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जीभ का कैंसर क्या होता है? क्या आयुर्वेद में जीभ के कैंसर का इलाज संभव है?

जीभ का कैंसर मुंह के कैंसर का एक प्रकार है। इसमें रोगी की जीभ में असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं और उस जगह पर घाव या ट्यूमर बन जाता है। यह सिर और गर्दन के कैंसर की श्रेणी में आता है। आमतौर पर यह जीभ की शल्की कोशिकाओं में विकसित होता है। इस कैंसर का प्रमुख लक्षण लक्षण घाव का बनना है जो एंटीबायोटिक क्रीम गलाने के बाद भी ठीक नहीं होता है। कई मामलों में इसमें दर्द भी होता है।

जीभ का कैंसर कितने प्रकार का होता है?

मुख्य रूप से जीभ का कैंसर दो प्रकार का होता है।

1. जीभ के दिखने वाले हिस्से में कैंसर
2. जीभ के पिछले हिस्से में कैंसर

1. जीभ के दिखने वाले हिस्से का कैंसर – इसके अन्तर्गत जीभ का वह हिस्सा आता है तो हमें दिखाई पड़ता है या फिर हम जितनी जीभ मुहं से बाहर निकाल सकते हैं, उस हिस्से को इसमें शामिल किया जाता है। अगर जीभ के इस हिस्स में कैंसर होता है तो वह जल्दी पकड़ में आ जाता है एवं उसे निकाला भी जा सकता है। इस प्रकार का कैंसर प्राथमिक स्तर पर ही मालूम चल जाता है।

2. जीभ के पिछले हिस्से का कैंसर – इस प्रकार के कैंसर में जीभ का वह भाग सम्मिलित होता है जो आमतौर पर हमें दिखाई नहीं पड़ता। यह जीभ के पिछले भाग या गले की तरफ होता है ऐसे में इसकी पहचान एवं उपचार जटिल होता है। इस प्रकार का कैंसर गंभीर अवस्था में आने के बाद ही मालूम चलता है।

जीभ के कैंसर के प्रमुख लक्षण क्या क्या हैं?

  • जीभ पर लाल या सफेद धब्बे हो जाना, जो लंबे समय तक बने रहे।
  • जीभ पर छाले होना, जिनका बने रहना।
  • मौखिक गुहा में सुन्नता।
  • जीभ पर गांठ बन जाना।
  • लम्बे समय तक गला बैठना।
  • कान का दर्द ठीक नहीं होना।
  • गर्दन में गाँठ महसूस होना।
  • जबड़े में सूजन का आना।
  • गांठ को छूने या काटने की कोशिश करने पर उसमें खून आना।
  • निगलते समय दर्द होना।
  • लगातार गले में खरास।
  • खाने और निगलने में कठिनाई।
  • बोलने में समस्या।
  • सांस लेने में दिक्कत।

जीभ के कैंसर के क्या कारण है?

जीभ के कैंसर के सटीक कारणों को अभी तक खोजा नहीं जा सका है। जीभ का कैंसर तब होता है जब कुछ कोशिकाएं असामान्य रूप और अधिक तेजी से विकसित होने लगती है। ऐसे कई कारक हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं।

ऐसे कारक निम्नलिखित हैं।

  • धूम्रपान का सेवन।
  • शराब पीना।
  • एचपीवी संक्रमण।
  • दांतों के खुरदरेपन से होने वाली परेशानी।
  • डेंटल फिलिंग पदार्थ का जीभ पर पड़ जाना।
  • नकली दांतों का सही से नहीं लग पाना।

जीभ के कैंसर से बचाव के उपाय

  • नियमित स्वास्थ्य जांच
  • धूम्रपान का सेवन नहीं करना
  • पौष्टिक आहार लेना
  • मुंह की सफाई रखना
  • एचपीवी का टीका लगवाना

जीभ के कैंसर का इलाज क्या है?

जीभ के कैंसर को ठीक करने के लिए आमतौर पर कैंसर वाले ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। सर्जन ऑपरेशन कर छोटे ट्यूमर को हटाते हैं लेकिन अगर बड़े ट्यूमर हैं या कैंसर अधिक फैल गया है तो बड़े ऑपरेशन करने पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में सर्जन को जीभ के हिस्से को हटाने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

जीभ के कैंसर को ठीक करने के लिए ऑपरेशन के अलावा थैरेपी भी की जाती है जो इस प्रकार हैं।

  1. कीमोथैरेपी
  2. रेडिएशन थैरेपी
  3. टार्गेटेड ड्रग थैरेपी

क्या आयुर्वेद में जीभ के कैंसर का इलाज संभव है?

आयुर्वेद हमारी भारतीय संस्कृति में कई जटिल रोगों के निदान का मुख्य साधन रहा है। आयुर्वेद में ऐसी कई विधाएं एवं जड़ी बूटियां मौजूद हैं जिससे असाध्य रोगों का भी निदान संभव हो पाया है। इसी में से एक है कैंसर रोग। आज आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं जिसके सेवन से न केवल कैंसर को बढ़ने से रोकने में कारगर सिद्ध हो रही हैं बल्कि इससे रोग के निदान में भी मदद मिल रही है।

वर्तमान में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित नवग्रह आश्रम द्वारा पवतान् कैंसर केयर आटा तैयार किया गया है जोकि आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां का संग्रह हैं। पवतान् कैंसर केयर आटा कैंसर रोगी को कैंसर से लड़ने में मदद करता है एवं रोग के निदान में भी सहायक है।

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