221---1222// 221--1222
जब दिल मे कभी उनका,इक अक्स उतर आया
दुनिया न मुझे भायी दिल और निखर आया
ऐसा भी हुआ अकसर सजदे में झुकाया सर
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ख्वाबों मे कभी उनका चेहरा जो नजर आया
कैसी वो कहानी थी सीने मे छुपा रख्खी
तुमने जो सुनाई तो इक दर्द उभर आया
दो बूँद छलक आए नम आँख हुई उनकी
चर्चा में कहीं मेरा जब जख्म ए जिगर आया
अंजाम से क्या डरते क्यों लौट के हम आते
खतरों से भरे रस्ते दौरान ए सफर आया
क्या क्या न सहे हमने दम तोड़ दिए सपने
टूटे हुए सपनों से जीने का हुनर आया
मालूम नही तुझको, क्या रस्म-ए-वफा उलफत
क्या सोच के तू 'आनन', कूचे मे इधर आया
--आनन्द पाठक-
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