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क्षणिका 05

 चन्दन वन से


जब बबूल बन से गुज़रोगे
क्या पाओगे ?
राहों में बस काँटे  काँटे
दूर दूर तक  बस सन्नाटे ।
चन्दन बन से जब गुज़रोगे 
एक सुगन्ध 
भर जाएगी साँसों में
 सजग मगर रहना होगा
शाखों से लिपटे साँपों से ।

-आनन्द.पाठक-



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क्षणिका 05

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