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अकरकरा जड़ी बूटी है गुणों का खजाना /Akarkara herb



अकरकरा के पौधे के बारे में कुछ जरूरी जानकारी :-

यह पेड़ भारत में बहुत  कम पाया जाता है | यह पेड़ मुख्य रूप से अरब देश में पाया जाता है | जब बारिश का मौसम शुरू होता है तो इसके छोटे - छोटे पेड़ स्वयं ही उग जाते है |यदि इसकी जड़ को मुंह में चबाते है तो गर्मी लगने लगती है और जीभ पर लेने से जीभ जलनेलगती है | अकरकरा के पौधे को मुख्य रूप से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है | 
इसको  अलग - अलग स्थान पर अलग - अलग नाम से जानते है |
जैसे :- संस्कृत भाषा में :- आकारकरभ
हिंदी भाषा में :- अकरकरा
पंजाबी भाषा में :- अकरकरा

इस पौधे का स्वरूप :- Akarkara herb

अकरकरा का पौधा झाड़ीदार और रोयदार होता है | इसके फूल का रंगसफेद और बैंगनी और पीला होता है | इसकी डंठल भुत ही नाजुक होती है | महाराष्ट्र में इसकीडंडी का आचार बनाया जाता है | इसके आलावा इसके डंठल का उपयोग सब्जी बनाने के लिएभी किया जाता है |

अकरकरा का एक औषधि में प्रयोग :- 

अकरकरा के पौधे के गुण :- Akarkara herb

यह बल में वृद्धि करता है | इसमें ५० % इंसुलिन की मात्रा पीजाती है | इसमें एक तत्व होता है तो एक क्रिश्टल के रूप में प्राप्त होते है | इसके उपयोग से प्रतिशाय नामक रोग का नाश होता है | यह मनुष्य की नाड़ियों को बल प्रदान करता है |

मंद्बुद्धि के लिए :- 

अकरकरा और ब्राह्मी को एक समान मात्रा में लें | इन दोनों को बारीक़पीसकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को रोजाना एक चम्मच की मात्रा में खाएं इससे मंद्बुधि तीव्रहोती है |

सिर का दर्द :- 

अकरकरा की जड़ को बारीक़ पीसकर हल्का गर्म करके लेप तैयार करें | इस लेपको सिर पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है |

दंत शूल :- 

अकरकरा और कपूर को एक समान मात्रा में लेकर बारीक़ पीस लें | इस पिसे हुएचूर्ण का मंजन करने से दातों का दर्द ठीक हो जाता है | इसके आलावा अकरकरा की जड़ कोदांत से चबाने से दाड का दर्द मिट जाता है |
2. अकरकरा की जड़ का क्वाथ से कुल्ला करने से या गरागरा करने से दांत का दर्द ठीक होजाता है और साथ ही साथ हिलते हुए दांत भी जम जाते है |

अकरकरा की जड़

हकलाना :-

अकरकरा की जड़ को पीसकर बारीक़ चूर्ण बना लें | इसमें काली मिर्च और शहदमिलाकर जीभ पर मलने से जीभ का सूखापन और जड़ता दूर हो जाती है | अगर कोई व्यक्तिज्यादा हकलाता और या तोतला बोलता है तो उसे कम से कम 4 या 6 हफ्ते तक प्रयोग करें |

कंठ का रोग :-

अकरकरा के पत्ते को पानी में डालकर गर्म कर लें | इस पानी से कुल्ला करनेसे तालू , दांत और गले के रोग ठीक हो जाते है |


हिचकी :- Akarkara herb

अकरकरा के एक ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चटाने से हिचकी जैसी समस्या ठीक होजाती है |

कंठ्य स्वर के लिए :-Akarkara herb

अकरकरा के चूर्ण की 250 से 400 मिलीग्राम की मात्रा में फंकी लेनेसे बच्चो का कंठ्य स्वर सुरीला हो जाता है |

अपस्मार :-Akarkara herb 

अकरकरा और ब्राह्मी को एक साथ क्वाथ बनाकर मिर्गी वाले रोगी को पिलाने से मिर्गी ठीक हो जाती है |
अकरकरा के पत्तों को सिरके के साथ पीसकर इसमें शहद मिलाकर चाटने से अपस्मार का वेगरुक जाता है |

हृदय के रोग :-Akarkara herb

अकरकरा की जड़ और अर्जुन की छाल को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें |इन दोनों के चूर्ण को दिन में कम से कम दो बार आधा -आधा चम्मच खाने से दिल की धड़कन, घबराहट और कमजोरी में लाभ मिलता है |
सौंठ , अकरकरा और कुलंजन की 25 मिलिग्राम की मात्रा को 400 मिलीलीटर पानी मेंमिलाकर उबल लें | जब इस पानी का चौथा हिस्सा रह जाये तो इसे हृदय के रोगी को पिलाने सेहृदय रोग कम हो जाता है | यदि इसे लगातार कई महीनों तक रोगी को देते है तो यह बीमारी जड़ से दूर हो जाती है |



अकरकरा के फूल

बुखार :- 

अकरकरा की जड़ को पीस लें | इस पिसे हुए चूर्ण में जैतून मिलाकर मंद अग्नि परपका लें | इस पके हुए तेल से मालिश करने से पसीना आता है जिससे तेज बुखार ठीक हो जाताहै |

साँस की बीमारी के लिए :-

अकरकरा की जड़ का चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को किसी कपड़े मेंसे छान लें | छन्ने हुए चूर्ण को नाक से सूंघे इससे साँस का अवरोध दूर हो जाता है 

पेट का दर्द :-

अकरकरा की जड़ का पीसकर बारीक़ चूर्ण बना लें इस चूर्ण में पिपली का चूर्ण भी मिला दें इन दोनों के मिश्रण की आधे चम्मच की मात्रा को भोजन के बाद लेने से पेट का दर्दठीक हो जाता है |




मासिक धर्म :- 

अकरकरा की जड़ का क्वाथ बना लें | इस क्वाथ को सुबह - शाम पीने सेमासिक धर्म उचित प्रकार से होने लगता है |
पक्षाघात :-

अकरकरा की जड़ को बारीक़ पीसकर इसे महुए के तेल में मिलाकर मालिश करने से पक्षाघात में लाभ मिलता है 
अकरकरा की जड़ के चूर्ण की 500 मिलीग्राम की मात्रा को शहद के साथ लेने से पक्षाघात ठीक हो जाता है | इस दवा को रोजाना सुबह और शाम के समय खाएं |

आलस दूर करने के लिए :- 

अकरकरा की जड़ का 100 मिलीग्राम क्वाथ का सेवन करने सेआलस्य दूर हो जाता है |



अकरकरा के पत्ते

गृध्रसी :- 

अकरकरा की जड़ को अखरोट के तेल में मिलाकर मालिश करने से गृध्रसी का रोगठीक हो जाता है |

इंद्री :- 

अकरकरा की 10 ग्राम की मात्रा का चूर्ण को 50 ग्राम काढ़े के रस में पीसकर लेप करने से इंद्री मोटी हो जाती है |

विशेष बात :- 

अकरकरा की मात्रा को किसी अच्छे वैद्य से पूछ कर उपयोग करें | अन्यथा हानि पंहुच सकती है |

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