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बच्चों के लिए फ्रूट जूस के फायदे नुकसान



वैसे तो फलों के सेवन के साथ-साथ फ्रूट जूस भी कई फायदों वाला होता है और सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है लेकिन सिर्फ फ्रेश जूस। मार्केट में बिकने वाला पैक्ड फ्रूट जूस बच्चों को बीमार बना सकता है। इन पैक्ड फ्रूट जूसेज में न तो फाइबर या कोई प्राकृतिक गुण होता और ना ही किसी तरह के पोषक तत्व। इस तरह के फ्रूट जूस बच्चों की सेहत के लिए कितने खतरनाक हैं यहां जानें.
मार्केट में बिकने वाले पैक्ड और फ्लेवर्ड फ्रूट जूस में कैडमियम, कार्बनिक, आर्सेनिक और मरकरी या लेड पाया जाता है, जो बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य पर बहुत ही बुरा असर डालता है। पैक्ड जूस में पाए जाने वाले मेटल बच्‍चों के नवर्स सिस्‍टम पर बुरा प्रभाव डालते हैं जिससे बच्‍चे के विकासशील ब्रेन को भी नुकसान पहुंचता है। ट्रेटा पैक में बंद जूस में फलों का हिस्सा सिर्फ 25 फीसदी ही होता है।

अगर कोई फलों के रस का सेवन करता है, तो यह दो से पांच साल के बच्चों के लिए 125 मिलीलीटर प्रति दिन (आधा कप) तक सीमित होना चाहिए, पांच से ऊपर के लोगों के लिए 250 मिलीलीटर प्रति दिन। लेकिन ये ताजे फलों का रस होना चाहिए।
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चों को फ्रूट जूस नहीं देना चाहिए, चाहे ताजा हो या पैक्‍ड। क्‍योंकि वे कैलोरी और शुगर की मात्रा में अधिक होते हैं।
बाल विशेषज्ञों की एक शीर्ष इकाई ने फास्‍ट फूड, एनर्जी ड्रिंक्‍स और मीठे पेय से जुड़ी नई गाइडलाइन लेकर आई है। इसके अनुसार, दो से 18 साल की उम्र के लोगों को भी बाजार में बिकने वाले डिब्‍बाबंद फलों के रस, फलों के पेय या शुगर से बने पेय पदार्थों को पीने से रोकना चाहिए।
यहां तक कि अगर कोई फलों के रस का सेवन करता है, तो यह दो से पांच साल के बच्चों के लिए 125 मिलीलीटर प्रति दिन (आधा कप) तक सीमित होना चाहिए, पांच साल से ऊपर के लोगों के लिए 250 मिलीलीटर प्रति दिन। लेकिन ये ताजे फलों का रस होना चाहिए। वास्तव में, पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, फलों का रस सॉफ्ट ड्रिंक के रूप में हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा कम और चीनी की मात्रा अधिक होती है। हालांकि, आपके फलों में विटामिन और खनिज होते हैं जो आपके बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।
IAP दिशानिर्देश यह भी उल्लेख करते हैं कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय नहीं दिया जाना चाहिए। पांच से नौ साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए, चाय और कॉफी अधिकतम 100 मिलीलीटर प्रति दिन और 18 साल तक के लोगों के लिए 200 मिलीलीटर प्रति दिन तक सीमित होनी चाहिए।


सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, 9 और 14 साल की उम्र के बीच लगभग 93 फीसदी बच्चों ने कथित तौर पर पैकेज्ड फूड खाया, जबकि 68 फीसदी लोग हफ्ते में एक बार से ज्यादा शक्कर वाले पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। और लगभग 53 फीसदी लोग दिन में एक बार इनका सेवन करते हैं।
जंक फूड खाने से बच्चों में मोटापा, उच्च रक्तचाप, दंत और व्यवहार संबंधी मुद्दों का खतरा बढ़ जाता है। जर्नल इंडियन पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित दिशानिर्देशों के अनुसार, "इन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का सेवन उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक (higher body mass index) और संभवतः बच्चों और किशोरों में प्रतिकूल कार्डियो-मेटाबॉलिक परिणामों से जुड़ा हुआ है। कैफीन युक्त पेय का सेवन नींद की गड़बड़ी से जुड़ा हो सकता है।"





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