Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

पेशाब या मूत्र के वेग को रोकना गंभीर रोगों का कारण

पेशाब या मूत्र के वेग को रोकना गंभीर रोगों का कारण सामान्यतया कई बार देखा जाता है कि हम लोग कई प्रकार के वेगों को रोक लेते हैं जैसे कि पेशाब ,मल, हवा साफ होना  जम्भाई, रोना, हंसना यह सभी शरीर की बहुत बड़ी आवश्यकता हैऔर अगर हम इन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करते तो धीमे धीमे ये आदते गंभीर रोगों को जन्म देती हैं। वैसे हम लोग आलस्यवश ऐसा करते हैं या फिर अगर किसी से बातें कर रहे हो तब या फिर किसी काम में व्यस्त हो तब इस प्रकार की वेग रोकते हैं वहीं छींक, हवा साफ होना जमाई लेना रोना हंसना इत्यादि लोगों को इसीलिए रोक लेते हैं कि कोई क्या कहेगा लेकिन ऐसी सोच आपको कई बार गंभीर परिस्थिति में धकेल देती है आज हम आपको केवल मूत्र रोकने की समस्या के बारे में बता रहे हैं कि इससे क्या क्या समस्या हो सकतीं है

  1. एक सीधी सी बात है जो अंग इस कार्य से संबंधित हैं वही तो रोगी होगा तो मूत्र हमारे शरीर मे पैदा होता है किडनी से और वहाँ स जाता है यूरीनरी ब्लेडर मे और वहां से शरीर से बाहर निकलता है अतः मूत्र रोकने से किडनी यूरिनरी ब्लैडर पेशाब नली में जलन और सूजन की समस्या हो सकती है। 
  2. चूंकि मूत्र का निर्माण किडनी में होता है और किडनी में होती है छन्नियाँ और ये छन्नियाँ हमारे शरीर के अशुद्ध रक्त को छानती हैं और उनसे अपशिष्ट पदार्थ को अलग करके शुद्ध रक्त को पुनः परिसंचरण तंत्र में भेज देती हैं और किडनी मूत्र को अलग करके तुरंत इसे यूरिनरी ब्लैडर में भेज देती है और इस प्रकार से मूत्र धीरे-धीरे यूरीनरी ब्लेडर मे आता रहता है और जब यह ब्लेडर भर जाता है तो यह हमारे मस्तिष्क को एक संदेश भेज देेेता है और हमें पेेेेशाव की हाजत महसूस होने लगती है अब यदि हम इसे निष्कासित नही करने जाएंगे तो यह एक हल्के दर्द के रूप मे हमे महसूस होगा जो धीरे-धीरे तीव्र फिर तीव्रतर होता जाएगा और यह दर्द हमारे पेशाब न करने के कारण से मूत्राशय की दीवारों पर मूूूूत्र के द्वारा बने दबाव के कारण से होने लगता है। अतः धीरे-धीरे कमजोर होने लगेगा और जब वहाँ से मूत्र निष्कासित नहीं होगा तो पेशाब की नलियाँ भर जाएंगी क्योंकि किडनी तो अपनी क्रिया लगातार करती ही रहेगी अब जब भी हम मूत्र निष्कासन नहीं करते तो नली भर जाऐगा और किडनी में भी मूत्र की अधिकता होने लगेगी तथा उसकी छन्नियों मे यह मूत्र भरा  रहेगा और मूत्र में गंदगी होगी ही धीरे-धीरे किडनी की छन्नियाँ मूत्र के लवणों के कारण चोक हो जाएगी या यह लवण एकत्रित होकर पथरी का निर्माण कर देगा।लगातार यही स्थिति बनी रहने पर किडनी में संक्रमण होने का खतरा इसके अलावा यूरिनरी ट्रैक में अथवा यूरिनरी ब्लैडर में संक्रमण होने का  खतरा भी रहने लगता है और ज्यादा स्थिति गंभीर होने पर उनमें संक्रमण हो ही जाता है इसके कारण से कई बार किडनी सूजने लगती हैं या यूरिनरी ब्लैडर में सूजन आ जाती है। 
  3. इसके अलावा यूरिनरी ट्रेक या मूत्र नलिका में भी इस लवण इकठ्ठा हो जाने के कारण से धीमे-धीमे इसकी नलियाँ भी कमजोर होने लगती है और इस नली में संक्रमण का खतरा मंडराने लगता है जब ज्यादा स्थिति गंभीर हो जाती है और व्यक्ति अपनी आदत नहीं छोड़ता तो यही संक्रमण बहुत ज्यादा हो जाता है और मूत्रमार्ग मे जलन बनी रहती है
  4. यही हाल ब्लैडर का है वह भी मूत्र धरण क्षमता में कमी ला सकता है या इसमें भी संक्रमण हो सकता है अतः डिस्चार्ज के समय बहुत तेज दर्द की समस्या आ सकती है इसके अलावा मूत्र मार्ग किडनी उत्तरण संस्थान शरीर में भी पीड़ा हो सकती है इसके अलावा पेट में अफारा, दर्द मूत्रकच्छ सिर दर्द और शरीर के झुक जाने की समस्या भी हो सकती है।


This post first appeared on THE LIGHT OF AYURVED, please read the originial post: here

Share the post

पेशाब या मूत्र के वेग को रोकना गंभीर रोगों का कारण

×

Subscribe to The Light Of Ayurved

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×