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जानें मालिश के होते हैं अनगिनत फ़ायदे, Malish karne ke fayde


  दिनभर की थकान के बाद कई बार लोग इतना ज्यादा थक जाते हैं कि उन्हें रात में नींद तक नहीं आती. ऐसे में नींद पूरी ना होने के कारण आप बीमार भी हो सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिक थकान होने पर पैरों के तलवों का मालिश करने से आपको सुकून भरी नींद मिल सकती हैं. इसके साथ ही पैरों की मालिश करने से कई तरह के रोगों से भी छुटकारा मिल सकता है

  नियमित रूप से प्रतिदिन तेल की मालिश करने से क्षीण देह का लाभ बढ़ता है, बुढापा दूर भागने लगता है । बहुत-से पुराने रोग, जैसे- पुराना अपच, वायु पित्त, बवासीर, अनिद्रा. पुराना मलेरिया, ब्लड प्रेशर आदि रोगों में मालिश से काफी सुधार होता है।
 जो व्यक्ति शारीरिक रूप से दुर्बल हैं, ओर जिनका वजन स्वाभाविक रूप से कम है, उनको तेल की मालिश करने से अत्यधिक लाभ मिलता है । उनका शरीर जल्दी-से-जल्दी तेल सोखने में सक्षम होता है । थोड़े ही दिनों के पश्चात् उनका वजन बढ़ने लगता है । बच्चों व वृद्धों को भी तेल मालिश से बहुत लाभ मिलता है । सर्दी के दिनों में प्रतिदिन धूप में बैठकर तेल मालिश करने से हमारे शरीर को विटामिन ‘डी’ प्राप्त होता है ।
  सरसों के तेल से मालिश करने से बदन दर्द से राहत मिलती है| बदन-दर्द से छुटकारे के लिए सरसों के तेल में लहसुन, हींग, और अजवाईन मिलाकर इस तेल को गर्म करके मालिश की जाती है|
सिर की मालिश सरसों तेल से करने के भी फायदे हैं| इससे सर का दर्द तो दूर होता ही है, इसके साथ-साथ बालों को भी लाभ मिलता है| सरसों के तेल से नियमित रूप से मालिश करने से बाल घने, काले, और मजबूत बनते हैं| इसकी गंध थोड़ी तीखी होती है, इसलिए अगर आपको इसकी गंध से परेशानी हो तो मालिश करने के आधे से एक घंटे के बाद आप बालों में शैम्पू कर लें|
  सरसों के तेल से आप सिर्फ सर में या शरीर की त्वचा पर ही नहीं, बल्कि दांतों और मसूड़ों की भी मालिश कर सकती हैं| सरसों के तेल में थोडा सा रॉक साल्ट मिलाकर इस घोल से दांतों और मसूड़ों पर मालिश करने से दांत साफ़ होते हैं और मजबूत भी बनते हैं| इससे मसूड़ों की सडन, और दांतों के दर्द की समस्या भी दूर होती है| 
   • भरपूर मात्रा में विटामिन ई होने के कारण सरसों का तेल प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह भी काम करता है| नियमित रूप से चेहरे और शरीर के बाकी हिस्सों की त्वचा पर सरसों तेल की मालिश करने से आप अपनी त्वचा पर मौजूद झुर्रियों को भी कम कर सकते  हैं|
  मालिश से कमजोरी व थकान दूर होती है । मालिश से मोटापा कम और दुबलापन दूर होता है । मालिश से बालों का टूटना रुक जाता है । मालिश से शरीर की त्वचा नहीं फटती एवं झुर्रियाँ नहीं पडती, बल्कि त्वचा में निखार आता है।
  फेफडों, आँतों, गुर्दों को ताकत मिलती है, जिससे ये विशेष अंग शरीर के विकारी (मल+दोषों) को तेजी से बाहर निकाल कर शरीर को स्वस्थ बनाये रखते हैं ।
शरीर में कोमलता व लचीलापन रहने से बच्चों में विकास ठीक से होता है ।
  पाचन-शक्ति में सुधार, अंगों की उत्तेजना और यकृत को शक्ति मिलती है । स्नायु-दोर्बल्य, दमा, कज्ज, सिरदर्द, संघिवात, पक्षाघात, मोटापा, ‘ चर्म रोग, कुरूपता आदि रोगों को दूर करने के लिये मालिश बहुत लाभकारी है ।

