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Wellhealth Ayurvedic Health Tips: समग्र कल्याण के लिए वेलहेल्थ आयुर्वेदिक

दोस्तों जैसा की हम सब जानते है की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति एक पुरातन लेकिन अत्यंत कारगर चिकित्सा पद्दति है, इसमें जीवनशैली पर बहुत जोर दिया गया है, किस तरह की जीवनशैली से हम स्वस्थ और लम्बा जीवन जी सकते है। तो आज हम कुछ Wellhealth Ayurvedic Health Tips देखेंगे, जिनका पालन करके हम एक स्वस्थ और लम्बा जीवन जी सके।

महर्षि वाग्भट्ट आयुर्वेद के एक महान विद्धवान थे, उन्होंने आयुर्वेद के दो महान ग्रंथ अष्टांगहृदयम, और अष्टांगसंग्रह के रचनाकार थे। महर्षि वाग्भट्ट जी के अनुसार लगभग 85% बीमारियों का इलाज बिना डॉक्टर के किया जा सकता है। सिर्फ 15 फीसदी बीमारियों के इलाज के लिए ही डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। अपने आयुर्वेदिक ज्ञान से और आयुर्वेदिक नियमो से जीवन जीने का कारण महर्षि वाग्भट्ट ने 135 वर्ष का लम्बा जीवन जिया।

Wellhealth Ayurvedic Health Tips

तो आज इस लेख के जरिये हम जानेंगे महर्षि वाग्भट्ट द्वारा बताये कुछ वेलहेल्थ आयुर्वेदिक स्वास्थ्य टिप्स  (Wellhealth Ayurvedic Health Tips)

आयुर्वेद के अनुसार जिस व्यक्ति को हमेशा स्वस्थ रहना है, उस व्यक्ति को हमेशा अपने वात, पित्त और कफ को हमेशा संतुलित रखना चाहिए, त्रिदोष आधारित शरीर है हमारा कोई सी भी बीमारी हमारे शरीर में इन तीन दोषो की वजह से ही होती है। वात दोष (Vat Dosh), पित्त दोष (Pitta Dosh), कफ़ दोष (Kaph Dosh) के बिगड़ जाने से शरीर रोगो से ग्रसित हो जाता है। वात के बिगड़ जाने पर 80 से ज्यादा बीमारियां आती है, पित्त के बिगड़ जाने पर शरीर में 46 से ज्यादा बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है, और कफ के बिगड़ जाने पर 28 से ज्यादा बीमारियां होती है, और जब वात, पित्त और कफ यह तीनो बिगड़ जाते है तो शरीर में 148 ज्यादा बीमरियां हो जाती है।

सर्दी, खांसी, जुखाम, दस्त से लेकर बड़ी से बड़ी बीमारियां भी केवल वात, पित्त, और कफ के बिगड़ने से ही शरीर में होती है। भारतवर्ष के सबसे महान चिकित्सको में से एक महर्षि वागभट्ट ने अपनी दोनों रचनाओं अष्टांगहृदयम और अष्टांगसंग्रह में शरीर की कार्यप्रणाली को समझने और इसे स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए 7000 नियम बनाये है, जिनमे कुछ नियम हम इस लेख में हम ऐसे ही कुछ प्रमुख नियमो पर चर्चा करेंगे।

अपने शरीर के वात, पित्त, और कफ संतुलित रहे इसके लिए आपसे कुछ नियमों पर चर्चा करेंगे।

खाने के बाद तुरंत पानी न पियें – Wellhealth Ayurvedic Health Tips

खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीयें, महर्षि वाग्भट के अनुसार खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना ज़हर पीने के सामान होता है, क्योंकि हम जो कुछ भी खाते है, वो हमारे पेट में एक जगह पर जाकर इखट्ठा हो जाता है, पेट को संस्कृत में जठर और शुद्ध हिंदी में आमाशय कहते है। जैसे ही हमारा खाना पेट में पहुँचता है, इस खाने को पचाने के लिए जठर (पेट ) से अम्ल (Acid) निकलता है, हम उसे जठराग्नी भी कहते है।

जठर (पेट ) में हमारा खाना अम्ल के माध्यम से पचता है, अगर हम खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते है तो यह हमारी जठराग्नी को शांत कर देता है, यानी अम्ल पानी में घुलकर पतला हो जाता है, जिससे उसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है और हमारा खाना ठीक से पचता नहीं है बल्कि पेट में पड़ा-पड़ा सड़ता रहता है और यह सड़ा हुआ खाना पेट में 100 से अधिक ज़हर पैदा करता है, जिससे इंसान के शरीर में 80 से अधिक बीमारियाँ पैदा होती है।

खाने के बाद तुरंत पानी पीने से होती है समस्या

पेट में गैस बनाना जलन होना और पेट फूलने जैसी समस्या उन्ही को होती है जिनका खाना ठीक से पचता नहीं। वाग्भट जी के अनुसार खाने के 1 घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए खाने के तुरंत बाद पानी पीने से जठराग्नि मंद पड़ जाती है, इससे खाना पचता नहीं है और पाचनतंत्र कमजोर हो जाता है। खाने के 1 घंटे बाद पानी पीने से खाने का पाचन सही से हो जाता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, और खाने का पोषण भी हमारे शरीर को मिलता है।

