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अनुभूतियाँ 135/22

:1:

एक भरोसा टूट गया जो
बाक़ी क्या फिर रह जाएगा
आँखों में जो ख़्वाब सजे है
पल भर में सब बह जाएगा

:2:
जाने की गर सोच रही हो
जाओ ,कोई बात नहीं फिर
अगर लौट कर आने का मन
खड़ा मिलूँगा तुम्हें यहीं फिर 

:3:
बिला सबब जब करम तुम्हारा
होता है, दिल घबराता है
मीठी मीठी बातें सुन सुन
जाने क्यों दिल डर जाता है

 :4:
शब्दों के आडंबर से कब
सत्य छुपा करता है जग में
बहुत दूर तक झूठ न चलता
गिर जाता है पग दो पग में

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अनुभूतियाँ 135/22

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