ग़ज़ल 370
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मेरे सवाल का अब वो जवाब क्या देगा
इधर उधर की सुना कर उसे घुमा देगा
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वो अपने आप को शायद ख़ुदा समझता है
नशा यही है जो इक दिन उसे डुबा देगा ।
यह बात और की है, आप क्यों परीशाँ है
ये वक़्त ही है जो सबको सबक़ सिखा देगा ।
हुनर कमाल का उसका, न कोई सानी है
नहीं हो आग जहाँ, वह धुआँ उठा देगा ।
वही है मुफ़्त की बिजली वही चुके वादे
घिसे पिटे से हैं नारे, नया वो क्या देगा ।
जुबान पर है शहद और सोच में फ़ित्ना
खबर किसी को न होगी वो जब दग़ा देगा ।
अब उसकी बात का ’आनन’ बुरा नहीं लेता
सिवा वो झूठ के अब और मज़ीद क्या देगा ।
-आनन्द.पाठक -
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