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हड्डियों के जोड़ मजबूत कैसे करें?Haddiyon ko kaise majbut banayen




अगर आप सोंचते हैं कि आप जवान हैं और आपकी हड्डी अभी कमजोर नहीं हो सकती, तो आप बिल्कुल गलत हैं। जाने माने हड्डी के सर्जन का कहना है कि आज कल लोगों को कम ही उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी विकार) होने का खतरा पहले की तुलना में ज्यादा बढ गया है।
अगर आप अपने भोजन में कैल्शियम युक्त भोजन नहीं लेते तो आपके घुटने कुछ ही दिनों में कमजोर हो जाएंगे। अगर घुटना किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त हो गया तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल है।अच्छा है कि आप अपने भोजन में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें, जो आपके घुटनों के लिये अच्छे हों।

हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन व अन्य कई प्रकार के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं। किंतु अनियमित जीवनशैली, खान-पान व शारीरिक निष्क्रीयता की वजह से ये मिनरल खत्म होने लगते हैं, जिससे हड्डियों का घनत्व (बोन डेंसिटी) कम होने लगता है और धीरे-धीरे वो घिसने और कमजोर होने लगती हैं। कई बार हड्डीयों में यह कमजोरी इतनी हो जाती है कि मामूली सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो जाता है।
जॉइंट्स यानी हड्डियों का जोड़ हमें मजबूती देने के साथ-साथ ईजी मोबिलिटी में भी मदद करते हैं। ऐसे में अगर जॉइंट्स स्मूथली काम न करे तो हमें कई तरह की परेशानियों और दर्द का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा ये बेहद जरूरी है कि जॉइंट्स के साथ हमारा अच्छा रिश्ता बना रहे।
भारत मे आज कल हड्डियों से जुड़ी समस्या बहुत आम बात हो गई है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। आज हर दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को हड्डी से जुड़ी कोई न कोई समस्या घेरे रहती है। पर ध्यान रहे, हड्डियां रातों-रात कमजोर नहीं होतीं। यह प्रक्रिया सालों-साल चलती है। डॉक्टरों का मानना है कि 15-25 वर्ष तक की उम्र में हड्डियों का मास यानी द्रव्यमान पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। ऐसे में बचपन और युवावस्था के समय का खान-पान, पोषण, जीवनशैली और व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत को निर्धारित करने वाले कारक बनते हैं।हड्डियों कमजोर होने के कारण और हड्डियों का खोखलापन होने से सिल्पडिकस, थोड़ी सी चोट से टुट जाना, हड्डियों का दर्द होना, हड्डी भूरभरी होना आदि|

हड्डियों से जुड़ी समस्या के उपचार -

पिस्ता, अखरोट और बादाम-

ये कुछ ऐसे ड्राई फ्रूट्स हैं जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटमिन ई, प्रोटीन और अल्फा-लिनोलेनिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। खासकर अखरोट में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस से छुटकारा पाने में मदद करता है।


पालक

ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर पालक ऑस्टियोआर्थराइटिस को कम करने में मदद करने के साथ ही सूजन, जलन और दर्द को भी कम करता है। आप चाहें तो पालक का सूप, जूस, पालक की सब्जी या फिर कई अलग-अलग तरीकों से पालक को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं।

पपीता : 

पपीते में ढेर सारा विटामिन सी होता है। रिसर्च में पाया गया है कि जिन लोगों के अदंर विटामिन सी की कमी होती है उनमें जोड़ो का दर्द आम बात है।

*ब्रॉकली

*ब्रॉकली मे सल्फोराफेन पाया जाता है जो जोड़ों के दर्द की तकलीफ को कम करने के साथ ही रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। ब्रॉकली खाने का ढेरों फायदा आपको मिले इसके लिए इसे अपने सलाद या फिर स्टर-फ्राई सब्जी में यूज करें।

