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अनुभूतियाँ 136/23 : राम लला पर [ भाग-2]

अनुभूतियां~136/23 : रामलला पर [ भाग-2]  [ भाग -1 देखें 131/18 ]

 :1:

मंदिर का हर पत्थर पावन
प्रांगण का हर रज कण चंदन
हाथ जोड़ कर शीश झुका कर
राम लला का है अभिनंदन


:2:

हो जाए जब सोच तुम्हारी

राग द्वेष मद मोह से मैली

राम कथा में सब पाओगे

जीवन के जीने की शैली ।


:3: 

एक बार प्रभु ऐसा कर दो

अन्तर्मन में ज्योति जगा दो

काम क्रोध मद मोह  तमिस्रा

मन की माया दूर भगा दो ।


:4:

श्याम वर्ण मृदु हास अधर पर

अनुपम छवि पर हूँ बलिहारी

कृपा करो हे राम सियापति

आया हूँ प्रभु ! शरण तिहारी 


-आनन्द पाठक-

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अनुभूतियाँ 136/23 : राम लला पर [ भाग-2]

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