दोहे 14
शब्दों की बाजीगरी नेता जी का खेल
वैचारिक प्रतिबद्धता, हुई हाथ की मैल
सेनाएँ सजने लगी, शुरू चुनावी युद्ध
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जनता चुप ह्वै देखती , कौन ग़लत कौन शुद्ध
नेता जी मुर्च्छित हुए देख चुनाव परिणाम
जनता खोटी हो गई व्यर्थ गयौ मेरे दाम
देश प्रेम सेवा समाज , कुरसी के उपनाम
जब चुनाव ही हार गए अब क्या इनका काम
वोट दिया दिल्ली गए, संसद में कुहराम
’बुधना’ बैठा गाँव में . देख कहत ’हे राम!
सभी पार्टियां एक रंग ,नारे की हैं खान
जब आवैं मंत्री धन. सब धन धूरि समान
नारा दे दे जमा किए वोट बैंक में वोट
बाहुबली ने लूट लिए दिखा दिखा के नोट
-आनन्द.पाठक-
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