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क़िस्त 97/07 [होली 2023]

 क़िस्त 97/07 [होली 2023]

1

होली के दिन आए

आए न बालमवा

मौसम भी तड़पाए


2

रंगों का है मौसम

खेल रहे कान्हा

राधा भी कहाँ है कम


3

है प्रेम का रंग ऐसा

रंग अलग कोई

चढ़ता ही नहीं वैसा


4

होली का मज़ा क्या है

रंग लगा मन पे

इस तन में रखा क्या है


5

गोरी हँस कर बोली

" मन ही नहीं भींगा

फिर कैसी यह होली


-आनन्द.पाठक-


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क़िस्त 97/07 [होली 2023]

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