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भूलने की बीमारी कमजोर याददाश्त के उपचार /Memory Loss




   अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है, जो सामान्यत: बुजुर्गो में होती है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज सामान रखकर भूल जाते हैं. यही नहीं, वह लोगों के नाम, पता या नंबर, खाना, अपना ही घर, दैनिक कार्य, बैंक संबंधी कार्य, नित्य क्रिया तक भूलने लगता है.
अल्जाइमर बीमारी, डिमेंशिया रोग का एक प्रमुख प्रकार है. डिमेंशिया के अनेक प्रकार होते हैं. इसलिए इसे अल्जाइमर डिमेंशिया भी कहा जाता है. अल्जाइमर डिमेंशिया प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें मरीज की स्मरण शक्ति कमजोर होती जाती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे यह रोग भी बढ़ता जाता है. याददाश्त क्षीण होने के अलावा रोगी की सोच-समझ, भाषा और व्यवहार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

क्यों होती है भूलने की समस्या

डाक्टरों के मुताबिक याददाश्त कम होना या फिर याददाश्त खो जाना दो अलग बाते हैं, बुजुर्गो में यह समस्या 60 के बाद होती है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। युवाओं में याददाश्त कम होने की वजहें अलग हैं, जैसे- अधिक तनाव, सिगरेट, एल्कोहल या फिर अनियमित नींद। मार्ग दुर्घटना या फिर मस्तिष्क में टय़ूमर की वजह से भी याददाश्त खो जाती है, लेकिन इन दो वजहों से याददाश्त खोने के कई सजिर्कल उपाय हैं। यदि अनियमित दिनचर्या से याद रखने की क्षमता कम होती है तो उसे मेडिटेशन, योग या फिर बेहतर डायट से ठीक किया जा सकता है। हालांकि याददाश्त बढ़ाने के लिए चिकित्सक दवाओं के इस्तेमाल को सही नहीं मानते हैं।
याददाश्त कम होने की वजहें

अवसाद :

अवसाद डिमेंशिया की वजह हो सकती है। जिंदगी में अधिक हासिल करने की इच्छा जब पूरी नहीं होती तो व्यक्ति का ध्यान सामान्य बातों पर नहीं रहता, वह हरदम कुछ बढ़ा करने की योजना बनाता रहता है। समाज से कटे या अकेले रहने वाले लोगों में यह लक्षण अकसर देखने को मिलता है। विटामिन बी-12 की कमी: डिमेंशिया का यह एक महत्वपूर्ण कारक है। इसकी कमी मस्तिष्क के स्थायी नुकसान का कारण बन सकती है। विटामिन बी-12 हमारे न्यूरोंस और सेंसर मोटर को सुरक्षित रखता है।

दवाओं का दुष्प्रभाव :

नींद की गोलियां, एंटीथिस्टेमाइंस, ब्लड प्रेशर की दवाएं, गठिया में ली जाने दवा, एंटीडिप्रेसेन्ट, गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली गोलियां और दर्द निवारक दवाओं के ज्यादा सेवन से भी डिमेंशिया हो सकता है। लगातार नींद की गोलियां खाने वाले लोग भी सामान्य बातें जल्दी भूलने लगते हैं।

शराब की लत :

शराब का अधिक इस्तेमाल, मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्रियाशीलता को कम करता है।

थायरॉयड :

थायरॉयड ग्रंथि मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। भूलने के साथ-साथ दिमाग को एकाग्र करने में भी दिक्कतें आती हैं। अधिक या कम थॉरोक्सिन याद करने की क्षमता को कम कर देता है। क्या हैं बीमारी के लक्षण डिमेंशिया के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न होते हैं। कुछ लोगों में डिमेंशिया की शुरुआत तिथि और नाम भूलने के साथ होती है, तो कुछ लोग शुरू किए गए काम का उद्देश्य ही भूल जाते हैं। एक ही स्थान पर बार-बार जाने के बाद भी उसका पता भूल जाते हैं। कुछ लोग एक ही काम को कई बार करते हैं। डिमेंशिया की शुरुआत कुछ यूं होती है। भ्रम या कम सतर्कता भूलने की बीमारी का पहला लक्षण हो सकता है। हालांकि सभी का व्यवहार एक समान नहीं होता। कुछ में सीधे भूलने की समस्या होती है तो कुछ को शब्द याद करने में मुश्किल होती है। कुछ को समझने में समस्या आती है। उन्हें छोटे-छोटे निर्णय लेने में भी तकलीफ होती है।

कैसे होता है इलाज


हालांकि डॉक्टर भूलने की बीमारी का इलाज दवाओं के जरिए नहीं करते हैं, बावजूद इसके यदि बीमारी की पहचान देर में हो तो इसे न्यूरोलॉजिकल टेस्ट और दवाओं से ही नियंत्रित किया जाता है। हालांकि कुछ आधुनिक इलाज में रेडिएशन युक्त जांच से भी इलाज किया जाता है। पहले मरीज की फैमिली हिस्ट्री ली जाती है। मेमोरी फंक्शन जानने के लिए कई न्यूरोसाइकोलॉजिकल टेस्ट कराए जाते हैं। फिर कुछ अन्य मेडिकल टेस्ट जैसे इलेक्ट्रोइनसेफालोग्राफी, एमआरआई या सीटी स्कैन कराए जाते हैं। हालांकि अन्य उपायों से यदि बीमारी दूर नहीं होती तो डॉक्टर दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।

