा लगे, लेकिन ये सच है। ये वो कड़वा सच है जो कांग्रेस भले ही नहीं सुनना चाहती, लेकिन जनता जानना जरूर चाहती है। ‘किसान मर रहा है,’ ‘आत्महत्या कर रहा है।’ ‘किसानों को मुआवजा नहीं मिला।’ ‘एक और किसान ने की आत्महत्या।’ इस तरह की खबरें मीडिया में आम हो चली है। कारण भी स्पष्ट है, अन्नदाता अब चुनावी मुद्दा जो बन गया है।
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