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गीत 78 : सजनी ! तुम रनिंग कमेन्टरी हो


एक हास्य गीत


सजनी ! तुम रनिंग कमेन्टरी हो दो पल को शान्त न होती हो ।


जब तुम हँसना शुरू कर दो, ’सिद्धू’ पा की हस्ती क्या

जब तुम ’बकना’ शुरु कर दो, छक्का लगने की मस्ती क्या

है कौन जो आऊट हो न सके, स्पीनिंग’ चाल तुम्हारी हो

जब ’किट्टी पार्टी ’ करती हो तो घर क्या है गॄहस्थी क्या ।


मेरे पेन्शन का कैश झपट, मुझे  ’कैच आउट’ कर देती हो ।

सजनी ! तुम रनिंग कमेन्टरी हो ---


तेरे बेलन का एक प्रहार ज्यों धोनी की बल्लेबाजी

मेरा गंजा सर ’बाल’ समझ. कुछ ठों गई बेलनबाजी

क्या होगी कही ’क्रिकेट’ जगत में तेरी मेरी जैसी जोड़ी

मेरा दौड़ दौड़ कर ’रन’ लेना, तेरी उचक,उचक ’कलछुल’ बाजी


मैके जाने की धमकी से,मुझे ’क्लीन बोल्ड’ कर देती हो ।

सजनी ! तुम रनिंग कमेन्टरी हो ----


क्या भगवन ऐसे पाप किए जो सास बनी है ’अम्पायर’

जीवन की गाड़ी चली कहाँ ,जब चारो पंचर हो ’टायर’

हम मैच में मैं ’इंजर्ड’ हुआ. हर ’इनिंग’ जीत हुई तेरी

तेरी फ़ील्डिंग’ तेरी ’बैटिंग’ क्यों मार रही ’कट-स्कवायर"


अपने गुस्से का रुप दिखा, मुझे घर से बाहर कर देती हो

सजनी ! तुम रनिंग कमेन्टरी हो -----


-आनन्द.पाठक-


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