(i) वाग्भट जी के अनुसार खाने से कम से कम आधा घंटा पहले आप अच्छे से पानी पी सकते है, उसके बाद पानी पीना स्वस्थ्य के लिए हितकर नहीं है। खाने खाने के दौरान भी घूट घूट कर थोड़ी मात्रा में ही पानी पीये।

(ii) वाग्भट जी के अनुसार खाना खाने के साथ और बाद में दही की लस्सी, छाछ (मट्ठा), खट्टे फलो का रस, या निम्बू की शिकंजी पी जा सकती है, खाने के पश्चयात यह खट्टे पदार्थ पीने से हमारे भोजन को अच्छे से पचने में सहायता मिलती है। फलो के ज्यूस का सेवन सुबह के नाश्ते के बाद, दोपहर के खाने के बाद दही की लस्सी, छाछ (मठ्ठा), और रात के खाने के बाद दूध पीना सबसे अधिक लाभदायक होता है।

इस पहले नियम के पालन से भोजन सड़ने से होने वाले 80 रोगो का कभी सामना नहीं करना पड़ता।

घूट घूट भरकर पानी पियें – Wellhealth Ayurvedic Health Tips

पानी हमेशा घूट घूट भरकर पीना चाहिए, हमारे मुँह में जो लार होती है वह क्षारीय (Alkaline) होती है, लार पेट में उपस्थित अम्ल को निष्क्रिय कर देती है, जिससे हमारे पेट की अम्लता कम हो जाती है, और पेट में जलन की समस्या कम हो जाती है। जिसके पेट में अम्लता नहीं होती उसके रक्त में भी अम्लता नहीं होती, और जिसके रक्त में अम्लता नहीं होती उसके वात, पित्त, और कफ तीनो संतुलित बने रहते है।

अगर संभव हो सके तो हम पानी या कुछ भी पीये तो उसके हर एक घूट को अपने मुँह में रखकर जीभ के माध्यम से उसे कुछ देर के लिए अपने मुँह में घुमाएँ उसके बाद उसे अंदर गुटके इससे आपके शरीर को और भी ज्यादा फायदा मिलेगा और आपको कभी भी अम्लता और पेट में जलन की शिकयत नहीं होगी। अगर हम और थोड़ा और गहरायी में जाए तो हमे एहसास होगा की प्रकृति भी हमें घूँट-घूँट भरकर आराम से पानी पीने के संकेत देती है।

ज्यादा ठंडा पानी न पियें – Wellhealth Ayurvedic Health Tips

चाहे हमें कितनी भी प्यास लगी हो लेकिन कभी भी हमें ज्यादा ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, इसका कारण है, हमारा शरीर अंदर से गर्म होता है, और जब हम ठंडा पानी पे लेते है, तो उस ठन्डे पानी का तापमान हमारे शरीर के तापमान के बराबर लाने के लिए हमारा शरीर अपनी बहुत सी ऊर्जा खर्च कर देता है, जिससे हमें सुस्ती और थकान महसूस होती है। ठंडा पानी पीने से हमारे शरीर में अचानक बदलाव आ जाता है, जो हमारे शरीर के पित्त और कफ के संतुलन को बिगाड़ देता है और हमें सर्दी, खांसी, झुकाम, बुखार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि किसी बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति ने ठंडे पानी का सेवन कर लिया तो उसकी स्थिति गंभीर हो सकती है।
फ्रिज के स्थान पर मटके का पानी पीना अत्यंत लाभदायक है।

सुबह उठकर पानी पियें – Wellhealth Ayurvedic Health Tips

वात, पित्त, और कफ को संतुलित रखने के लिए सुबह उठाते ही नार्मल पानी का सेवन घूँट घूँट करके पीये इससे हमारी बड़ी आंत की सफाई होती और मलत्याग में परेशानी नहीं होती, अगर कब्ज की समस्या है तो मलासन में बैठकर गुन-गुना पानी पीयें।

यह भी पढ़ें –  Ayurvedic Treatment for Mental Illness (मानसिक रोग दूर करने के आयुर्वेदिक)

खड़े होकर पानी ने पियें – Wellhealth Ayurvedic Health Tips

खड़े होकर पानी पीने से हमें बचना चाहिए, क्योंकि खड़े होकर पानी पीने से पानी हमारे घुटनो में बैठ सकता है, जिससे हमें गठिया, घुटनो में दर्द, और घुटने ख़राब होने जैसी समस्या हो सकती है।

नार्मल पानी का सेवन करें – Wellhealth Ayurvedic Health Tips

पानी हमेशा सामान्य तापमान पर पीना चाहिए, फ्रिज से निकलकर एकदम ठंडा पानी पीने से हमारी जठराग्नि मंद हो जाती है, जिसके कारण हमारे पाचन तंत्र (Digestive System) द्वारा पोषण (Nutrition) को अवशोषित (absorb) करने का नेचुरल प्रोसेस ख़राब हो जाता है।

इन नियमो का पालन करने से हमारे वात, पित्त, और कफ संतुलित रहेंगे, और हम वात, पित्त, और कफ जनित रोगो से अपने शरीर का बचाव कर एक स्वस्थ्य जीवन जी सकते है। अपनी जीवनशैली में आयुर्वेद के इन नियमो का पालन कर अपने जीवन को स्वस्थ्य बनाये।

आशा करता हूँ, यह जानकारी आपको पसंद आएगी और आपके लिए लाभदायक रहेगी।

लेखक : डॉ सुरेंद्र कुमार शर्मा (आयुर्वेदिक चिकित्सक)

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