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शीघ्रस्खलन का रामवाण इलाज है आयुर्वेदिक औषधि--- धातु पौष्टिक चूर्ण Dhatupaushtik-churna ko kaise pryog karen Shigra Patan me

धातु पौष्टिक चूर्ण शीघ्रपतन अर्थात जल्दी वीर्य निकल जाने में कैसे प्रयोग किया जाऐ।

Dhatupaushtik-churna ko kaise pryog karen Shigra Patan me


शीघ्रपतन जिसे हम शीघ्र स्खलन भी कहते है वास्तव में सेक्स करते समय जल्दी वीर्य निकल जाने का रोग है । आयुर्वेद में  इस रोग का इलाज करने के लिए वैसे तो अनेकों योग बताऐ गये है किन्तु धातु पौष्टिक चूर्ण शीघ्रपतन या शीघ्रस्खलन का इलाज स्थाई रुप से कर सकने में समर्थ है। वैसे तो इस रोग का सम्बंध मानसिक होता है लैकिन जब शरीर की धातुऐं कमजोर हो जाती है तो व्यक्ति मानसिक रुप से भी अशक्त हो जाता है तब धातुपौष्टिक चूर्ण ही शीघ्रस्खलन का सम्पूर्ण रुप से  इलाज करने सामर्थ्य रखता है।यह पूर्णतः एक आयुर्वेदिक हर्वल औषधि है। है। धातुपौष्टिक चूर्ण नसों और प्रजनन अंगों को ताकत देता है तथा स्वप्न दोष, असमय वीर्यपात, नपुंसकता को दूर करने में समर्थ है। इसका सेवन शरीर में कमजोरी को दूर करता है और बल तथा धातु की वृद्धि करता है। यह पुरुषों के लिए उत्तम टॉनिक, वीर्य और शुक्र विकारों को दूर करता है। धातुपौष्टिक चूर्ण में सभी घटक हर्बल हैं। इसमें कौंच बीज, सफ़ेद मूसली, काली मूसली, गोखरू, सालम मिश्री, विदारीकन्द, अश्वगंधा जैसी जानी-मानी औषधिया वनस्पतियाँ हैं। इसके अतिरिक्त इसमें निशोथ है जो की विरेचक है और कब्ज़, गैस, पेट की दिक्कतों को दूर करता है। इसमें मिश्री भी है जो की वज़न बढ़ाने और शरीर में पित्त को कम करती है।शीघ्रपतन या सेक्स की शुरुआत में ही वीर्य निकल जाने के रोग में किस प्रकार प्रयोग किया जाऐ यह आज में अपनी इस पोस्ट में बता रहा हूँ।
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इसके सेवन में यह बात ध्यान रखने योग्य है की यह दवाई पचने में भारी है। इसलिये पाचन की कमजोरी और पेचिश आदि में इसे नहीं खाना चाहिए। इस दवा में विरेचन के गुण भी हैं। यदि दवा के सेवनकाल में कोई समस्या आये तो इसकी मात्रा को कम कर के प्रयोग किया जाना चाहिए

धातु पौष्टिक चूर्ण शरीर की समस्त धातुओं का पोषण करके उन्हें बल प्रदान करता है,यह  शरीर को शक्ति और स्फूर्ति देने में सहायक है। वीर्य विकारों में इसका प्रयोग किए जाने का निर्देश शास्त्रों में है। यह आयुर्वेद सार संग्रह की औषधि है।


धातुपौष्टिक चूर्ण के लाभ/फ़ायदे Benefits of Dhatupaushtik Churna


  1. धातु पौष्टिक चूर्ण धातु और बलवर्धक है।
  2. इसके सेवन से शरीर में ताकत आती है और कमजोरी दूर होती है।
  3. यह वीर्य और शुक्र विकारो को दूर करता है।
  4. यह नसों को ताकत देकर  नपुंसकता को दूर करता है।
  5. यह कब्ज हर है अतः कब्ज़ को दूर करता है।
  6. इसमें कामोद्दीपक गुण हैं।

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धातुपौष्टिक चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग Uses of Dhatupaushtik Churna


दुर्बलता debility
अज्ञात में शुक्रपात spermatorrhoea
अल्पशुक्राणुता Oligospermia
नपुंसकता Impotency
शीघ्रपतन Premature ejaculation
स्वप्न दोष Nightfall
इरेक्टाइल डिसफंक्शन Erectile dysfunction

धातुपौष्टिक चूर्ण की सेवन मात्रा:

 इसे 3 से 6 ग्राम बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर दूध के साथ  सेवन करना चाहिए। चूँकि यह चूर्ण धातु वर्धक एवं वीर्य को गाढ़ा करने वाला है। अतः इसके सेवन से शरीर की सभी सात धातुऐं गाढ़ी हो जाती हैे जिससे स्वप्नदोष दूर हो कर शरीर हृष्ट-पुष्ट बन जाता है। और यही कारण है कि इसके सेवन से चूँकि वीर्य गाढ़ा हो जाता है अतः जल्दी से स्खलित भी नही होता है परिणाम स्वरुप वीर्य विकार यथा स्वप्नदोष व शीघ्र स्खलन दूर हो जाते हैं।


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