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गीत 82 : सरस्वती वंदना [2024]



सरस्वती वंदना


जयति जयति माँ वीणापाणी ,

मन झंकृत कर दे, माँ भारती वर दे !


तेरे द्वारे खड़ा अकिंचन. भक्ति भाव से है पुष्पित मन,

सुर ना जानू, राग न जानू और न जानू पूजन अर्चन !


कल्मष मन में घना अँधेरा. ज्योतिर्मय कर दे,

माँ भारती वर दे !


छन्द छन्द माँ तुझे समर्पित, राग ताल से हो अभिसिंचित

जब भी तेरे गीत सुनाऊँ , शब्द शब्द हो जाएँ हर्षित ।


अटक न जाए कहीं रागिनी, स्वर प्रवाह भर दे ।

माँ भारती वर दे !


’सत्यम शिवम सुन्दरम ’-लेखन,बन जाए जन-मन का दरपन

गूँगों की आवाज़ बने माँ, क़लम हमारी करे नव-सॄजन  ।


शक्ति स्वरूपा बने लेखनी, शक्ति पुंज भर दे ।

माँ भारती वर दे !


मैं अनपढ़ माँ, अग्यानी मन, हाथ जोड़ कर, करता आवाहन,

गीत ग़ज़ल के अक्षर अक्षर तेरे हैं माँ तुझको अर्पन !


चरण कमल में शीश झुकाऊँ, भक्ति प्रखर कर दे।

माँ भारती वर दे ! 


-आनन्द.पाठक-




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