चन्दन वन से
जब बबूल बन से गुज़रोगे
क्या पाओगे ?
राहों में बस काँटे काँटे
दूर दूर तक बस सन्नाटे ।
चन्दन बन से जब गुज़रोगे
एक सुगन्ध
भर जाएगी साँसों में
सजग मगर रहना होगा
शाखों से लिपटे साँपों से ।
-आनन्द.पाठक-
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