पैरो के तलवों पर सरसों तेल मालिश के फायदे

आंखों की रौशनी :

  रोज रात में सोने से पहले अगर पैरों के तलवों पर सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाए तो आंखों की रोशनी तेज होती हैं। अगर आपको नींद अच्छी नहीं आती तो आप यह नुस्खा आपके लिए बैस्ट है। साथ ही इससे शरीर स्वस्थ और मजबूत बना रहता है।

  ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करे अर्थात खून का दौरा सुचारु करे :

 सारा दिन टाईट जूते और अन्य तरह के फुटवियर पहनने से पैरों के तलवों तक खून का दौरा सुचारु रूप से नही हो पाता है। इस अवरुद्ध हुये खून के दौरे को सुचारू करने के लिये पैरों की मालिश सर्वोत्तम उपाय है।
 सोने से पहले 10 से 20 मिनट तक पैरों और तलवों की मालिश करने से पैरों के अंतिम हिस्से तक खून का दौरा सुचारू हो जाता है। यह मालिश उन लोगों के लिये विशेष रूप से लाभकारी है जिनको मधुमेह रोग के कारण तलवों में सुन्नपन की समस्या पैदा होने लगी है।
शारीरिक सौंदर्य ओर यौवन की स्थायी रखने के लिए मालिश किया जाना आवश्यक है । मालिश करने के आधे घण्टे बाद बेसन को घोलकर शरीर पर मलें और इसके बाद स्नान करें । इससे शरीर के रोम-रोम खुलकर साफ हो जाते है और सौंदर्य बढ़ता है ।
 गर्भवती स्त्रियों को प्रतिदिन कुछ समय धूप में बैठकर तेल मालिश करनी चाहिए। इससे उनके शरीर से बच्चों की हड्डियां को पुष्ट करने में हुई कैल्शियम की कमी पूर्ण हो जाती है, किंतु गर्भवतियों को पेट पर मालिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पेट में पल रहे शिशु को चोट पहुँचने की आशंका रहती है ।

मालिश करने की विधि-

ऐसे करें मालिश

• सबसे पहले सिर की मसाज करनी चाहिए। ध्यान रहे कि मालिश हल्के-हल्के हाथों से करें। सिर के साथ ही चेहरे की भी मालिश करें। इसके बाद हल्के हाथों से गर्दन पर मालिश करें।

