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स्वास्थ्य की पूँजी है- पूजा का दीपक

नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता रोगों को दूर कर स्वास्थ्य का लाभ प्रदायक है पूजा का दीपक

स्वास्थ्य की पूँजी है- पूजा का दीपक

भारतीय संस्कृति एक अनुपम संस्कृति है जिसमें हर नियम उपनियम कायदा व कानून धर्म के अन्दर केवल रुढ़िवादिता में नही बनाऐ गये हैं अपितु बहुत ही सोच समझकर हमारी दिनचर्या के अंग बने हैं। जिनका धार्मिक पहलू सच कहैं तो केवल इतना है कि प्रत्येक व्यक्ति केवल विना ना नुकर किये इन्हैं अपनाता है नही तो वास्तव में ये सभी बातें वैज्ञानिक कसौटी पर उतार कर ही सामाजिक धार्मिक दिनचर्या का अंग बनाई गयी हैं तभी तो इनके शोधकर्ताओं को समाज ने ऋषि नाम दिया अर्थात जिसने रिसर्च की हैं सच में तो लगता है कि यह रिसर्च शब्द हमारी ही सभ्यता का अंग्रेजी अनुवाद ही है।

हमारे ऋषियों ने प्रतिदिन की शुरुआत ही नित्यकर्म से निवृत होने के बाद पहले स्नान फिर ध्यान और ध्यान में दीपक जलाने से की थी।जिसका वास्तविक उद्देश्य आपके घर या पूजाघर की सजावट करना नही था अपितु आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा को आपके घर से बाहर करके सकारात्मकता को आपके घर में स्थान देना था।आपने देखा होगा कि जब तेल का दीपक जलता है तो उसकी एक अजीव सी सुगंध आपके आसपास महसूस होती है जो करीब दीपक बुझ जाने के एक घण्टे के उपरांत भी आप महसूस करते हैं औऱ इससे भी अच्छी सुगंध आप जब शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाते हैं तो करीब 4 घण्टे तक आपके आसपास महसूस होती है। वास्तव में यह सुगंध अर्थात दीपक की ऊर्जा आपके आसपास के सारे नकारात्मक जीवाणुओं को समाप्त कर देती है और वातावरण को सकारात्मक बनाती है। जिसमें स्वास्थ्यप्रद तत्व होते हैं।

 वास्तव में आप जानते हैं कि दीपक जलता है तो उसका धुँआ वातावरण में फैलता है जो सभी नकारात्मक जीवाणुओं माइक्रोआर्गेनिज्म को समाप्त करता है और आपके वातावरण को सात्विक बनाता है। वैसे भी रूस में हवन पर एक शोध हुआ जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि हवन में जिस तत्व का होम किया जाता है वह केवल जल नही जाता अपितु उसके तत्व वातावरण में फैलकर वहाँ रहने वाले जीवों पर अपनी मात्रा का कई गुना प्रभाव डालते हैं । जो होम करने वालों के स्वास्थ्य को अभूतपूर्व रुप से ठीक करता है जितना कि उन्हीं तत्वों को औषधि के रुप में लेने से भी लाभ नही होता । वैसे एक नकारात्मक बात से इसकी सत्यता आपकी समझ में आ सकती है कि अगर कोई कीटनाशक पदार्थ या कोई जहरीला पदार्थ अगर जल रहा हो तो उससे निकलने वाली गैस कितने लोगों या प्राणियों का विनाश कर सकती आप कभी कल्पना कर सकते हैं। उसी प्रकार एक सकारात्मक तत्व अपना प्रभाव वातावरण में रहने वाले सभी प्राणियों पर अपना सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

       वैसे आपमें से बहुत से लोग जो ग्रामीण परिवेश से होंगे जानते होंगे कि गाँव में जब पशुओं पर कोई महामारी आक्रमण कर देती है यथा खुरपका या मुँहपका तो गाँव के सभी लोग देवी माँ का हवन करते हैं जिसे कई स्थानों पर खप्पर कहा जाता है उसमें भी हम लोग कुछ तत्वों का होम करते हुये सम्पूर्ण गाँव में घुमाते हैं इसमें यह नियम भी रहता है कि गाँव का कोई व्यक्ति बाहर न जाऐ इसका मतलब क्या है इसका मतलव है कि कोई व्यक्ति अगर उस दिन बाहर चला जाऐगा तो वह खप्पर में शामिल नही होगा और जो कीटाणु उसके शरीर से सम्बन्धित होंगे वे बचे रह जाऐंगे औऱ खप्पर का पूरा कार्य नही हो सकेगा क्योंकि उस एक या दो व्यक्ति उस महामारी के कीटाणु हो सकता है कि अपने साथ फिर ले आवें। 

खैर मेरा मत लब केवल इतना सा था कि अगर आप धार्मिक रुप से दीपक नही जलाते न सही अगर आप हिन्दु नही हैं तो भी एसा कर सकते हैं आप अगर अपने परिवार व अपने स्वास्थ्य की चिन्ता करने बाले हैं तो जरुर आपको प्रतिदिन सुबह व साँय को दीपक जलाने की आदत डालनी चाहिये इससे सारी नकारात्मकता आपके घर से दूर हो जाऐगी और आप स्वास्थ्य लाभ ले सकेंगे ।



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