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प्राण प्रतिष्ठा [ 22 जनवरी ] के पावन अवसर पर--श्री राम लला के पावन चरणों मे
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मेरी लेखनी की एक अकिंचन भेंट ------
एक गीत
उदासी मन में छाए तो, अँधेरा बढ़ता जाए तो,
तनिक भी तुम न घबराना. शरण में राम की आना।
करें जब राम का सुमिरन
कटे बंधन सभी ,प्यारे !
हृदय में ज्योति जल जाए
लगें सब लोग तब न्यारे ।
अकेला मन भटक जाए, समझ में कुछ नही आए,
सही गर राह हो पाना, शरण में राम की आना ।
राम के नाम की महिमा,
सदा नल-नील ने जानी ,
कि तरने लग गए पत्थर
झुका सागर भी अभिमानी
अहम जब सर पे चढ़ जाए, सभी बौने नज़र आएँ
पड़े तुमको न पछताना, शरण में राम की आना ।
जगत इक जाल माया का,
फँसा रहता तू जीवन भर
कभी तो सोच ऎ प्राणी !
है करना पार भव सागर ।
जगत जब तुझको भरमाए, कि माया तुमको ललचाए
धरम को भूल मत जाना, शरण में राम की आना ।
-आनन्द.पाठक-
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