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गीत 77 :जगह जगह है मारा-मारी,

 एक गीत : जगह जगह है मारा-मारी,


जगह जगह है मारा-मारी, अब चुनाव की है तैयारी ।


चूहे-बिल्ली एक मंच पर. 

साँप-कबूतर इक कोटर में

जब तक रहे चुनावी मौसम,

 भगवन दिखें उन्हे ’वोटर’ मे


नकली आँसु  ढुलका ढुलका, जता रहे हैं दुनियादारी

जगह जगह मै मारा मारी---


घर घर बाँट रहे हैं रेवड़ी -

मुफ़्त में बिजली मुफ़्त में पानी

’कर्ज़ तुम्हारा हम भर देंग”-

झूठों की यह अमरित बानी


बात निभाने की पूछो तो कहते है बस-" है लाचारी"

जगह जगह है मारा-मारी, ---


नोट-वोट की राजनीति है

आदर्शों की बात कहाँ है

धुँआ वही से उठता दिखता

"रथ" का पहिया रुका जहाँ है

ऊँची ऊँची बाते लेकिन, उलफ़त पर है नफ़रत भारी

जगह जगह है मारा-मारी, ----


नया सवेरा लाने निकले

गठबंधन कर जुगनू सारे

राह रोकने को सूरज की

साथ आ गए है अँधियारे

इक अनार है सौ बीमार हैं,गठबंधन की है दुश्वारी ।

जगह जगह है मारा-मारी, ---


-आनन्द पाठक---



जगह जगह है मारा-मारी, अब चुनाव की है तैयारी ।


चूहे-बिल्ली एक मंच पर. 

साँप-कबूतर इक कोटर में

जब तक रहे चुनावी मौसम,

 भगवन दिखें उन्हे ’वोटर’ मे


नकली आँसु  ढुलका ढुलका, जता रहे हैं दुनियादारी

जगह जगह मै मारा मारी---


घर घर बाँट रहे हैं रेवड़ी -

मुफ़्त में बिजली मुफ़्त में पानी

’कर्ज़ तुम्हारा हम भर देंग”-

झूठों की यह अमरित बानी


बात निभाने की पूछो तो कहते है बस-" है लाचारी"

जगह जगह है मारा-मारी, ---


नोट-वोट की राजनीति है

आदर्शों की बात कहाँ है

धुँआ वही से उठता दिखता

"रथ" का पहिया रुका जहाँ है

ऊँची ऊँची बाते लेकिन, उलफ़त पर है नफ़रत भारी

जगह जगह है मारा-मारी, ----


नया सवेरा लाने निकले

गठबंधन कर जुगनू सारे

राह रोकने को सूरज की

साथ आ गए है अँधियारे

इक अनार है सौ बीमार हैं,गठबंधन की है दुश्वारी ।

जगह जगह है मारा-मारी, ---


-आनन्द पाठक---


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