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जमशेदपुर : Bhojpuri Author: नगर की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद’ द्वारा बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के मानस मंडपम में परिषद के पूर्व प्रधान सचिव एवं भोजपुरी साहित्य जगत के युगपुरुष डॉ. रसिक बिहारी ओझा ‘निर्भीक’ जयंती सह स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
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इस अवसर पर विगत वर्षों की भांति भोजपुरी- हिंदी साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के प्रवर समिति सदस्य महेंद्र प्रसाद सिंह (नई दिल्ली) को मुख्य अतिथि अरका जैन विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. अंगद तिवारी तथा विशिष्ट अतिथि टाटा मोटर्स के पूर्व उप महप्रबंधक चंद्रेश्वर खां द्वारा संयुक्त रुप से निर्भीक स्मृति सम्मान-2014 के रुप में अंगवस्त्रम, पगड़ी, श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिह्न, पुष्पगुच्छ एवं नकद मानदेय राशि प्रदान की गयी। तत्पश्चात मुख्य अतिथि द्वारा परिषद् के मुखपत्र लुकार के 44वें अंक, जो कि अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 27वें (जमशेदपुर) अधिवेशन विशेषांक के रुप में प्रकाशित है, का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद अध्यक्ष श्री प्रसेनजित तिवारी एवं संचालन साहित्य सचिव श्री दिव्येंदु त्रिपाठी ने की।
कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं डॉ. निर्भीक के चित्र पर पुष्पार्पण के बाद संयुक्त सचिव श्रीमती माधवी उपाध्याय के सरस्वती वंदना से हुई —
” जगतव्यापिनी के जय जय जय
हँसवाहिनी के जय जय जय!!”
ततपश्चात् प्रधान सचिव डॉ. अजय कुमार ओझा ने अपने स्वागत वक्तव्य के दौरान उपस्थित साहित्य साधकों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए परिषद द्वारा पिछले ग्यारह वर्षो से दिये जाने वाले डॉ. निर्भीक स्मृति सम्मान की विस्तार से चर्चा की। निर्भीक जी के प्रति काव्यात्मक श्रद्धांजलि यमुना तिवारी ‘व्यथित’ एवं कैलाश नाथ शर्मा ‘गाजीपुरी’ ने प्रस्तुत किया। सम्मानित अतिथि का साहित्यिक परिचय प्रकाशन सचिव हरिहर राय चौहान ने प्रस्तुत किया। अपने संबोधन के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. अंगद तिवारी ने कहा कि भोजपुरी की ताजगी मेरे मन को हमेशा आनंदित करती है। डॉ. निर्भीक के कृतित्व को अधिकाधिक पढने और समझने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि चंद्रेश्वर खां ने बताया कि डॉ. निर्भीक के साथ मैं बहुत लम्बे समय तक जुड़ा रहा। वे मेरे बहुत आत्मीय थे।
भोजपुरी भाषी लोगों को अपनी भाषा का प्रयोग बिना किसी भय और झिझक के करना चाहिए । यह साहसी लोगों की भाषा है। जबकि सम्मानित अतिथि श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा डॉ. निर्भीक मेरे बड़े भाई की तरह थे। मुझे कदम कदम पर उनका मार्गदर्शन मिला ।
निर्भीक स्मृति सम्मान मिलने पर उन्होंने कहा कि रंगकर्म में आने पर मुझे अथक परिश्रम करना पड़ा, लोगों के उलाहने भी सुनने पड़े, लेकिन आज यह क्षेत्र मेरे प्रयासों के प्रति आप लोगों का उत्साह मुझे ऊर्जा से भर देता है। मैं लौहनगरी बोकारो में रहा और आज लौहनगरी जमशेदपुर में सम्मानित हुआ ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में उसी मंच पर डॉ. निर्भीक कृत हास्य एकांकी ” लेस नायक खूब सिंह ” का मंचन नगर की नाट्य संस्था डेट के निर्देशक अनुज प्रसाद के निर्देशन में हुआ, जिसकी खूब प्रशंसा हुई।
कार्यक्रम के अंत में परिषद की सह सचिव डॉ. संध्या सिन्हा द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर शताधिक साहित्यकारों सहित भोजपुरी प्रेमी उपस्थित रहे।
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