• गर्दन के बाद कंधों पर गोल-गोल तरीके से मालिश करें। फिर हाथों पर उंगलियों की दिशा में मालिश करें। कोहनियों और कलाइयों पर भी गोल-गोल मसाज करें।
• इसके बाद शरीर के आगे के हिस्से (सीना और पेट) की मालिश करें। यहां ज्यादा जोर न लगाएं। आगे के हिस्से में महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल, फेफड़े आदि होते हैं। इसलिए आगे की ओर ज्यादा देर तक मसाज नहीं करनी चाहिए।
• कमर पर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करना बेहतर माना जाता है। कमर पर मालिश के दौरान उंगलियों से थोड़ा दबाव बनाना बेहतर रहता है।
टांग पर मालिश जांघ से पैर की ओर करनी चाहिए। घुटनों पर गोल-गोल मालिश करें। तलुवों पर ऐड़ी से उंगलियों की ओर मसाल करें।
• सिर की मसाज के लिए रूम टेम्प्रेचर पर रखे तेल और बाकी हिस्सों के लिए गुनगुने तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
• मालिश कराने के करीब 15 मिनट बाद नहाया जा सकता है। नहाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
तेल की मालिश  पाँव की अंगुलियों तथा टाँगों से शुरू करके ऊपर बढ़े । पहले टाँगों की मालिश करें फिर दोनों बाजुओं की, फिर पेट और छाती की, उसके बाद पीठ की और सबके अन्त में मुख ओर सिर की मालिश करें।
  मालिश नीचे से ऊपर की ओर करें । मालिश सरसों के तेल से करना अच्छा है । नारियल का तेल भी काम में ले सकते हैं । तेल की शीशी भरकर कुछ दिन धूप में रखें, इससे सूर्य की किरणे तेल में समाहित हो जायेंगी । यह तेल अधिक लाभदायक है |
  शरीर की मालिश गर्म हाथों से करें । हथेलियों को आपस में रगड लें । इससे वो गर्म हो जायेंगी । फिर मालिश करें। सिर और चेहरे की ठंडे हाथों से मालिश करें। इसके लिए हाथों को पानी से धोये, फिर मालिश करें ।
मालिश सही तरीके से धीरे-धीरे सहन-शक्ति के अनुसार करें। मालिश पूरे शरीर की करें। मालिश की शुरुआत पैर के तलुओं एवं अँगुली से एड़ी तक, पेर के घुटने एवं जाँघ तक, फिर पेट की मालिश दायें से बाएं नाभि के चारों ओर गोलाकार हल्के हाथ से करें । फिर छाती, चेहरे, सिर, गर्दन, पीठ व कमर की मालिश करते हुए हाथ और हाथों की अँगुलियों की यानि क्रमबद्ध विधि से मालिश करें ।
  कान, नाक, गला, आंख, मस्तिष्क य पेट की हल्के हाथों से एवं बाकी शरीर के अंगों की सहनशक्ति के अनुसार मालिश करनी चाहिए। मालिश करने में जल्दबाजी न करें, जल्दबाजी से थकान आती है । मालिश करते समय मन में यह भाव रहे कि मेरे सारे शरीर में प्राण ऊर्जा आ रही है ।
शरीर पर तेल की मालिश करते समय उस अंग पर ध्यान दें और सोचें कि उस अंग को पर्याप्त शक्ति मिल रही है और रोग दूर हो रहे है ।
फर्श, धरती पर दरी या चटाई बिछाकर मालिश करनी चाहिए।
मालिश धीरे-धीरे कुछ दबाव देते हुए करें । मालिश आधा या पौन घंटे तक करना पर्याप्त है ।
बुखार, कब्ज या खाना न पचा होने पर उपवास करने, रात में देर तक जागने पर या अधिक थकान होने पर या पेट में आवं होने पर मालिश नहीं करें ।
सुबह शौच आदि के बाद जब पेट खाली हो, तभी मालिश करना ठीक होता है । मालिश के बाद गुनगुने गर्म पानी से स्नान करने के बाद शरीर तौलिये से रगड़-रगड़ का पोंछे ।
  मालिश के समय व्यक्ति को गहरे लम्बे साँस लेना चाहिए। मालिश भूखे पेट या खाने के तीन घण्टे बाद करनी चाहिए। ज्वर और सूजन की अवस्था में मालिश करने के कम-से-कम आधा घण्टे बाद स्नान करना चाहिए।वजन कम करे : शरीर में मोटापे की वजह जमा हो रही चर्बी है। यह कई बीमारियों का भी कारण बनती हैं। हर रोज सोने से पहले 5 मिनट पैरों के तलवों का मालिश करने से शरीर में जमा चर्बी पिघलने लगती है। जिससे वजन कम होना शुरू हो जाता है।

अच्छी नींद लाये : 

सारे दिन की भाग-दौड़ के बाद शाम होते होते दिमाग बहुत ज्यादा थकने लगता है जिस कारण बहुत से लोग शांतिपूर्वक नही सो पाते है और उनकी नींद पूरी रात बार बार टूटती है। यदि ऐसे परेशान लोग रोज रात को सोने से पहले 10-15 मिनट तक अपने पैरों पर मालिश करें तो यह पैरों की बेचैनी को खत्म करके शांतिपूर्वक नींद आने में सहायता करता है।

तनाव और अधीरता को भगाये : 

हम लोग अधिकतर तनाव और अधीरता में रहते ही हैं। पैरों की मालिश तनाव और हड़बड़ी को घटाने में बहुत मदद कर सकती है। यह दिमाग को शांति पहुचाने के अलावा और भी बहुत से लाभ कर सकती है।
मालिश करते समय तलवों पर अलग अलग हिस्सों पर अतिरिक्त दवाब देनें से नाड़ीतंत्र सही होता है और पूरे शरीर में आराम महसूस होता है जिससे तनाव में बहुत लाभ होता है। दवाब हाथों से देने के अतिरिक्त एक्यूप्रेशर वाले फुटपैड़ भी प्रयोग किये जा सकते हैं।