व्यायाम है सहायक

हर उम्र के लोगों के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम फायदेमंद है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नियमित व्यायाम से याददाश्त बढ़ सकती है। यही नहीं, बल्कि वे अधिक दिनों तक भूलने की बीमारी का शिकार होने से बच सकते हैं। यदि रोजाना सिर्फ आधे घंटे योग किया जाए तो भी इससे राहत मिलेगी। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में करीब 3 करोड़ 70 लाख लोग भूलने की बीमारी के शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अगले बीस सालों में इस आंकड़े में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका जताई है।

जरूरी है नींद

याद्दाशत मजबूत करने के लिए के लिए नींद बहुत जरूरी है। कम नींद या खराब नींद हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स का विकास प्रभावित करती है और स्मृति, एकाग्रता व निर्णय लेने की क्षमता कम होती जाती है।
डायट का रखें ध्यान

काला जामुन :

काला जामुन में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो न्यूरॉन्स के बीच संचार बढ़ाते हैं और आसानी से समझने में मदद करते हैं। रोज काला जामुन खाएं तो दिन, महीना और तिथि याद रखना आसान होगा।

मछली :

इसमें ओमेगा-3, विटामिन-डी और अन्य ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपके मस्तिष्क को किसी प्रकार के मनोविकार यानी मेंटल डिसऑर्डर से सुरक्षित रखते हैं।

चुकंदर :

चुकंदर याद रखने की क्षमता बढ़ाता है। इसमें नाइट्रेट होता है, जो रक्त नलिकाओं को खोलता है और दिमाग तक खून का संचार बढ़ाता है।

होल ग्रेन :

जब भी ब्रेड खरीदें, दुकानदार से होलग्रेन ब्रेड ही मांगें। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरपूर होता है। विटामिन बी और ई से भरा होल ग्रेन शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखने में मदद करता है।

जटामांसी

जटामांसी औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी है। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी जड़ों में जटा बाल जैसे तंतु लगे होते हैं। यह दिमाग के लिए एक रामबाण औषधि है, यह धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। इसके अलावा यह याददाश्त को तेज करने की भी अचूक दवा है। एक चम्मच जटामासी को एक कप दूध में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।

ब्राह्मी

बाह्मी नामक जड़ी-बूटी को दिमाग के लिए टॉनिक भी कहा जाता है। यह दिमाग को शांति और स्पष्टता प्रदान करती है और याद्दाश्त को मजबूत करने में भी मदद करती है। आधे चम्मच बाह्मी के पाउडर और शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।

शंख पुष्पी

शंख पुष्‍पी दिमाग को बढ़ाने के साथ-साथ दिमाग में रक्त का सही सर्कुलेशन करके हमारी रचनात्मकता को भी बढ़ावा देता है। यह जड़ी-बूटी हमारी याद करने की क्षमता और सीखने की क्षमता को भी बढ़ाती है। दिमाग को तेज करने के लिए आधे चम्मच शंख पुष्पी को एक कप गरम पानी में मिला कर लें।

तुलसी

तुलसी कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए एक जानी-मानी जड़ी बूटी है। इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट हृदय और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है। साथ ही इसमें पाई जाने वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी अल्‍जाइमर जैसे रोग से सुरक्षा प्रदान करता हैं।

केसर


केसर एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग खाने में स्‍वाद बढ़ाने के सा‍थ-साथ अनिद्रा और डिप्रेशन दूर करने वाली दवाओं में किया जाता है। इसके सेवन से दिमाग तेज होता है।

दालचीनी

दालचीनी सिर्फ गर्म मसाला ही नहीं, बल्कि एक जड़ी-बूटी भी है। यह दिमाग को तेज करने की बहुत अच्‍छी दवा है। रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और दिमाग तेज होता है।

मेडिटेशन करने की आदत डालें

जब आप मेडिटेशन यानि ध्यान करते हैं तो इससे आपकी एकाग्रता बनी रहती है। ध्यान करने से आपके मन को शांति मिलती है। इसके आलावा आपके जीवन में यदि तनाव है तो उससे भी छुटकारा मिलता है। मेडिटेशन बेहद आरामदायक तरीका होता है दिमाग को शांत करने का। अत: इस प्रक्रिया को रोजाना करने से आपकी भूलने सी समस्या दूर हो सकती है।

हल्‍दी

हल्दी दिमाग के लिए बहुत अच्‍छी जड़ी-बूटी है। यह सिर्फ खाने के स्वाद और रंग में ही इजाफा नहीं करती है, बल्कि दिमाग को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है। हल्दी में पाया जाने वाला रासायनिक तत्व कुरकुमीन दिमाग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने में मदद करता है और इसके नियमित सेवन से एल्जाइमर रोग नहीं होता है।

