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पुरी में रथ यात्रा की तैयारी शुरू, जानिए इस बार कब है रथ यात्रा और क्या है इसका पौराणिक महत्व

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पुरी : Preparations Rath Yatra In Puri :  ओडिशा का पुरी जगन्नाथ मंदिर अपने रहस्यों और चमत्कारों की वजह से चर्चा में बना रहता है। वहीं, पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है, जो हर साल आषाढ़ माह में शुरू होती है। जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं और अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं।

पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर पारंपरिक रूप से हर साल अनवसर या अनासार काल के दौरान 15 दिनों के लिए बंद रहता है। इन 15 दिनों के बाद रथ महोत्सव या रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसे घुरती रथ भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने या स्पर्श करने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ है, जगत के नाथ या ब्रह्मांड के भगवान। जगन्नाथ जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। हर साल ओडिशा के पुरी शहर में रथ यात्रा आयोजित की जाती है। इस त्योहार के दिन मुख्य रूप से तीन देवताओं की पूजा की जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी छोटी बहन सुभद्रा शामिल हैं।

Preparations Rath Yatra In Puri :  इस दिन से शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा

हिंदू पंचांग के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 7 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर शुरू हो रही है। द्वितीया तिथि का समापन 8 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 2024 में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई से होने वाली है।

Preparations Rath Yatra In Puri :  क्यों मनाई जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और उन्हें स्नान कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें बुखार हो जाता है। इस कारण भगवान जगन्नाथ 15 दिनों तक शयन कक्ष में विश्राम करते हैं। इस दौरान पुरी मंदिर 15 दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है और भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं होती है। इसके बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर वे स्वस्थ होकर अपने विश्राम कक्ष से बाहर आते हैं और इसी खुशी में भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है।

Preparations Rath Yatra In Puri :  कैसे निकाली जाती है जगन्नाथ यात्रा

भव्य पुरी रथ यात्रा के लिए जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है। यात्रा में सबसे आगे बड़े बलभद्र का रथ चलता है, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ निकलता है। विशाल रथों पर विराजमान होकर भगवान, अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं, जहां वह कुछ दिनों के लिए आराम करते हैं। इसे मौसीबाड़ी भी कहा जाता है। इसके बाद वह दोबारा अपने घर लौट आते हैं।

Preparations Rath Yatra In Puri :  क्या है जगन्नाथ यात्रा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण धरती पर पुरी में भगवान जगन्नाथ जी के रूप में विराजमान हैं। साल में एक बार उनकी रथ यात्रा निकालने का विधान है, जिसमें शामिल होने वाले भाग्यशाली लोगों को 100 यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। भगवान जगन्नाथ की कृपा से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ माह में पुरी में स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

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