पैरों के दर्द से राहत :

 अच्छी तरह से की गयी मालिश पैरों और पैरों की माँशपेशियों को बहुत अच्छी तरह से आराम पहुँचाती है साथ ही साथ पैरों पर आयी हुयी सूजन भी मालिश से उतर जाती है जिस कारण से पैरों के दर्द में बहुत आराम होता है । यदि मलिश करने से पहले पैरों को हल्के गुनगुने पानी से धो लिया जाये तो परिणाम और भी बेहतर होते हैं।

डिप्रेशन से पा सकते हैं छुटकारा

जिन लोगों को स्ट्रेस, डिप्रेशन जैसी समस्याएं हैं, उन्हें भी पैरों के तलवों में फुट ऑयल मसाज करना चाहिए। पैरों और हाथों पर तेल मालिश करने से डिप्रेशन, चिंता और तनाव की समस्या (Foot Oil Massage Benefits) दूर होती है। अंगूठे के बीच के भाग को उंगलियों से दबाएं। ऐसा दो से तीन मिनट तक करें। दिन में 2 बार दोहराएं। इससे तनाव से छुटकारा मिलता है। मन-मस्तिष्क से आप रिलैक्स महसूस करेंगे।रक्तचाप कम करता है : चूंकि दिन भर जूते पहने रहने से पैर के अंतिम भाग तक खून का दौरा सही से नही पहुँच पाता है अत: दिल ज्यादा जोर से पम्पिंग करके इस समस्या को दूर करने की कोशिश करता है जिस कारण से बाकि पूरे शरीर में रक्त्चाप बढ़ने का खतरा रहता है। यदि रात को तलवों में मालिश की जाये तो पैरों का रक्तदवाब सही रहता है और इस समस्या से बचा जा सकता है।

पैरों की मालिश का सही तरीका

एक बड़े बरतन में गुनगुना पानी भरिये और उसमें अपनी पसंद का कोई भी तेल 5-6 बूँद ड़ालिये।
10 मिनट के लिये अपने पैरों को इसमें डुबाकर बैठ जाइये और फिर एक सूती तौलिये से पैरों को दबा-दबा कर पोंछ लीजिये। अब एक कुर्सी पर आराम से बैठ जाइये।
अपने सीधे पैर के तलवे को उल्टे पैर के घुटने पर टिका लें। अपनी पसंद का कोई भी तेल जैसे कि नारियल तेल, तिल तेल, सरसों तेल अथवा जैतून का तेल हल्का गर्म किया हुया लेकर अपने सीधे पैर की मालिश कीजिये।
मालिश करते समय हाथ ऊपर से नीचे की तरफ ले जायें और पैरों पर हल्का हल्का सा दवाब जरूर दीजिये। पैरों के बाद तलवों और पैर की अंगुलियों की भी मालिश कीजिये।
अब पैरों की स्थिति बदलकर उल्टे पैर भी इसी तरह मालिश कीजिये। ध्यान रखें एक पैर की सम्पूर्ण मालिश के लिये 10-15 मिनट पर्याप्त हैं।

तेल मालिश के अन्य तरीके-


तेल मालिश का ठीक तरीका यह है कि हर रोज एक घण्टे के लिए तेल मालिश एवं साथ-साथ व्यायाम करना चाहिए। जिन व्यक्तियों को इतना समय नहीं मिल पाता है, उनको चाहिए कि जिस दिन भी प्रात: समय मिलें, यह क्रिया करें । तेल मालिश के लिए कुछ समय तो चाहिए, तभी तो तेल हमारे शरीर में जज़्ब हो पायेगा। तेल मालिश करने का उददेश्य यह रहना चाहिए कि शरीर में तेल अच्छी सब रम जाए । इसलिए मालिश करने समय मुख्यत: घर्षण या रगड़ द्वारा ही यह क्रिया की जातौ है ।



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