क्षणिका 08
सच खुद उठ कर ---
सत्य ढूँढना, माना मुश्किल
झूठ फूस की ढेरी से
धुआँ धुआँ फैला देते हो
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सच है तो फिर सच उठ्ठेगा
भले उठे वह देरी से ।
झूठ मूठ के पायों पर
खड़ा तुम्हारा सिंहासन
आज नहीं तो कल डोलेगा
सच खुद उठ कर सच बोलेगा ।
-आनन्द पाठक-
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