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गीत 83 : शरण में राम की आना [ भाग 2]

 

गीत 83 : शरण में राम की आना---[भाग 2

कटॆ जब आस की डोरी, बिखर जाएँ सभी सपने
जीवन में हो कुछ पाना, शरण में राम की आना ।

जहाँ आदर्श की बातें, 
सनातन धर्म का प्रवचन
तुम्हारे सामने होगा-
प्रभु श्री राम का जीवन

सतत संघर्ष की गाथा, विजय श्री प्राप्त होने तक
झलक श्री राम की पाना, शरण में राम की आना ।

वचन कैसे निभाते हैं,
कि क्या होती है मर्यादा
राजसी ठाठ को तज कर 
जिया जीवन सदा सादा ।

अगर कुछ सीखना तुमको कि जीने का तरीका क्या
स्वयं में राम दुहराना ,शरण में राम की आना ।

परीक्षा माँ सिया ने दी
प्रतीक्षा उर्मिला ने की
भरत ने राज आसन पर
प्रभू की पादुका रख दी ।

तपस्या त्याग क्या होती ,स्वयं में राम कॊ ढूँढों ।
समझ आए. समझ जाना, शरण में राम की आना

-आनन्द.पाठक-

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