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दोहे 12

 
दोहे 12

रथयात्रा ने कर दिए गाँव शहर में पाँक
कमल उगाने की कशिश,दिल्ली पर है झाँक

घोटाले उगने लगे यत्र तत्र चहुँ ओर
चार कदम चलने लगे वह तिहाड़ की ओर

नित वादों के जाल बुन रहें मछलियाँ फ़ाँस
जनता भी अब सजग हुई ,नहीं फ़टकती पास

एक लक्ष्य बस एक रट, एक आत्मविश्वास
कुर्सी कैसे मिल सके आजीवन यही प्रयास

पत्र पुष्प नैवेद्य से रहता सदा विमुख
ऐसा नेता आज का ,कभी न पावै सुख

बिना तेल की ’लालटेन’ ज्योती रही बिखेर
आस पास उजियार है, दीपक तले अँधेर

शुभ्र धवल वस्त्र देख कर बगुला भी शरमाय
नेता जी ध्यानस्थ हैं ,’लछमिनियाँ’ मिल जाए

-आनन्द.पाठक-

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