नई दिल्ली/शिमला : भारतीय सेना के साथ साझा य़ुद्धभ्यास करने के लिए इन दिनों ओमान सेना की एक टुकड़ी हिमाचल प्रदेश आई हुई है. खाड़ी और अरब-देशों में ओमान अकेला ऐसा देश है जो भारत के साथ संयुक्त युद्धभ्यास करता है. इस युद्धभ्यास का मकसद दोनों देशों की सेनाओं के बीच समन्वय और सहयोग को मजबूत करने के साथ-साथ आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति बनना है.
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जवानों और उग्रवादियों के बीच ‘मुठभेड़’ के हालात बनाए गए हैं
बारिश के बीच पहाड़ी रास्ते पर एक नाके पर जवानों और उग्रवादियों के बीच ‘मुठभेड़’ के हालात बनाए गए हैं. इस ड्रिल में दोनों देशों के सैनिक उग्रवादियों की एक कार को रोकने का आदेश देते हैं. क्योंकि, सैनिकों को सूचना मिली थी कि एक कार में उग्रवादी आईईडी और हथियारों के साथ जा रहे हैं. इसको इंटरसेप्ट करने के लिए नाके पर जाल बिछाया गया, लेकिन आतंकियों ने सैनिकों पर फायरिंग कर दी.
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बकलोह में इसी तरह से काउंटर इनसर्जेंसी और एंटी-टेरेरिस्ट ड्रिल
बावजूद इसके भारत और ओमान के सैनिकों ने आपसी सहयोग के जरिए एक उग्रवादी को मौके पर ही ढेर कर दिया और दूसरे को जिंदा पकड़ लिया. यानि दोनों देशों की सेना का ज्वाइंट ऑपरेशन सफल रहा. अल-नागाह का शाब्दिक अर्थ भी ‘सफल’ होना है. पिछले दो हफ्तों से ओमान की सेना की एक टुकड़ी भारतीय सेना के साथ हिमाचल प्रदेश के बकलोह में इसी तरह से काउंटर इनसर्जेंसी और एंटी-टेरेरिस्ट ड्रिल कर रही हैं.
6 मार्च को शुरु हुई ये एक्सरसाइज 19 मार्च तक चलेगी
6 मार्च को शुरु हुई ये एक्सरसाइज 19 मार्च तक चलेगी. इस एक्सरसाइज में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे के हथियारों को चलाने की ट्रैनिंग से लेकर आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों की रणनीति कैसी हो इस पर चर्चा कर रहे हैं. इस युद्धभ्यास में ये भी सिखाया जा रहा है कि अगर दोनों देशों की सेनाओं को अगर जरुरत पड़ने पर एक साथ लड़ना पड़ा तो किस तरह से एक दूसरे का सहयोग और समन्वय करना होगा.
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कैसे इशारा किया जाता है ये भी युद्धभ्यास का हिस्सा है
इसके लिए ही एक दूसरे की भाषा और संकेतों से कैसे इशारा किया जाता है ये भी युद्धभ्यास का हिस्सा है. दोनों देशों की इंफेंट्री बटालियन के 60-60 सैनिक इस युद्धभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय सेना के प्रवक्ता के मुताबिक, इस तरह की सैन्य-अभ्यास से ज्वाइंट ऑपरेशन करने की क्षमता को बढ़ावा मिलता है और सैन्य संबंध भी मजबूत होते हैं. ये दूसरी बार है जब भारत और रॉयल आर्मी ऑफ ओमान साझा युद्धभ्यास कर रही हैं.
एक्सरसाइज ओमान की राजधानी मस्कट में 2015 में हुई थी
पहली अल-नागाह एक्सरसाइज ओमान की राजधानी मस्कट में 2015 में हुई थी. खाड़ी का एक छोटा लेकिन संपन्न देश है ओमान. ओमान की सेना बेहद छोटी है. लेकिन वो मुस्लिम देशों की सेनाओं के संगठन, इस्लामिक मिलेट्री एलायंस का हिस्सा तो है ही, साथ ही अरब-देशों द्वारा आईएसआईएस के खिलाफ जो जंग छेड़ रखी है, उसे भी नैतिक तौर पर मदद करता है. यही वजह है कि भारत के लिए ओमान जैसे देश की सेना के साथ साझा-युद्धभ्यास बेहद अहम हो जाता है.
पाकिस्तानी सेना के पूर्व मुखिया राहिल शरीफ कर रहे हैं
बताते चलें की इस्लामिक मिलेट्री एलायंस का नेतृत्व इन दिनों पाकिस्तानी सेना के पूर्व मुखिया राहिल शरीफ कर रहे हैं. खाड़ी क्षेत्र में ओमान भारत का एक मित्र-राष्ट्र है. ओमान से भारत के ऐतिहासिक और वाणिज्यिक संबंध रहे हैं. लेकिन हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग भी काफी बढ़ गया है. इस साल के शुरूआत में ओमान वायुसेना के चीफ भारत आए थे. मौका था गुजरात के जामनगर में दोनों देशों की वायुसेना के साझा-युद्धभ्यास, ‘ईस्ट्रन ब्रिज’ का.
यूएई और ओमान की आधिकारिक यात्रा पर गए थे
हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा भी यूएई और ओमान की आधिकारिक यात्रा पर गए थे. भारतीय नौसेना भी ओमान के साथ साझा युद्धभ्यास कर चुकी है. बेंगलुरु में पिछले महीने संपन्न हुए एयरो-शो में भी ओमान के डेलीगेशन ने हिस्सा लिया था. इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में भी एक दूसरे खाड़ी देश, यूएई की सेना की टुकड़ी ने राजपथ पर भारतीय सेना के साथ मार्च-पास्ट में हिस्सा लिया था.