मछली

साल्मन, ट्यूना और ट्रॉट जैसी मछलियों की वरायटी में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में होता है जो सूजन-जलन और उत्तेजना से लड़कर जोड़ों के दर्द को तुरंत कम करने में मदद करता है। इन मछलियों में विटमिन डी की मात्रा भी काफी अधिक होती है जो आर्थराइटिस और उस जैसी कई बीमारियों के लक्षणों को कम करता है।

गुड़ और तिल :

20 ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।

जोड़ मजबूत करने के निम्न उपाय भी बहुत महत्व पूर्ण है-

१) रिफाईनड तेल खाना छोड दें । रिफाइंड तेल में ज्यादा लाईपो कैमिकल होता है और यह शरीर के केल्सियम को मूत्र के जरिये बाहर निकालता है। केल्शियम अल्पता से अस्थि-भंगुरता होती है। रिफाइंड की बजाय कच्ची घाणी का तेल प्रचुरता से उपयोग करें।
२) प्रतिदिन बाजरा और तिल का तेल उपयोग करें। यह ओस्टियो पोरोसिस( अस्थि मृदुता) का उम्दा इलाज है।खोखली और कमजोर अस्थि-रोगी को यह उपचार अति उपादेय है।
३) एक चम्मच शहद नियमित तौर पर लेते रहें। यह आपको अस्थि भंगुरता से बचाने का बेहद उपयोगी नुस्खा है।
४) दूध केल्सियम की आपूर्ति के लिये श्रेष्ठ है। इससे हड्डिया ताकतवर बनती हैं। गाय या बकरी का दूध भी लाभकारी है।
५) विटामिन “डी ” अस्थि मृदुता में परम उपकारी माना गया है। विटामिन डी की प्राप्ति सुबह के समय धूपमें बैठने से हो सकती है। विटामिन ’डी” शरीर में केल्सियम संश्लेशित करने में सहायक होता है।शरीर का २५ प्रतिशत भाग खुला रखकर २० मिनिट धूपमें बैठने की आदत डालें।
६) एक गेहूं के दाने के समान चूना तरल पदार्थ में मिलाकर खाये, यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं ।(पथरी का रोगी चुना ना खाये)
७) तिल के उत्पाद अस्थि मृदुता निवारण में महत्वपूर्ण हैं। इससे औरतों में एस्ट्रोजिन हार्मोन का संतुलन बना रहता है। एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी महिलाओं में अस्थि मृदुता पैदा करती है।तिल का तेल उत्तम फ़लकारक होता है।
८) केफ़िन तत्व की अधिकता वाले पदार्थ के उपयोग में सावधानी बरतें। चाय और काफ़ी में अधिक केफ़िन तत्व होता है। दिन में बस एक या दो बार चाय या काफ़ी ले सकते हैं।
९) बादाम अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है। ११ बादाम रात को पानी में गलादें। छिलके उतारकर गाय के २५० मिलि दूध के साथ मिक्सर या ब्लेन्डर में चलावें। नियमित उपयोग से हड्डियों को भरपूर केल्शियम मिलेगा और अस्थि भंगुरता का निवारण करने में मदद मिलेगी।
१०) बन्द गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढता है जो महिलाओं मे अस्थियों की मजबूती बढाता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्जी प्रचुरता से इस्तेमाल करें।
११) नये अनुसंधान में जानकारी मिली है कि मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं,पालक,अनानास,तिल और सूखे मेवों में पाया जाता है। इन्हें भोजन में शामिल करें।
१२) विटामिन “के” रोजाना ५० मायक्रोग्राम की मात्रा में लेना हितकर है। यह अस्थि भंगुरता में लाभकारी है।
१३) सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हड्डियों की मजबूती के लिये नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाये रखें।
१४) भोजन में नमक की मात्रा कम कर दें। भोजन में नमक ज्यादा होने से सोडियम अधिक मात्रा मे उत्सर्जित होगा और इसके साथ ही केल्शियम भी बाहर निकलेगा।
१५) २० ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।


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