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चन्द माहिए 102 /12 होली पर

 चन्द माहिए 102/12 [होली पर]


;1:

दिन आज गुलालों का

मान ज़रा रख ले

इस मन के ख़यालों का ।


:2:

क्यों रंग लगाता है

दिल तो अपना है

क्यों दिल न मिलाता है?

:3:

आई होली आई

आज अवध में भी

खेले चारो भाई

:4:

हर दिल पर छाई है

होली की मस्ती

गोरी घबराई है

:5:

पूछे है अमराई

फागुन तो आया

गोरी क्यूँ नहीं आई ?

-आनन्द पाठक-


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चन्द माहिए 102 /12 होली पर

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