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गीत 81 : शरण में राम की आना


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प्राण प्रतिष्ठा [ 22 जनवरी ] के पावन अवसर पर--श्री राम लला के पावन चरणों मे 

मेरी लेखनी की  एक अकिंचन भेंट ------


एक गीत


उदासी मन में छाए तो, अँधेरा बढ़ता जाए तो,

तनिक भी तुम न घबराना. शरण में राम की आना।


करें जब राम का सुमिरन

कटे बंधन सभी ,प्यारे !

हृदय में ज्योति जल जाए

लगें सब लोग तब न्यारे ।


अकेला मन भटक जाए, समझ में कुछ नही आए,

सही गर राह हो पाना, शरण में राम की  आना ।


राम के नाम की महिमा,

सदा नल-नील ने जानी ,

कि तरने लग गए पत्थर

झुका सागर भी अभिमानी


अहम जब सर पे चढ़ जाए, सभी बौने नज़र आएँ

पड़े तुमको न पछताना, शरण में राम की आना ।


जगत इक जाल माया का,

फँसा रहता तू जीवन भर

कभी तो सोच ऎ प्राणी !

है करना पार भव सागर ।


जगत जब तुझको भरमाए, कि माया तुमको ललचाए

धरम को भूल मत जाना, शरण में राम की  आना ।


-आनन्द.पाठक-


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