जॉगिंग करने की आदत डालें

एक अध्ययन के अनुसार जॉगिंग करने से शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है। रोजाना जॉगिंग करने से मानव मस्तिष्क में ऑक्सीजन और पोषक तत्व अच्छी तरह से मिलते हैं। इससे मनुष्य को किसी भी काम को तेजी से करने की क्षमता बढ़ती है। जॉगिंग करने से आपका शरीर कुछ ही दिनों में अधिक फुर्ती से काम करने लगता है। इससे आपका मन हर काम में लगता है काम भी सही तरीके से होता है। जॉगिंग करने से शरीर स्वस्थ होने से दिमाग पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है और आपकी याददाश्त तेज होती है।

शरीर का वजन बढ़ने से रोकें

आपके शरीर के बढ़ते वजन का असर आपके मस्तिष्क पर भी पड़ता है। आपके मानसिक और शारीरिक हेल्थ को बनाए रखने के लिए आपको हेल्दी रहना बहुत आवश्यक है। एक रिसर्च के अनुसार मोटे होने की वजह से आपके मस्तिष्क में याददाश्त से जुड़े जीन में कई बड़े बदलाव हो सकते हैं। ये बदलाव हमारी याददाश्त को प्रभावित करने का कार्य करते हैं। इसलिए बढ़ते उम्र के साथ अपने वजन को कंट्रोल में रखना आवश्यक होता है।जायफल

दिमाग को तेज करने वाली जड़ी-बूटियों में जायफल भी एक उपयोगी जड़ी-बूटी है। गर्म तासीर वाले जायफल की थोड़ी मात्रा का सेवन करने से दिमाग तेज होता है। इसको खाने से आपको कभी एल्‍जाइमर यानी भूलने की बीमारी नहीं होती।

कालीमिर्च

काली मिर्च में पाया जाने वाला पेपरिन नामक रसायन शरीर और दिमाग की कोशिकाओं को आराम देता है। डिप्रेशन को दूर करने के लिए भी यह रसायन जादू सा काम करता है। इसीलिए दिमाग को स्वस्थ बनाए रखने के लिए काली मिर्च का उपयोग करें।

गेंहू के अंकुर

गेंहू के अंकुर यानी व्हीट जर्म में विटामिन ई की मात्रा भरपूर है। विटामिन ई दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद है और याददाश्त बेहतर करने में मददगार है।


कॉफी :

कॉफी में पाई जाने वाली कैफीन से कार्यक्षमता बढ़ती है। यह अल्जाइमर से लड़ने में भी मददगार है।

सेब :

सेब में क्वरसेटिन की मात्र पाई जाती है, जो हमारे ब्रेन सेल की रक्षा करता है।

चॉकलेट :
एक सर्वे में कहा गया कि चॉकलेट मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाती है। रोज 10 ग्राम चॉकलेट दिमाग को चॉकलेटी बना देती है।

हरी सब्जियां:

इनमें विटामिन और फोलिक एसिड की भरमार होती है, जो हमें पागलपन से बचाते हैं। ध्यान रहे हरी सब्जियों को ज्यादा देर तक पकाने पर इसके न्यूट्रिएंट्स जल सकते हैं।

सावधानी-

सॉफ्ट ड्रिंक्स व डायट सोडा कुछ लोग प्यास लगने पर सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कर लेते हैं. लेकिन यह आपकी याद्दाश्त के लिए हानिकारक है. क्योंकि, सॉफ्ट ड्रिंक्स में पाया जाने वाला हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप ब्रेन इंफ्लामेशन को बढ़ाकर याद्दाश्त और सीखने की क्षमता को घटाता है. वहीं, डायट सोडा में भी दिमाग और याद्दाश्त कमजोर करने वाले तत्व पाए जाते हैं.
2. पैकेटबंद फूड भूख लगने पर पैकटबंद चिप्स खा लेने का आइडिया सभी के दिमाग में आता है. बच्चे भी इसका बहुत ज्यादा सेवन करते हैं. लेकिन आपको बता दें कि पैकेटबंद फूड में मौजूद ट्रांस फैट अल्जाइमर रोग (भूलने की गंभीर बीमारी) का खतरा बढ़ाने के साथ ब्रेन वॉल्यूम कम करने और याद्दाश्त को गंभीर रूप से कमजोर बनाता है. 3. इंस्टेंट नूडल्स और जंक फूड (Junk and Fast Food) बच्चे इंस्टेंट नूडल्स और जंक फूड का सेवन भी काफी पसंद करते हैं. लेकिन यह दिमाग के Brain Derived Neurotrophic Factor (BDNF) के उत्पादन को घटा सकता है. जिससे लंबे समय तक याद्दाश्त मजबूत नहीं रहती है, सीखने की क्षमता घटती है और नये न्यूरॉन का उत्पादन भी नहीं होता.
4. शराब आप चाहे रोजाना शराब पीते हों या कभी-कभी, लेकिन इसका सेवन शरीर से विटामिन बी1 को निकाल देता है. जिसके कारण ब्रेन वॉल्यूम घटने लगती है और न्यूरोट्रांसमीटर डैमेज होने लगते हैं. इन्हीं कारणों से आपकी याद्दाश्त कमजोर होने लगती है






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